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Press Release

Press Release - 2022

Press Release - 2021

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की साधारण परिषद बैठक संपन्न

दिनांक : 21 दिसंबर 2021

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित ब्रॉन्ड बनाने के प्रयास होंगे
  • शोध के नए प्रतिमान कायम करने बनेगी बौद्धिक पीठ
  • आम जनता के लिए बौद्ध-भारतीय ज्ञान के कैप्सूल कोर्सेस शुरु होंगे

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की सामान्य परिषद की बैठक में विवि से संबंधित कई अहम फैसले किए गए। संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में सांची विवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बौद्ध और भारतीय ज्ञान के शोध क्षेत्र में स्थापित करने का निर्णय लिया गया।

संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने कहा कि 21वी सदी भारत की है और बौद्ध और भारतीय दर्शन के क्षेत्र में सांची विश्वविद्यालय को स्थापित ब्रॉंड बनाने के लिए पर्यटन, विपश्यना और योग के आवासीय पाठ्यक्रम शुरू करना चाहिए। संस्कृति मंत्री का कहना था कि सांची विश्वविद्यालय को पर्यटन विभाग के साथ भी टाई अप करके प्राचीन पाठ्यक्रम हेतु प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में पूरी दुनिया को समझ आ गया है कि वैदिक जीवन पद्धति ही जीवन की सही राह है। संस्कृति मंत्री द्वारा सांची विश्वविद्यालय को केंद्र सरकार द्वारा बुधिस्ट सर्किट की समिति में जोड़ने के कुलपति के प्रयासों की सराहना करते हुए शासन से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया गया।

परिषद सदस्य श्री उमेश उपाध्याय ने अपनी संस्था NEWZ द्वारा विश्वविद्यालय को सोशल मीडिया प्लटेफॉर्म पर स्थापित करने और सोशल मीडिया लैब खोलने की घोषणा की। उन्होने कहा कि सांची की ब्रॉन्ड वैल्यू बहुत बड़ी है और इसे प्रचारित-प्रसारित करने की आवश्यकता है।  नवनालंदा विवि के कुलपति प्रो लाभ ने कहा कि लुप्तप्राय विद्याओं हेतु विवि को प्रयास करना चाहिए। उन्होने ज्यादा प्राध्यापकों की नियुक्ति हेतु भी प्रस्ताव रखा।  

कुलपति एवं सामान्य परिषद की सदस्य सचिव  डॉ नीरजा गुप्ता ने सामान्य परिषद सदस्यों को नए पाठ्यक्रमों एवं विवि की प्रगति से अवगत कराया। उनके द्वारा प्रस्तुत बौद्धिक पीठ की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूर किया गया। लुप्तप्राय किताबों के पुनर्प्रकाशन के कुलपति के प्रस्ताव पर भी समिति बनाकर लागू करने की अनुमति सामान्य परिषद द्वारा दी गई।

इस बैठक में केंद्रीय नव नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बैद्यनाथ लाभ, केंद्रीय तिब्बत संस्थान के कुलपति प्रो वांगचुक नेगी, पद्मश्री श्री कपिल तिवारी, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो केटीएस सराव, वरिष्ठ शिक्षाविद महर्षि अभय कात्यायन, वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश उपाध्याय, मध्य प्रदेश वित्त विभाग के सचिव श्री भास्कर लक्षकार सम्मिलि हुए। सांची विवि के कुलसचिव प्रो अलकेश चतुर्वेदी द्वारा सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया गया। 





सांची विश्वविद्यालय में मनाया गया संविधान दिवस

  • शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों ने दोहराई शपथ
  • संविधान की उद्देशिका की ली गई शपथ
 
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में आज संविधान दिवस मनाया गया। आज ही के दिन यानी 26 नवंबर 1949 को हमारे देश के संविधान को अंगीकृत किया गया था। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के समस्त शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को कुलसचिव प्रो. अल्केश चतुर्वेदी ने भारत के संविधान की उद्देशिका - 'हम भारत के लोग' की शपथ दिलवाई। प्रो. अल्केश चतुर्वेदी ने संविधान दिवस की महत्ता और प्रासंगिकता पर व्याख्यान भी दिया। 
 
ऑनलाइन आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में डॉ. अल्केश चतुर्वेदी ने भारतीय संविधान की उद्देशिका में उल्लेखित समस्त शब्दों को एक-एक कर व्याख्यायित किया। कर्मचारियों के अलावा ऑनलाइन क्लासेस में जुड़े विद्यार्थियों ने भी संविधान के प्नति अपनी शपथ को दोहराया। भारत की आज़ादी के 75वें स्वतंत्रता वर्ष में मनाए जा रहे आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत संविधान दिवस को अधिक से अधिक जनभागीदारी के साथ बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है।  
 
ऑनलाइन आयोजित किए गए इस संविधान दिवस समारोह का संचालन वि.वि के अंग्रेज़ी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ नवीन मेहता ने किया। 
 
आप सभी से अनुरोध है कि कृपया उपरोक्त समाचार आपके सम्मानीय माध्यम में सम्मिलित करने का कष्ट करें। 

सांची विश्वविद्यालय में 75वें स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण

दिनांक  - 15 अगस्त 2021



सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के सांची स्थित नए प्रांगण में देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण किया गया। कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता ने ध्वजारोहण के बाद रंग दे बंसती चोला गाकर देश के स्वतंत्रता संघर्ष को याद किया। उन्होंने कहा कि 1500 साल की लड़ाई अपने देश में अपनी भाषा और संस्कृति को निडर होकर अपनाने की है। डॉ गुप्ता ने कहा कि सांची विश्वविद्यालय बौद्ध और भारतीय संस्कृति और दर्शन दोनों को आगे बढ़ाने पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि बौद्ध, जैन और सिख भारतीय संस्कृति की ही शाखाएं है और देश का अस्तित्व तभी सुरक्षित रह सकता है जब शिक्षा से संस्कृति पोषित और पल्लवित हो।

स्वतंत्रता दिवस संबोधन में डॉ. नीरजा गुप्ता ने बंगाल विभाजन और उसके बाद हुए कांग्रेस अधिवेशन का ज़िक्र करते हुए बताया कि अंग्रेज़ों ने वंदेमातरम कहने पर रोक लगा दी थी। अधिवेशन में उपस्थित 500 लोगों को 3500 अंग्रेज़ पुलिस ने घेर रखा था। लेकिन गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने अधिवेशन के मंच पर अकेले वंदेमातरम पूरा गाया और उसके बाद अधिवेशन समाप्त हो गया। उनका कहना था कि अंग्रेज़ों की लगाई गई रोक के विरोध में भारतीय जनमानस खड़ा हुआ था। वैचारिक स्वतंत्रता के लिए ही सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिए हैं। डॉ गुप्ता ने बताया कि 75वें स्वतंत्रता दिवस के साल भर चलने वाले कार्यक्रमों को विवि पुण्य विजय की विचार यात्रा नाम से चलाएगा।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अल्केश चतुर्वेदी ने कहा कि 75 वां स्वतंत्रता दिवस सहस्त्र चंद्र दर्शन जैसा है। उन्होने बताया कि अविभाजित भारत के अलग अलग हिस्से जैसे नेपाल, अफगानिस्तान कभी भी परतंत्र नहीं किए जा सके। देश के विभिन्न राज्यों के स्थानीय आंदोलनों और उनमें लोगों की जनभागीदारी का भी उन्होंने ज़िक्र किया। 1857 की क्रांति में रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, रानी अवंतीबाई का जिक्र करते हुए घोड़ा डोंगरी आंदोलन पर भी उन्होंने प्रकाश डाला।

ध्वजारोहण समारोह में उपस्थित कर्मचारियों और अधिकारियों और उनके बच्चों ने कई प्रस्तुतियां दीं। 8 वर्ष के नैवैद्य बचले ने वंदेमातरम गाकर सभी को देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत कर दिया। डॉ. रितु श्रीवास्तव और डॉ अंजलि दुबे ने भी वंदेमातरम गाया।

सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में प्रवेश शुरु

  • अकादमिक सत्र 2021-22 की प्रवेश सूचना जारी
  • एमए, एमएससी, एमएफए और लाइब्रेरी पाठ्यक्रम शुरु
  • 32 विषयों मे एडवांस सर्टिफिकेट कोर्स, डिप्लोमा कोर्सेस भी
  • लाइब्रेरी साइंस में भी कोर्स, नई शिक्षा नीति के अनुरूप कोर्सेस

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश शुरु हो गया है। अकादमिक सत्र 2021-22 के लिए विश्वविद्यालय ने एमए, एमएफए, एमएससी, एमएलआईएस, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स में योग्य उम्मीदवारों से आवेदन मांगे है। इस सत्र में 32 स्पेशल सर्टिफिकेट कोर्स शुरु हो रहे हैं जो नई शिक्षा नीति के अनुसार तैयार किए गए हैं। इच्छुक उम्मीदवार 25 अगस्त तक फॉर्म भर सकेंगे और 31 अगस्त के बाद मेरिट आधार पर प्रवेश सूची बनेगी। कोरोना के चलते विवि द्वारा प्रवेश परीक्षा के स्थान पर मेरिट को आधार बनाने का निर्णय लिया गया है।

