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सांची विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस पखवाड़ा

अमीर खुसरो के कारण ही हिंदी को बढ़ोतरी मिली- प्रो सिंह
‘हिंदी को पाली, संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं के साथ मिलाकर पढ़ा जाए’
उपनिषदों और भारतीय धार्मिक ग्रंथों के अनुवाद दाराशिकोह ने कराए थे- प्रो. सिंह

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में भी हिंदी दिवस पखवाड़ा मनाया गया। रायसेन स्थित बारला अकादमिक परिसर में हिंदी दिवस के मौके पर हिंदी के विद्वान, साहित्यकार और लेखक प्रो. विजय बहादुर सिंह ने कहा कि मुगलों के दौर में ही हिंदी ने सर्वाधिक तरक्की की थी। उनका कहना था कि अमीर खुसरो ने खड़ी बोली के माध्यम से ही हमें हिंदी से वाकिफ कराया था।

‘हिंदी और उसकी प्रासंगिकता’ विषय पर प्रो. विजय बहादुर सिंह ने कहा कि हिंदी भाषा के स्तर को उठाना है तो हिंदी को पाली, संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं के साथ मिलकर पढ़ाया जाना चाहिए। उनका कहना था कि स्कूलों और कॉलेजों में अन्य भाषाओं के साथ हिंदी को नहीं पढ़ाया जा रहा है इसलिए इसकी सुंदरता भी समाप्त होती जा रही है।

सांची विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए प्रो. सिंह ने कहा कि शोध के दृष्टिकोण से हिंदी को बचाने के लिए इसके साथ-साथ विभिन्न बोलियों को साथ मिलकर इन पर शोध करने की ज़रूरत है। उनका कहना था कि कार्यालयों, घरों टीवी-फिल्मों और साहित्य में उपयोग की जाने वाली भाषा को ही संयुक्त रूप से हिंदी कहा जा सकता है।
विश्वविद्यालय के डीन डॉ नवीन मेहता ने कहा कि जिस तरह के रोमन अंग्रेज़ी के अनुवादों के माध्यम से अंग्रेज़ी का भारतीयकरण किया गया उसी प्रकार से अन्य भारतीय भाषाओं के साथ मिलकर हिंदी का भी भारतीयकरण किया जा सकता है। विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ राहुल सिद्धार्थ ने कहा कि साहित्य की आत्मा ही भाषा है और भाषा से ही साहित्य की उत्पत्ति है....अगर हिंदी भाषा को नहीं बचाया जा सका तो 50 साल बाद हिंदी साहित्य भी विलुप्त हो जाएगा।

विश्वविद्यालय में 12-14 सितंबर तक आयोजित किए गए तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान हिंदी भाषा से जुड़ी विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। इन प्रतियोगिताओं में छात्रों के अलावा कर्मचारी भी सम्मिलित हुए। इनमें स्वरचयित कविता, निबंध, पोस्टर और भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनमें 51 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।