प्रवेश के इच्छुक उम्मीदवार सांची विवि की वेबसाइट www.sanchiuniv.edu.in पर जाकर एडमिशन से जुड़ी प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं। ऑनलाइन प्रवेश फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 25 अगस्त है एवं मेरिट लिस्ट का प्रकाशन 31 अगस्त तक संपन्न होगा। छात्र, प्रवेश से जुड़े किसी सवाल या फॉर्म भरने से जुड़ी समस्याओं के संबंध में admission@subis.edu.in पर ई-मेल से संपर्क कर सकते हैं।

इस बार बौद्ध अध्ययन, वैदिक अध्ययन, भारतीय दर्शन, योग, भारतीय चित्रकला एवं भारतीय शिक्षा और सर्वांगीण विकास के साथ-साथ धर्म, संस्कृति, विभिन्न पारंपरिक हीलिंग पद्धतियों, भारतीय संत परंपरा, वैदिक कर्मकांड, चीन और भारत के सांस्कृतिक संबंध, स्वामी विवेकानंद की वैश्विक दृष्टि, योग निद्रा, योग एवं पंचकर्म, भारतीय शिक्षण पद्धति, नाड़ी शास्त्र परिचय, खगोल विज्ञान, बौद्ध विहारों में आचरण पद्धति, प्राचीन भारतीय कला जैसे 32 विभिन्न विषयों पर प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम शुरु किए जा रहे हैं जिनमें प्रवेश लिया जा सकता है। ये विषय जनमानस की रुचि से जुड़े है।

सांची विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने कहा कि सांची विश्वविद्यालय को उच्चकोटि के रिसर्स के साथ जनमानस की जिज्ञासा को पूरी करने का माध्यम भी बनाया जा रहा है जिससे यह संस्थान अपने उद्देश्य को पूरा कर सके। सांची विश्वविद्यालय बौद्ध और भारतीय प्राचीन ज्ञान की पुनर्स्थापना और उसमें शोध एवं संवाद को बढ़ावा देने पर भी काम कर रहा है।

डॉ अलकेश चतुर्वेदी बने सांची विवि के कुलसचिव

  • भारतीय ज्ञान का प्रसारण करेंगे- डॉ चतुर्वेदी
  • इतिहास के प्रोफेसर है डॉ चतुर्वेदी


सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के नए कुलसचिव डॉ अलकेश चतुर्वेदी ने आज कार्यभार ग्रहण किया। डॉ चतुर्वेदी ने पदभार ग्रहण करने के उपरांत कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता से सौजन्य भेंट की। दोनों अधिकारियों ने सांची स्थित विश्वविद्यालय परिसर का भ्रमण भी किया। इस अवसर पर सांची विवि के स्टॉफ को संबोधित करते हुए डॉ चतुर्वेदी ने कहा कि सांची विश्वविद्यालय में बहुत संभावनाएं है और विभिन्न अध्ययन क्षेत्रों का विकास करने पर उनका फोकस रहेगा। उन्होने कहा कि सांची विवि भारतीय ज्ञान के प्रसारण का वाहक बनेगा। इस अवसर पर कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने कहा कि पूर्णकालिक कुलसचिव के होने से सांची विश्वविद्यालय के संचालन और कार्य में अभूतपूर्व तेज़ी आएगी। उन्होने कुलसचिव के साथ मिलकर बुद्धिस्ट और इंडिक सर्किट पर तेजी से काम करने का आव्हान किया।

कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ नवीन कुमार मेहता ने कुलसचिव का परिचय दिया एवं विश्वविद्यालय कर्मियों का परिचय प्रोफेसर डॉ अलकेश चतुर्वेदी से कराया। 2012 से महाकौशल कला एवं वाणिज्य स्वायत्त कॉलेज में इतिहास के प्रोफेसर रहे डॉ चतुर्वेदी की सेवाएं दो वर्ष के लिए सांची विश्वविद्यालय को सौंपी गई है।

प्रतिदिन करें योग तभी रहेंगे निरोग

दिनांक 21 June 2021

  • सांची स्तूप पर सांची विवि ने किया योग दिवस का आयोजन
  • पीएम मोदी के कार्यक्रम में भी हुआ लाइव प्रसारण
  • ‘मन, मस्तिष्क और शरीर से स्वस्थ व्यक्ति ही स्वस्थ ’-कुलपति

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के योग विभाग के छात्रों ने सांची स्तूप पर योगाभ्यास कर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया। कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सांची स्तूप के सामने योग के आसनों को प्रस्तुत किया।

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर छात्रों ने पद्मानाभासन, भद्रासन, भुजंगासन, चक्रासन, हलासन, गोमुखासन, धनुरासन आदि का अभ्यास किया। इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के उद्बोधन के दौरान दूरदर्शन पर भी किया गया। विभागाध्यक्ष डॉ श्याम गनपत तिखे ने कहा कि प्रतिदिन योग करने से ही निरोग रहा जा सकता है।

सांची विश्वविद्यालय परिसर में हुए योग दिवस कार्यक्रम में शिक्षकों-छात्रों, अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता भी सम्मिलित हुईं। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी नेमत निरोगी काया है। जब मन, मस्तिष्क और शरीर स्वस्थ होंगे तभी व्यक्ति को स्वस्थ कहा जा सकता है। उनका कहना था कि योग के माध्यम से ही मन, मस्तिष्क और शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है। कुलपति डॉ गुप्ता ने कहा कि आनंद की अनुभूति पर बौद्ध गुरू दलाई लामा ने कहा था कि उचित श्वसन ही आनंद है और इस हिसाब से योग; सत्, चित्त और आनंद की प्राप्ति का अहम सूत्र है।

स्वयं का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता ने कहा कि वो पिछले 48 सालों से योग कर रही हैं और योग ने ही उन्हें मन, मस्तिष्क और शरीर से स्वस्थ रखा हुआ है क्योंकि उनका Tsh (टी.एस.एच) थाइराइड लेवल 16 रहता था लेकिन योग के ज़रिए ही उन्होंने इस संतुलन को पाया हुआ है। उनका कहना था कि यदि यह टी.एस.एच 6 से 8 के आसपास होता है तो व्यक्ति मोटापे से ग्रसित हो जाता है, लेकिन योग के कारण ही वे पूरी तरह स्वस्थ हैं।

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के नये परिसर का लोकार्पण

दिनांक 15 June 2021 

  • संस्कृति, पर्यटन मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने किया लोकार्पण
  • आवंटित भूमि के समीप पहुंचा विश्वविद्यालय

संस्कृति, पर्यटन एवं अध्यात्म मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने आज सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के सांची स्थित नवीन परिसर का लोकार्पण किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार को शुभकामना देते हुए उन्होंने कहा कि वैदिक और बौद्ध के सुंदर समन्वय से बने विश्वविद्यालय से पूरे विश्व को अपेक्षाएं है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का ध्वजवाहक बन सांची विवि 21वीं सदी में भारत को विश्वगुरु बनाने के प्रयास में भूमिका निभा सकता है।

इस अवसर पर मंत्री महोदय ने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय को पढ़ने आने वाले हर छात्र से 5 पौधे लगाने एवं पढ़ाई पूर्ण करने तक उनको पालने का प्रयोग करना चाहिए। उषा ठाकुर जी ने शिक्षा में क्रांतिकारियों के जीवन वृत्त और उनके उद्देश्यों को शामिल करने का भी सुझाव दिया।

मंत्री महोदय का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा ए गुप्ता ने कहा कि सांची विश्वविद्यालय शोध के सिरमौर संस्थान बनने की दिशा में अब तेज़ गति से बढ़ेगा। उन्होने मंत्री महोदय को आश्वासन दिया कि विवि अपनी गतिविधियों और शोध कार्यों से नए सोपान गढ़ेगा।

लोकार्पण अवसर पर मंत्री महोदय ने पौधा भी रोपा। अभी तक बारला स्थित किराये के भवन से संचालित हो रहा विश्वविद्यालय अब सांची स्थित पर्यटन विभाग के नये भवन से संचालित होगा। नई इमारत में विश्वविद्यालय प्रस्तावित स्थल पर निर्माण पूर्ण होने तक रहेगा। सांची स्थित यह परिसर विश्वविद्यालय के प्रस्तावित परिसर के बिल्कुल समीप है। सांची में होने से यहां आने वाले पर्यटकों एवं अन्य लोगों को भी सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय से संपर्क का मौका मिलेगा।

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि भारत इस समय जिस कोरोना काल से गुज़र रहा है ऐसे समय में हमारी अहम ज़िम्मेदारी बनती है कि पूरी दुनिया को संस्कृति और सभ्यता दी जाए।


उन्होंने कहा कि ये समय खास तौर से पश्चिम के लोगों को भारत की ओर आकर्षित करने का है जब हम उन्हें सभ्यता और संस्कृति से वाकिफ करा सकतै हैं।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय विशेष रूप से शोध संस्थान खड़ा करने के लिए प्रयासरत है ताकि बौद्ध और भारतीय दर्शन पर आधारित विशिष्ट शोधों को बढ़ावा दिया जा सके। इससे पूरे विश्व को नया मार्गदर्शन मिलेगा।

डॉ नीरजा गुप्ता ने कहा कि सांची विश्वविद्यालय एक अनूठा विश्वविद्यालय है जो कि बौद्ध और भारतीय दर्शन की शिक्षाओं को सम्मिश्रित कर शिक्षा प्रदाय करता है।

धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित करते हुए विवि के कुलसचिव व संस्कृति संचालक अदिति कुमार त्रिपाठी ने कहा कि विश्वविद्यालय अब देश और विश्व में नए ज्ञआन का प्रसार करेगा। उन्होने सभी कर्मचारियों का भी आभार व्यक्त किया।


गौतम बुद्ध की शिक्षा को आगे बढ़ाएगा सांची विश्वविद्यालय

दिनांक 26 May 2021

  • बुद्ध पूर्णिमा पर ऑनलाइन संगोष्ठी
  • अंधकार को मिटाने की राह है बुद्ध- गेशे दोर्जी दामदुल
  • सामाजिक, भावपूर्ण और नैतिक शिक्षा देता है बौद्ध धर्म- डॉ गुप्ता

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में बुद्ध पूर्णिमा पर सौदर्य का आंतरिक विश्वास बौद्ध धर्म ( Buddhism as a religion of inner belief of beauty ) पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया। बौद्ध दर्शन स्कूल एवं अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध अध्ययन स्कूल की ओर से आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि तिब्बत हाउस के मुख्य पूजनीय गेशे दोर्जी दामदूल के साथ विदेश संवाददाता क्लब के मुनीष गुप्ता शामिल हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत बुद्ध वंदना से हुई एवं डॉ नवीन कुमार मेहता ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तिब्बत हाउस के संस्कृति सेंटर के प्रमुख गेशे दोर्जी दमादुल थे। पूजनीय गेशे दोर्जी दमादुल ने कहा कि बुद्ध आतंरिक शुद्धता पर जोर देते है। उन्होने कहा कि आंतरिक अंधकार को मिटाने के लिए बुद्ध स्वयं की रोशनी की बात करते हुए अप्प दीपो भवः की बात करते हैं। जब हम ज्ञान की खोज में जुटते है तो हमारा चेहरा चमकने लगता है। उन्होने कहा कि सभी को गंदगी मिटाने की कोशिश करना चाहिए। उन्होने बुद्ध की जीवनपयोगी शिक्षाओं पर विस्तृत व्याख्यान दिया।

पीआईओ टीवी के मुख्य कार्यकारी और दक्षिण एशिया के विदेश संवाददाता क्लब के अध्यक्ष मुनीष गुप्ता ने कहा कि बुद्ध ने अपनी शिक्षा के जरिए वंचितों को ऊपर उठाने का कार्य किया। उन्होने कहा कि बौद्ध धर्म सामाजिक, भावपूर्ण और नैतिक शिक्षा देता है। बौद्ध धर्म में स्वयं का दर्शन है और अपनी शिक्षाओं के जरिए गौतम बुद्ध समाज की बुराइयों पर प्रहार के साथ व्यक्तित्व विकास की भी राह दिखाते है।
सांची विवि की कुलपति डॉ नीरजा ए गुप्ता ने कहा कि बौद्ध धर्म का मूल भगवान बुद्ध की शिक्षा है और हमारा विश्वविद्यालय दुनियाभर में बुद्ध के अध्ययन अध्यापन का वैश्विक केंद्र बनेगा। उन्होने कहा कि बौद्ध धर्म सबको साथ लेकर चलता है और इसका दर्शन समायोजी है।

कार्यक्रम के समन्वयक और बौद्ध दर्शन विभाग प्रमुख डॉ संतोष प्रियदर्शी ने विपरीत परिस्थिति में भी कार्यक्रम में भारी संख्या में जुटे विद्वानों को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम के समापन पर डॉ देवेद्र सिंह विभाग अध्यक्ष संस्कृत विभाग ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होने ऑनलाइन संगोष्ठी के माध्यम से दुनियाभर से जुड़े विद्वानों, शोधार्थियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।

सांची विश्वविद्यालय ने बांटी 100 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर मशीनें

दिनांक 10-05-2021

 

  • ऑस्ट्रेलिया के दानदाताओं ने भारत भेजी थी ये मशीनें
  • सांची विश्वविद्यालय को बनाया गया था वितरण के लिए नोडल
  • 80 मशीनें दिल्ली, 07 अहमदाबाद, 05 जम्मू और 08 मध्य प्रदेश में बांटी गईं
  • प्रदेश के स्वास्थ मंत्री के साथ कुलपति महोदया ने किया वितरण

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा आज भोपाल और रायसेन में ऑस्ट्रेलिया से आईं 8 ऑक्सीजन कॉनसन्ट्रेटर मशीनों का वितरण किया गया। सांची विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने आज प्रदेश के स्वास्थ मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी के साथ 02 ऑक्सीजन कॉनसेंट्रेटर मशीन रायसेन ज़िला अस्पताल को दीं।

कोरोना महामारी के दौरान मरीज़ को ऑक्सीजन सिलिंडर न उपलब्ध होने की स्थिति में ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर मशीन के माध्यम से सीधे ऑक्सीजन मिलती है।

ऑस्ट्रेलिया के एवेरेक्स लिमिटेड ने 100 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर भारत के लिए भेजे थे। इन ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर को वितरण सांची विश्वविद्यालय को नोडल संस्था बनाकर भारत में किया गया। ऑस्ट्रेलिया की संस्था के द्वारा बताई गई संख्याओं के अनुसार सांची विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता ने 80 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर मशीनों का वितरण दिल्ली में, 07 अहमदाबाद में, 05 जम्मू में और 02-02 मशीनें रायसेन ज़िला अस्पताल तथा भोपाल के जेके अस्पताल में वितरित कीं।

ऑस्ट्रेलिया से भेजी गईं फिलिप्स कंपनी की इन ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर मशीन के दिल्ली से भोपाल, अहमदाबाद, जम्मू पहुंचाने के लिए कुरिअर कंपनी ने भी मात्र एक दिन का समय लेकर इन मशीनों को पहुंचाया। महामारी की मार और मरीज़ों की आवश्यकताओं को देखते हुए इन मशीनों का सांची विश्वविद्यालय ने इनका त्वरित वितरण भी कर दिया।



सांची विश्वविद्यालय की श्वेता को मिला ऑइकॉनिक इंटरनेश्नल वूमन ऑफ द ईयर अवार्ड

दिनांक 05 May 2021

सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन की पी.एच.डी छात्रा श्वेता नेमा को सरस्वती बाई दादा साहब फाल्के आइकोनिक इंटरनेशनल वूमन ऑफ दी ईअर 2021 अवॉर्ड से नवाज़ा गया है। इनोवेटिव आर्टिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन मुंबई द्वारा एक वर्चुअल अवार्ड शो, SDP ICONIC International WOMEN AWARD 2021 का आयोजन किया गया था। इस सम्मान के लिए दुनिया भर के 50 से ज्यादा देशों से 3000 से अधिक प्रविष्टियां नामांकन हेतु आई थी जिनमें से अति विशिष्ट 100 प्रविष्टियों को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।

ये सम्मान श्वेता नेमा को उनकी विभिन्न सक्रिय गतिविधियों के कारण मिला है। श्वेता को जनहितकारी सामाजिक कार्यो, स्वस्थ एवं शिक्षित समाज निर्माण में सहयोग के लिए पूर्व में गेस्ट ऑफ ऑनर और आदर्श नारी सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।

योग के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुकी श्वेता निःशुल्क योग कक्षाओं का आयोजन कर वर्षों से लोगों को स्वास्थ्य लाभ दे रही हैं। श्वेता का कहना है कि- “जो महिलाएं अपनी सभी जिम्मेदारियों को निभाते हुए तथा जीवन की सभी बाधाओं से लड़ते हुए अपने सपनों का पीछा करती हैं और अपने आप को केंद्रित रखते हुए अपने लक्ष्य तक पहुंचती हैं। वे महिलाएं ही दूसरों के लिए एक आदर्श, प्रेरणा और रोल मॉडल बनती है।“ उनका कहना है कि “हर महिला समाज में खुद का एक विशेष स्थान बना सकती है और दूसरों के लिए आदर्श और प्रेरणा बन सकती है जरूरत है तो बस एक दृढ़ इच्छाशक्ति और निर्णय की।“

IAWA अवॉर्ड का उद्देश्य समाज में अपनी पहचान बनाने वाली शीर्ष 100 प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों को उभारना है। तथा उनके सभी प्रयासों और उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन को पहचान देना है।

ये SDP पुरस्कार उस महान महिला को एक श्रद्धांजलि हैं, जिन्होंने अपने पति दादासाहेब फाल्के जी, भारत के पहले फिल्म निर्माता, और भारतीय सिनेमा के पिता के साथ जबरदस्त मेहनत की थी। इसलिए सभी सफल महिलाओं को महान सरस्वती बाई दादासाहेब फाल्के जी के नाम पर एक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

मुंबई में आयोजित इस समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में महान लीजेंडरी सिंगर अनूप जलोटा, पायनियर ऐड फिल्म मेकर प्रह्लाद कक्कर और सरस्वती बाई दादा साहेब फाल्के के पोते चंद्रशेखर पल्सावेकर भी उपस्थित थे जिन्होंने वर्ल्ड 2021 की 100 प्रतिष्ठित महिलाओं को ऑनलाइन संबोधित किया।सांची विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता व कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने श्वेता को सम्मानित किए जाने के अवसर पर बधाई दी। श्वेता राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर की 50 से ज्यादा योग एवं आयुर्वेद के सेमिनार , वेबिनार एवं वर्कशॉप में भी हिस्सा ले चुकी हैं।

सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में पीएचडी एडमिशन शुरु

दिनांक : 16 अप्रैल 2021


  • 8 कोर्स में पीएचडी पाठ्यक्रम हेतु आवेदन
  • बौद्ध अध्ययन, योग, भारतीय शिक्षा एवं समग्र विकास, चीनी भाषा
  • सामान्य एवं पार्ट टाइम पीएचडी कोर्सेस
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में पीएचडी हेतु प्रवेश प्रक्रिया शुरु हो गई है। अकादमिक सत्र 2021-22 में विश्वविद्यालय ने 8 पाठ्यक्रमों में शोधार्थियों से आवेदन मांगे है। बौ्द्ध अध्ययन, वैदिक अध्ययन, भारतीय शिक्षा एवं समग्र विकास, योग, भारतीय चित्रकला, हिन्दी, अंग्रेजी और चीनी भाषा में पीएचडी के इच्छुक आवेदन कर सकते हैं।

कोरोना के चलते इस बार पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन रखी गई है। आवेदन 23 अप्रैल तक भरे जा सकते हैं एवं 25 अप्रैल को लिखित परीक्षा हेतु योग्य उम्मीदवारों की सूची जारी की जाएगी। लिखित परीक्षा और इंटरव्यू की ताऱीखों का ऐलान बाद में किया जाएगा। इस बार नियमित शोधार्थियों के साथ पार्ट टाइम में भी पीएचडी शोधार्थी आवेदन कर सकते हैं। विदेशी छात्रों, एनआरआई, पीआईओ, स्पॉन्सरशिप और फैलोशिप वाले शोधार्थियों को ऑनलाइन परीक्षा से छूट रहेगी और वो सीधे इंटरव्यू में बैठेंगे।

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय भारतीय औऱ बौद्ध अध्ययन के साथ शिक्षा के अन्य पहलुओं पर गंभीर अध्ययन अध्यापन एवं शोध पर केंद्रित संस्थान है। पीएचडी छात्रों को देश-दुनिया के प्राध्यापक, विद्वान और विषय विशेषज्ञों का मार्गदर्शन प्राप्त होता है।

सांची विश्वविद्यालय में अम्बेडकर जयंती के आयोजन

दिनांक : 14 अप्रैल 2021


  • दलित, अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक शब्द अंग्रेजों की देन
  • डॉ आंबेडकर की ग्रंथावली का अध्ययन ज़रूरी
  • बाबा साहब स्वतंत्रता का अर्थ सामाजिक स्वतंत्रता बताते थे
  • महिलाओं को संपत्ति में अधिकार की पहल डॉ अम्बेडकर ने की थी


बाबा साहेब अंबेडकर की 130वी जयंती पर सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया गया।

इस अवसर पर कुलपति डॉक्टर नीरजा गुप्ता ने कहा कि अंबेडकर ग्रंथावली और उनकी लिखी डायरी पढ़ने से उनके विचार जानने को मिलेंगे। जिसके लिए ज़रूरी है कि मूल तक जाकर विचार खड़ा किया जाय।

उनका कहना था कि दलित शब्द अंग्रेज लेकर आए थे,अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक भी हमारे शब्द नहीं हैं बल्कि अंग्रेजों की देन हैं। जबकि बाबा साहेब ने तो वो पाबंदियां हटाने पर जोर दिया जिसे अंग्रेजों ने लगवाया था। उन्होंने कहा कि डॉ अंबेडकर भारतीयता के बड़े पैरोकार थे।

इस मौके पर संस्कृत विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ विश्वबंधु ने कहा कि डॉ अंबेडकर द्वारा संस्कृत को भारत की आधिकारिक भाषा बनाने हेतु संविधान सभा समेत अन्य प्रयास किये गए थे।

बौद्ध अध्ययन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ रमेश रोहित ने बताया कि डॉ अंबेडकर बचपन में संस्कृत ना पढ़ पाने से व्यथित थे।

भारतीय दर्शन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ नवीन दीक्षित ने दलित समाज को मुख्यधारा में जोड़कर समतामूलक समाज की स्थापना के प्रयासों पर दृष्टि डाली।

उन्होंने बताया कि डॉ अंबेडकर ने महिलाओं को संपत्ति में समानता का अधिकार हेतु पहल की थी। उन्होंने बताया कि डॉ अंबेडकर स्वतंत्रता का अर्थ सामाजिक आजादी को बताते थे। उन्होंने अंग्रेजों के बनाये पैमाने पर सामाजिक भेदभाव का विरोध किया।

सांची विश्वविद्यालय टीम ने टीका उत्सव हेतु किया जागरुक

दिनांक : 14 अप्रैल 2021


  • कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने की टीका लगवाने की अपील
  • सांची, सलामतपुर और दीवानगंज में जागरुकता अभियान
  • लोगों को टीका लगवाने हेतु समझाइश, टीका केंद्र पहुंचाया
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा कोरोना से बचने हेतु टीका उत्सव में भागीदारी की गई। कुलपति डॉ नीरजा ए गुप्ता ने अगुवाई करते हुए सलामतपुर एवं सांची में लोगों को टीकाकरण हेतु जागरुक किया। विश्वविद्यालय द्वारा अलग-अलग टीम बनाकर सांची, सलामतपुर और दीवानगंज में कोरोना वैक्सीन के प्रति जागरुक किया गया।

विवि के मेडिकल स्टॉफ की अगुवाई में सांची, सलामतपुर और दीवानगंज के टीका केंद्रों में जागरुकता अभियान चलाया गया। इस दौरान ग्रामीणों की शंकाओं का समाधान किया गया एवं कोरोना से बचाव हेतु वैक्सीन के फायदे गिनाए। कुछ ग्रामीण अंधविश्वास के चलते टीका लगवाने के अनिच्छुक थे उनको समझाइश देकर वैक्सीन लगवाने हेतु प्रेरित किया गया।

विवि के समस्त स्टॉफ को मय परिवार, छात्रों और उनके परिजनों को वैक्सीन लगवाने हेतु पूर्व में ही निर्जा चुका है। विवि में अध्ययनरत सभी छात्रों को अपने -अपने परिजनों को जो टीका हेतु आयुसीमा में आते हैं उन्हें टीका लगवाने हेतु छात्रों को पहल करने की अपील की गई। सांची विवि लगातार टीकाकरण के प्रति जागरुकता फैलाने एवं वैक्सीन से जुड़े सवालों के जवाब देने के लिए मोबाइल टीम बनाकर विवि परिसर के आसपास के 12 गांव में कार्य कर रहा है। सांची विवि के कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने भी पूरे कार्य की निगरानी और फील्ड पर व्यवस्था का जायजा लिया।

आजादी का अमृत महोत्सव में हिंदू अस्मिता बोध पर चर्चा

दिनांक : 9 अप्रैल 2021

  • “भारतीय राष्ट्रवाद” का यथार्थ “भू सांस्कृतिक राष्ट्रवाद” से उत्पन्न
  • हिन्दुत्व “एक जातीय, सांस्कृतिक और राजनैतिक” पहचान- डॉ सावरकर
  • विचार करने की आवश्यकता कि हम गुलाम क्यों हुए-डॉ विश्वबंधु

आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में स्वतंत्रता संग्राम एवं हिंदू अस्मिता पर संगोष्ठी संपन्न हुई। आजादी के 75 साल के उत्सव के अंतर्गत 75 हफ्तें तक चलने वाले कार्यक्रमों की कड़ी में डॉ विशवबंधु ने स्वतन्त्रता संग्राम में “हिन्दू अस्मिता-बोध” के महत्त्व को रेखांकित किया।

डॉ विशवबंधु ने स्वतत्रंता संग्राम में “हिन्दू अस्मिता-बोध” के महत्त्व को रेखांकित करते हुए बताया कि स्वतत्रता संग्राम ने अपनी संकल्पना “स्वदेशी राष्ट्रीय भावना” से ही प्राप्त की थी। “स्वदेशी राष्ट्रीय भावना” शब्द “भारतीय राष्ट्रवाद” को सन् ईस्वी 1789 में फ्रांसीसी क्रान्ति में सशक्त रूप से उभरे “राष्ट्रवाद” से पृथक् करती है। “भारतीय राष्ट्रवाद” का यथार्थ “भू सांस्कृतिक राष्ट्रवाद” शब्द से प्रकट होता है । और इसी से ही “बृहत् भारत” की परिकल्पना मूर्त्त रूप लेती है ।

वीर विनायक दामोदर सावरकर के द्वारा सन् ईस्वी 1923 में “Essentials of Hindutva” पुस्तक में “हिन्दुत्व” की अवधारणा का प्रतिपादन किया । उनके द्वारा हिन्दुत्व को “एक जातीय, सांस्कृतिक और राजनैतिक” पहचान के तौर पर प्रतिपादित किया गया । हिन्दु राष्ट्रवाद का जो सर्वाङ्ग सम्पूर्ण दर्शन हमारे सामने वीर सावरकर ने रखा, उसके बीज 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में “हिन्दु पुनर्जागरण” में मिलते है ।

19 वीं शती में “हिन्दू अस्मिता” के उत्प्रेरक नभगोपाल मित्र, राजनारायण बसु, बंकिम चन्द्र चटर्जी तथा बाल-पाल-लाल की तिगडी की रचनाओं का जिक्र किया गया ।

वरिष्ठ वक्ता डॉ नवीन मेहता ने अखंड भारत की संकल्पना व्यक्त करते हुए कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रभाकर पांडे ने किया।

स्वराज, स्वराष्ट्र एवं स्व

03 अप्रैल 2021


  • सांची विश्वविद्यालय में आज़ादी का अमृत महोत्सव
  • राष्ट्र, हिंद स्वराज और अध्यात्म पर परिचर्चा
आज़ादी के अमृत महोत्सव के व्याख्यानों की कड़ी में आज सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में “स्वराज, स्वराष्ट्र एवं स्व” विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया। इस व्याख्यान में भारतीय दर्शन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. नवीन दीक्षित ने स्वतंत्रता, स्वराज और राष्ट्र की संकल्पना पर बातचीत की।

डॉ. दीक्षित ने बताया कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय से ही ‘राष्ट्र’ का अर्थ रहा है-एक ऐसा देश जिसकी अपनी स्वतंत्र शासन प्रणाली हो, जो रियासतों में न बंटा हुआ हो और जो राजनीतिक, सामरिक व भौगोलिक दृष्टि से एक हो। डॉ नवीन दीक्षित का कहना था कि 1792 की फ्रांसिसी क्रांति ने पूरी दुनिया में वंशवादी शासन प्रणाली के स्थान पर लोकतांत्रिक शासन प्रणाली स्थापित किए जाने की चेतना उतपन्न की।
डॉ नवीन दीक्षित ने अपने व्याख्यान में बताया कि तत्कालीन शिक्षा के माध्यम से भी लोग जागृत हुए और स्वतंत्र राज्य की मांग करने लगे। 1909 में महात्मा गांधी ने “हिंद स्वराज” नाम की किताब लिखी जिसमें राष्ट्र की स्पष्ट संकल्पना की गई थी।

डॉ दीक्षित का कहना था कि गांधी जी के स्वराज की संकल्पना में मिल मालिक, मिल मज़दूर, महिला-पुरुष, बुद्धिजीवी, श्रमजीवी सभी एक हो गए थे। उन्होंने ‘स्व’ पर चर्चा करने के दौरान भारत के अध्यात्म व दर्शन का ज़िक्र भी किया। उनका कहना था कि मनुष्य अपने आप में ही एक आध्यात्मिक, दार्शनिक व धार्मिक प्रणाली है। उन्होंने न्याय वैशिष्ठ, मीमांसा दर्शन, सांख्य दर्शन, अद्वैत दर्शन, चारवाक दर्शन, बौद्ध मत व जैन मत में ‘स्व’ को व्याख्यायित किया और बताया कि इन कालों में भारत एक पूर्ण स्वराज था।

सांची विश्वविद्यालय में प्रत्येक सप्ताह आज़ादी के अमृत महोत्सव के आयोजनों के तहत व्याख्यानों का आयोजन किया जा रहा है। पूरे देश के साथ-साथ मध्य प्रदेश सरकार भी आज़ादी के 75 वर्ष होने पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रही है।

शहीद दिवस पर भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरू को याद किया गया

23-03-2021

  • सांची विश्वविद्यालय में आज़ादी का अमृत महोत्सव
  • स्वतंत्रता आंदोलन में नारों के महत्व पर परिचर्चा

सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में आज ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के तहत शहीद दिवस मनाया गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय में एक व्याख्यानमाला आयोजित कर देश की आज़ादी के अमर सपूतों- भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव को याद किया गया। 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में बंद इन तीन देश के सपूतों को अंग्रेज़ों ने फांसी दे दी थी।

इस मौके पर विश्वविद्यालय के सह प्राध्यापक डॉ नवीन मेहता ने दिनांकवार आज़ादी की अमर गाथा को प्रस्तुत किया। डॉ मेहता ने अंग्रेज़ों के साथ लड़ी गई आज़ादी की लंबी लड़ाई के दौरान अलग-अलग राजनेताओं और क्रांतिकारियों द्वारा दिए गए नारों का ज़िक्र किया।

डॉ मेहता ने बताया कि ‘इंकलाब ज़िंदाबाद’ का नारा कहा से लिया गया था। इसी तरह से आज़ादी की लड़ाई में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बंकिम चंद चटर्जी, गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर इत्यादि को याद किया गया। डॉ नवीन मेहता ने बताया कि कैसे इन नारों के द्वारा राजनेताओं द्वारा जनआंदोलन बनाया गया और इसने अंग्रेज़ों से लोहा लेने के लिए आम लोगों को प्रेरित किया ।

अंग्रेज़ों भारत छोड़ो, करो या मरो, तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा, सरफरोशी की तम्नना अब हमारे दिल में है, मारो फिरंगी को, स्वराज, विजयी ये विश्व तिरंगा प्यारा, वंदेमातरम इत्यादि नारों का ज़िक्र भी किया गया। इस मौके पर मध्य प्रदेश के वीर क्रांतिकारी व स्वतंत्रता सैनानी चंद्रशेखर आज़ाद को भी याद किया गया।

पूरे देश के साथ-साथ मध्य प्रदेश सरकार भी आज़ादी के 75 वर्ष होने पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रही है। इसी तारतम्य में सांची विश्वविद्यालय में भी लगातार अभिभाषण व परिचर्रचाएं आयोजित की जा रही हैं।

दो शिक्षण संस्थानों से सांची विश्वविद्यालय ने किया एम.ओ.यू

17-03-2021

  • महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय और भारत शोध संस्थान
  • स्टूडेंट, फैकल्टी, शोधार्थी के लिए होंगे आपसी एक्सचेंज प्रोग्राम
  • एक दूसरे को सहयोग प्रदान करेंगे संस्थान

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा देश के दो नामी शिक्षण संस्थानों के साथ एम.ओ.यू हस्ताक्षरित किया गया है। बिहार के मोतिहारी के महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय व गुजरात के अहमदाबाद स्थित भारत शोध संस्थान, सांची विश्वविद्यालय के साथ शैक्षणिक व शोध के क्षेत्र में एक दूसरे को आपसी सहयोग प्रदान करेंगे। भोपाल में आयोजित सार्थक एडुविज़न नेशनल एक्सपो के दौरान विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता व महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ संजीव कुमार शर्मा व भारत शोध संस्थान के प्रमुख के बीच ये आपसी एम.ओ.यू हस्ताक्षरित किए गए।

इन एम.ओ.यू के तहत दोनों ही संस्थान सांची विश्वविद्यालय के साथ आपस में स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम, फैकल्टी एक्सचेंज प्रोग्राम, रिसर्च स्कॉलर एक्सचेंज प्रोग्राम, स्पॉनसर्ड पी.एच.डी, कोलेबोरेटिव प्रोजेक्ट्स समेत कई अन्य बिंदुओं पर परस्पर सहयोग करेंगे। डॉ. संजीव शर्मा ने एम.ओ.यू हस्ताक्षर के दौरान प्रसन्नता ज़ाहिर करते हुए कहा कि इससे विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को शोध और नवाचार के क्षेत्र में बेहतर कर पाने के अवसर प्राप्त होंगे।

भोपाल में आयोजित किए गए सार्थक एडुविज़न नेशनल एक्सपो में लगाए गए सांची विश्वविद्यालय के स्टॉल पर आज मध्य प्रदेश की संस्कृति मंत्री सुश्री ऊषा ठाकुर भी पहुंचीं। स्टॉल में उपस्थित विश्वविद्यालय के शिक्षकों और अधिकारियों से उन्होंने बातचीत कर महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, व भारत शोध संस्थान के साथ किए गए एम.ओ.यू पर बधाई दी।

सांची विश्वविद्यालय की नई वेबसाइट का लोकार्पण

15-03-2021

  • संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री सुश्री ऊषा ठाकुर ने किया लॉन्च
  • यूजर एवं मोबाइल फ्रेंडली है नवीन वेबसाइट
  • आज़ादी के अमृत महोत्सव श्रृंख्ला के तहत लोकापर्ण
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की नई वेबसाइट का लोकार्पण प्रदेश की संस्कृति मंत्री सुश्री ऊषा ठाकुर द्वारा किया गया। आज़ादी का अमृत महोत्सव श्रृंखला अंतर्गत संस्कृति मंत्री महोदया द्वारा माऊस को क्लिक कर वेबसाइट के नए‌ संस्करण को जारी किया गया।

विश्वविद्यालय वेबसाइट लोकार्पण अवसर पर मंत्री महोदया ने कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता को बधाई दी। कुलपति महोदया ने संस्कृति मंत्री को अवगत कराया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय की वेबसाइट को अधिक से अधिक छात्रों एवं शिक्षा जगत तक पहुंचाने के उद्देश्य से इसे अंग्रेज़ी में तैयार किया गया है।

कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.sanchiuniv.edu.in का हिंदी संस्करण भी शीघ्र उपलब्ध होगा। इसके अलावा अन्य दक्षिण एशियाई देशों की भाषाओं में भी वेबसाइट के कंटेंट को उपलब्ध कराया जाएगा। विश्वविद्यालय की नई वेबसाइट में शोधार्थियों, छात्रों, शिक्षण, परीक्षा इत्यादि संबंधी समस्त जानकारी को अपडेट कर प्रस्तुत किया गया है।

नई वेबसाइट यूजर फ्रेंडली है और विश्वविद्यालय से संबंधित जानकारी के एकल स्रोत के रूप में कार्य करती है। यह वेबसाइट नवीनतम तकनीक पर आधारित है और इसे मोबाइल फ्रेंडली बनाया गया है।

सांची विश्वविद्यालय में मना आजादी का अमृत महोत्सव

दिनांक 12-03-2021


  • गांधीजी, स्वतंत्रता संग्राम और देश की सांस्कृतिक विरासत पर चर्चा
  • आजादी वैचारिक शक्ति, सहेजकर रखने की आवश्यकता
  • विचार करने की आवश्यकता कि हम गुलाम क्यों हुए-डॉ विश्वबंधु


आजादी का अमृत महोत्सव सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में समारोहपूर्वक मनाया गया। वर्ष 2022 में देश की आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं। इस सिलसिले में 75 हफ्तें तक चलने वाले कार्यक्रमों की कड़ी में विश्वविद्यालय ने गांधीजी, स्वतंत्रता संग्राम और देश की सांस्कृतिक विरासत पर चर्चा की। सांची विश्वविद्यालय में अमृत महोत्सव का प्रारंभिक समारोह 12 मार्च से 15 मार्च तक मनाया जा रहा है और 15 मार्च को विश्वविद्यालय की नवीन वेबसाइट का लोकार्पण भी किया जाएगा।

वरिष्ठ वक्ता डॉ नवीन मेहता ने आजादी आंदोलन को स्वाभिमान और स्वालबंन से जोड़ने से गांधीजी के विचार पर प्रकाश डालते हुए दांडी यात्रा के विचार और परिस्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि गांधीजी ने समझा कि नमक के लिए भी अंग्रेज देश को दूसरे देश पर निर्भर बनाकर देश को तोड़ना चाहते हैं। डॉ प्रभाकर पांडे ने अमृत महोत्सव पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 75 हफ्ते तक चलने वाले समारोह में आजादी के लिए लड़ने वाले शहीदों को याद करने के साथ आजादी के शताब्दी वर्ष के लिए भारत का विजन भी प्रस्त किया जाएगा। आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह के 91 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री मोदी ने साबरमती आश्रम से अमृत महोत्सव की शुरुआत की और दांडी यात्रा को हरी झंडी दिखाई।

डॉ विश्वबंधु ने स्वदेशी आंदोलन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये समारोह हमें इस बिंदु पर विचार का मौका देता है कि आखिर हम गुलाम क्यों हुए। उन्होने कहा कि देश की मिट्टी से हमें वैचारिक संस्कार प्राप्त होते है और आत्मनिर्भर हुए बिना विकास संभव नहीं है। डॉ नवीन दीक्षित ने दांडी मार्च और गांधीजी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अपने विचार रखे। डॉ देवेन्द्र सिंह ने इस अवसर पर एकजुटता की आवश्यकता प्रतिपादित की। कार्यक्रम का संचालन डॉ रमेश रोहित ने किया।

सांची विश्वविद्यालय में महिला दिवस पर कई आयोजन

                                                                                                                                                                                                                                                      08 मार्च, 2021

सांची विश्वविद्यालय में महिला दिवस पर कई आयोजन  

  • ग्राम बिलारा और बारला की महिलाओं संग मनाया महिला दिवस
  • ग्रामीण महिलाओं के साथ शिक्षकों ने खेली म्यूज़िकल चेयर रेस
  • तटस्थ होकर फैसले लेने से महिला सशक्त होंगी- डॉ. मोनिका शुक्ला, मुख्य अतिथि
  • अपनी खोल से निकलकर ही नई ऊंचाइयां छू सकती हैं महिलाएं- डॉ. नीरजा गुप्ता

            सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन महिलाओं की अगुआई में हुआ। महिलाओं के लिए, महिलाओं द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विश्वविद्यालय प्रांगण के नज़दीक बसे गांव बिलारा व बारला की महिलाएं सम्मिलित हुई व कन्यापूजन से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रायसेन की एस.पी डॉ मोनिका शुक्ला ने ‘महिला सुरक्षा व महिला सशक्तिकरण’ पर संबोधित किया।

डॉ शुक्ला ने कहा कि महिलाओं को सशक्त होने के लिए तथस्थ होकर फैसला लेने की क्षमता विकसित करनी होगी। उन्होंने कहा कि महिलाएं तभी सशक्त हो सकती हैं सकती हैं जब वे अपने ऊपर होने वाले आर्थिक, मानसिक व शारीरिक भेदभाव को रिपोर्ट करेंगी। डॉ शुक्ला ने छात्राओं व महिलाओं को सलाह दी कि कार्य व जीवन में बैलेंस(सम) आवश्यक है।

डॉ शुक्ला का कहना था कि स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में सप्ताह में एक बार काउंसलिंग का पीरियड होना चाहिए ताकि कोई भी छात्रा/महिला अपने ऊपर हुए दुर्रव्यहार को रिपोर्ट कर सके। उन्होने सलाह दी कि लड़कियों को बचपन से गुड टच, बेड के बारे में बताना चाहिए और माता पिता को बच्चियों के व्यवहार को समझना चाहिए।

विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने अपने उद्बोधन के द्वारा महिलाओं को प्रेरित किया। उन्होंने इस वर्ष के ध्येय वाक्य - Choose to Challenge को साकार करने की आवश्यकता जताई। अपने उद्बोधन में उन्होंने पंजाब और बिहार की दो महिलाओं के साथ बीती सच्ची घटनाओं के ज़रिए प्रेरित किया। उनका कहना था कि महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए अपने कंफर्ट ज़ोन(खोलों) से निकलना होगा ताकि वे आसमान की ऊंचाइयों को छू सकें। ग्राम बारला एवं बिलारा की महिलाओं ने भी कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

महाभारत में द्रोपदी चीरहरण के दृश्य पर कृष्ण व अर्जुन के बीच हुए संवाद का  ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि करुणा के माध्यम से ही धर्म का निर्वह्न हो सकता है। उन्होने कहा कि लक्ष्मण रेखा रावण के लिए बनी थी लेकिन कब वो सीता के लिए बन गई पता ही नहीं चला और मौजूदा दौर में हमें पुराने कथानकों का पुनः पाठ करने की आवश्यकता है। बिलारा ग्राम से आई हुई महिलाओं से उन्होंने कहा कि वे उन्हें सलाम करती हैं क्योंकि वे जीवन के अनुभवों से सीखती हैं।

कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता महिला दिवस पर उत्तराखंड के कुमाउं विश्वविद्यालय, गुजरात विश्वविद्यालय में ऑनलाइन एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के समारोह में भी सम्मिलित हुई। सांची विश्वविद्यालय में आयोजित इस महिला दिवस कार्यक्रम में ही ग्राम बिलारा की महिलाओं एवं कन्याओं के साथ विश्वविद्यालय की महिला शिक्षकों व कर्मचारियों तथा छात्राओं ने म्यूज़िकल चेयर रेस का भी लुत्फ उठाया। 



सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय को मिली यूजीसी की 12-बी मान्यता

                                                                                                                                                                                                                                                                     03 मार्च, 2021

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय को मिली यूजीसी की 12-बी मान्यता

  • यूजीसी से विभिन्न मदों में वित्तीय अनुदान मिल सकेगा
  • 2(F)के बाद सांची विश्वविद्यालय को मिली 12-B मान्यता
  • यूजीसी एवं केंद्रीय संस्थाओं से अनुदान मिलने का रास्ता खुला
  • अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में और मेहनत करेंगे-कुलपति

            सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से 12-बी की मान्यता प्रदान की गई है। 12-बी हेतु सांची विश्वविद्यालय के प्रस्ताव और उक्त संदर्भ में 16-17 जनवरी को यूजीसी विशेषज्ञ समिति द्वारा की गई अनुशंसा के आधार पर यूजीसी स्टेंडिंग कमेटी ने सांची विश्वविद्यालय को 12-बी जारी करने का निर्णय लिया। 18 फरवरी को यूजीसी की 550वीं बैठक में सांची विश्वविद्यालय को 12-बी मान्यता पर निर्णय हुआ।

            सांची विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 1956 के नियम 12-बी की मान्यता प्राप्त होने से अकादमिक कार्यों, विभिन्न विभागीय शोध परियोजनाओं, नए अध्ययन केंद्र की स्थापना, विशेष अध्ययन पीठ हेतु आर्थिक सहायता मिल सकेगी। 12-बी एवं 2 एफ में पंजीकृत विश्वविद्यालयों एवं संस्थाओं को यूजीसी संगोष्ठी एवं समारोह, लाइब्रेरी, शिक्षण एवं आधारभूत संरचना जैसे अलग-अलग मदों में वित्तीय अनुदान देता है। यूजीसी के अलावा केंद्र की अन्य संस्थाओं से भी सांची विश्वविद्यालय को वित्तीय एवं अलग-अलग मदों में सहायता मिल सकेगी। यूजीसी द्वारा संचालित शोधसिंधु डेटाबेस का लाभ भी 12-बी प्राप्त होने से मुफ्त में मिल सकेगा। शोध सिंधु में देशभर में हो रही शोध परियोजनाओं एवं जर्नल्स का डेटाबेस है।

            इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने हर्ष जताते हुए कहा कि सांची विश्वविद्यालय अपने उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु और ज्यादा मेहनत करेगा। डॉ गुप्ता ने कहा कि 12-बी प्राप्त होने से विश्वविद्यालय में सुविधाओं और शिक्षा की गुणवत्ता को और बेहतर करने में मदद मिलेगी। उन्होंने इस अवसर पर संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव और कुलपति रहे श्री शिव शेखर शुक्ला को विशेष धन्यवाद देते हुए छात्रों, अध्यापकों एवं स्टॉफ को उपलब्धि के साथ जुड़ी चुनौतियों के लिए अभी से जुट जाने का आव्हान किया। कुलपति महोदया ने यूजीसी द्वारा सांची विश्वविद्यालय को जल्द से जल्द NAAC सर्टिफिकेट प्राप्त करने के पत्र पर कार्यवाही हेतु अधिकारियों को निर्देशित किया है।

            मध्य प्रदेश शासन संस्कृति मंत्रालय अंतर्गत वर्ष 2012 में गठित सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय अकादमिक उत्कृष्टता की ओर अग्रसर है। बौद्ध एवं भारतीय दर्शन के विभिन्न आयामों पर गहन शोध एवं उच्चस्तरीय अध्ययन के उद्देश्य से स्थापित सांची विश्वविद्यालय ने स्थापना के बाद से ही शोध और पुरातन विषय़ों के अध्ययन अध्यापन में अनूठी पहचान बनाई है।  

Sanchi University of Buddhist-Indic Studies gets 12-B accreditation of UGC 

  • Financial grants will be available from UGC in various items
  • Sanchi University got 12-B accreditation after 2 (F)
  • Will work harder to achieve slated objectives - VC

 

            Sanchi University of Buddhist-Indic Studies has been included by University Grant Commission (UGC) under Section 12 (B) of UGC act, 1956.  Based on the proposal of Sanchi University for 12-B and the recommendation made by the UGC Expert Committee on 16-17 January in the above context, the UGC Standing Committee decided to issue 12-B to Sanchi University. The 550th meeting of the UGC on February 18 decided on 12-B recognition for Sanchi University of Buddhist-Indic Studies.

            With 12(B), Sanchi University has been declared fit to receive UGC grant as central assistance. UGC Under Secretary Dr. Naresh Kumar Sharma has sent a letter to the university informing about the decision. UGC provides financial assistance to only those universities, colleges which are in its list under section 12(B) of the UGC act ,1965. Now Sanchi University will be eligible to get financial assistance from UGC for minor/major research projects, organizing seminars, posts of teachers under various schemes, new study centers and other facilities. Apart from UGC, Sanchi University will also be able to get financial and other assistance from other institutions of the Center. The benefit of Shodsindhu database operated by UGC will also be available for free by getting 12-B. Shodsindhu has a database of research projects and journals taking place across the country.

            Expressing happiness over this achievement, the Vice Chancellor of the University Dr. Neerja Gupta said that Sanchi University will work harder to achieve its objectives. Dr. Gupta said that getting 12-B will help in further improving the facilities and quality of education in the University. On this occasion, she extended special thanks to Shri Sheo Shekhar Shukla, Principal Secretary of the Department of Culture and called upon the students, teachers and staff to join hands for the challenges associated with this achievement. Madam Vice Chancellor has directed the authorities to take action on the letter from UGC to Sanchi University to get NAAC certificate as soon as possible.  

            Sanchi University of Buddhist-Indic Studies, formed in the year 2012 under the Ministry of Culture, Government of Madhya Pradesh, is heading towards academic excellence. Established for the purpose of in-depth research and high-level study on various dimensions of Buddhist and Indian philosophy, Sanchi University has made a unique mark in research and teaching of ancient subjects since its inception.


विश्वविद्यालय बनेगा भारतीय संस्कृति के पुनर्पाठ का अगुआ- डॉ. नीरजा

                                                                                                                                                                                                                                                दिनांक 24.02.2021

विश्वविद्यालय बनेगा भारतीय संस्कृति के पुनर्पाठ का अगुआ- डॉ. नीरजा

  • शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कर्मचारियों से की भेंट
  • 'भारतीय संस्कृति के पुनर्पाठ का अगुवा बनेगा विवि’
  • ‘पढ़ाई के साथ-साथ कार्य की गुणवत्ता बढ़ानी होगी’
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा ए. गुप्ता ने बारला स्थित अकादमिक परिसर में अकादमिक एवं कार्यालयीन अधिकारी कर्मचारियों के साथ मुलाकात की। डॉ गुप्ता ने सभी विभागों का दौरा किया एवं शैक्षिक स्टॉफ से अपने-अपने विभाग से जुड़ी योजनाएं बनाने का निर्देश दिया।

डॉ. गुप्ता ने कहा कि उनके प्रयास होंगे कि विश्वविद्यालय को नई ऊंचाइयों, नए आयाम पर ले जाया जाए। उन्होंने कहा कि वे प्राथमिकता पर विश्वविद्यालय में अधिक से अधिक विदेशी छात्र-छात्राओं को प्रवेश करा सकें तथा नए पाठ्यक्रम प्रारंभ कराने पर कार्य करेंगी। उनका कहना था कि विदेशी छात्रों की संख्या बढ़ाए जाने के लिए वे विदेशी विश्वविद्यालयों से समन्वय और एमओयू स्थापित करने का प्रयास करेंगी। उन्होने अपने कार्यकाल की प्राथमिकता बताते हुए कहा कि उनका प्रयास विश्वविद्यालय को भारतीय संस्कृति के पुनर्पाठ का अगुवा बनाने पर होगा।

डॉ. नीरजा गुप्ता ने कहा कि विश्वविद्यालय में पढ़ाई के साथ साथ कार्य की गुणवत्ता बढ़ाने पर उनका ज़ोर होगा और आवश्यकता होने पर वे कार्य को सुगम बनाने के लिए नई सुविधाओं का विकास भी करेंगी।

 

डॉ. नीरजा गुप्ता ने संभाली सांची विश्वविद्यालय की कमान

दिनांक 23.02.2021

 

डॉ. नीरजा गुप्ता ने संभाली सांची विश्वविद्यालय की कमान

  • डॉ नीरजा गुप्ता ने कुलपति का पदभार किया ग्रहण
  • जम्मू-कश्मीर संबंधी कार्यों की मुख्य निदेशिका रह चुकी हैं डॉ. गुप्ता
  • गुजरात विवि के विदेश शिक्षा कार्यक्रम की पूर्व सलाहकार

डॉ. नीरजा ए. गुप्ता ने सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार ग्रहण कर लिया है। डॉ. गुप्ता ने भोपाल पहुंचकर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कार्यालय में पद संभाला। कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी व उपकुलसचिव श्रीमति वंदना जैन ने नवागत कुलपति महोदया का स्वागत कर पदभार ग्रहण की औपचारिकताएं पूर्ण कराईं।

सांची विश्वविद्यालय से पूर्व डॉ. नीरजा ए. गुप्ता गुजरात अहमदाबाद के खानपुर स्थित भारतीय विद्या भवन के आर.ए कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स में प्रोफेसर व प्राचार्य के पद पर सेवाएं दे रही थीं।

डॉ. गुप्ता को गृह मंत्रालय द्वारा जम्मू एवं कश्मीर से संबंधित महत्वपूर्ण कार्यों में मुख्य निदेशिका के रूप में भी नियुक्त किया गया था। 

डॉ. गुप्ता 2006 से 2012 तक अहमदाबाद के गुजरात विश्वविद्यालय के विदेश शिक्षा कार्यक्रम की सलाहकार भी रह चुकी हैं। उन्होंने 1992 में मेरठ विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की थी। वे हिंदी, संस्कृत, गुजराती, मराठी, असमिया के अतिरिक्त उर्दू भाषा का भी ज्ञान रखती हैं। साथ ही साथ प्राकृत जैसी प्राचीन भारतीय भाषा में भी उन्हें महारथ हासिल है। अंग्रेज़ी के साथ-साथ डॉ गुप्ता रूसी भाषा पर भी विद्वता रखती हैं और वे अकादमिक कार्यक्रमों हेतु 42 देशों की यात्राएं कर चुकी है। डॉ गुप्ता 16 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों से भी जुड़ी हुई हैं।


सांची विश्वविद्यालय की कुलपति बनीं डॉ नीरजा ए गुप्ता


                                                                                                                                                                                                                                                   दिनांक 22.02.2021

सांची विश्वविद्यालय की कुलपति बनीं डॉ नीरजा ए गुप्ता

  • असमिया व उर्दु सहित 9 भारतीय भाषाओं की ज्ञाता
  • संस्कृत के अतिरिक्त प्राचीन प्राकृत भाषा पर है महारथ
  • अंग्रेज़ी के साथ-साथ रूसी भाषा पर भी रखती हैं विद्वता
  • रामायण के विभिन्न संस्करणों पर कर चुकी हैं शोध
  • गुजरात विवि के विदेश शिक्षा कार्यक्रम की पूर्व सलाहकार

 

मध्य प्रदेश की राज्यपाल श्रीमति आनंदी बेन पटेल ने डॉ. नीरजा ए. गुप्ता को सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया है। म.प्र राजभवन से जारी आदेश में उनकी नियुक्ति पदभार ग्रहण करने से 4 वर्ष या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने की दिनांक तक की गई है। डॉ. नीरजा गुप्ता वर्तमान में गुजरात अहमदाबाद के खानपुर स्थित भारतीय विद्या भवन के आर.ए पी जी कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स में प्रोफेसर व प्राचार्य हैं।

डॉ. गुप्ता 2006 से 2012 तक अहमदाबाद के गुजरात विश्वविद्यालय के विदेश शिक्षा कार्यक्रम की सलाहकार भी रह चुकी हैं। उन्होंने 1992 में मेरठ विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की थी। वे हिंदी, संस्कृत, गुजराती, मराठी, असमिया के अतिरिक्त उर्दू में भी ज्ञान रखती हैं। साथ ही साथ प्राकृत जैसी प्राचीन भारतीय भाषा में भी उन्हें महारथ हासिल है। अंग्रेज़ी के साथ-साथ डॉ गुप्ता रूसी भाषा पर भी विद्वता रखती हैं और वे अकादमिक कार्यक्रमों हेतु 42 देशों की यात्राएं कर चुकी है। डॉ गुप्ता 16 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों से भी जुड़ी हुई हैं।

डॉ. नीरजा गुप्ता ने 2011 में रामायण के विभिन्न संस्करणों पर एक शोध परियोजना भी पूर्ण की है। डॉ. गुप्ता को 2011 में ही शिक्षा की व्यवसायिकता पर शिक्षा शोध परियोजना हेतु शिक्षा भारती पुरस्कार प्राप्त हुआ था। 2013 में डॉ. गुप्ता द्वारा ‘प्रवासियों व विस्थापतों’ पर शोध परियोजना पूर्ण की गई थी। उन्हें 2002 में न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के लीडरशिप इंस्टीट्यूट व लॉयन्स इंस्टीट्यूट का बेस्ट ग्रेजुएट पुरस्कार भी मिल चुका है।

हाल में आपको गृह मंत्रालय द्वारा जम्मू एवं कश्मीर से संबंधित महत्वपूर्ण कार्यों में मुख्य निदेशिका के रूप में भी नियुक्त किया गया है। 

सांची विश्वविद्यालय की साधारण परिषद द्वारा  अनुशंसित नामों के पैनल में से राज्यपाल द्वारा डॉ. नीरजा ए गुप्ता को नियुक्ति प्रदान की गई है। 


सांची विश्विद्यालय में 72वें गणतंत्र दिवस पर लहराया तिरंगा

दिनांक 26 जनवरी, 2021

सांची विश्विद्यालय में 72वें गणतंत्र दिवस पर लहराया तिरंगा

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय मेंं कोविड -19 के संपूर्ण प्रोटोकॉल के साथ 72वां गणतंत्र दिवस मनाया गया। विश्वविद्यालय के डीन  डॉ. ओ.पी. बुधोलिया ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रात: 8 बजे विश्वविद्यालय प्रांगण में ध्वजारोहण किया। कोविड-19 के कारण आयोजन समारोह में कर्मचारी 2 मीटर से अधिक की भौतिक दूरी के साथ खड़े हुए और तिरंगे को फहराया गया। 
डॉ बुधोलिया ने इस अवसर पर संविधान निर्माण के उद्देश्य का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि लोक संस्कृति के माध्यम से ही देश में आध्यात्म और संस्कृति जीवित रह सकती हैं। विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक श्री हरीश चंद्रवंशी ने सभी उपस्थितों से कहा कि संकल्प के माध्यम से ही सुधार हो सकेगा। बौद्ध अध्ययन विभाग के सहायक प्राध्यापक ने तिरंगे के रंगों के विषय में बताया और उपस्थित सभी छात्रों, शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। विश्वविद्यालय के कुलपति श्री शिव शेखर शुक्ला व कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने सभी छात्रों, कर्मचारियों, अधिकारियों व शिक्षकों को गणतंत्र दिवस की बधाई दी ।


यूजीसी की टीम ने किया सांची विश्वविद्यालय का दौरा

                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                         18.01.2021
यूजीसी की टीम ने किया सांची विश्वविद्यालय का दौरा

  • चार सदस्यीय विशेषज्ञ दल ने शिक्षकों और छात्रों से बातचीत की
  • 3 वरिष्ठ प्रोफेसर और अनुदान आयोग के अधिकारी थे सम्मिलित
  • सुविधाओं, छात्रवृत्ति, ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के बारे में ली जानकारी
  • सभी कर्मचारियों से भी की एक-एक कर मुलाकात

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यू.जी.सी की टीम सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय पहुंची। सांची विश्वविद्यालय को यू.जी.सी के 12(बी) श्रेणी में सम्मिलित किए जाने के उद्देश्य से यह 4 सदस्यीय टीम दो दिनों के लिए आई थी। इस टीम में 3 वरिष्ठ प्रोफेसर और एक यू.जी.सी के अवर सचिव स्तर के अधिकारी सम्मिलित थे। शनिवार और रविवार को टीम ने विश्वविद्यालय के रायसेन बारला स्थित अकादमिक परिसर में भ्रमण किया और प्रत्येक शिक्षक से अलग-अलग बातचीत कर अधोसंरचना, पाठ्यक्रमों, परीक्षा व्यवस्था, छात्रों को प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्ति, हॉस्टल सुविधा, कक्षाओं, लाइब्रेरी सुविधा, वाई-फाई, इंटरनेट, शोध के लिए आवश्यक जर्नल, ऑनलाइन कोर्सों, खेल इत्यादि के विषय में सीधे जानकारी ली।

कविकुल गुरु कालीदाससंस्कृत विश्वविद्यालय,रामटेक, महाराष्ट्र के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वेरखेड़ी की अध्यक्षता में सांची विश्वविद्यालय पहुंची टीम में बनारस हिंदु विश्वविद्यालय के इतिहास एवं पुरातत्व विभाग की प्रमुख प्रो. पुष्पलता सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के प्रो. के.टी.एस सराव और यू.जी.सी के समन्वयक अधिकारी के रूप में अवर सचिव डॉ. नरेश शर्मा शामिल थे।

यू.जी.सी की टीम ने विश्वविद्यालय के प्रत्येक हॉस्टल, क्लासों, ऑडिटोरियम, गेस्ट हाउस, मैस इत्यादि को देखा और विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों से बातचीत की। सांची विश्वविद्यालय के कुलपति व म.प्र शासन संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ला, कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी से बातचीत कर विश्वविद्यालय के प्रस्तावित भवन के बारे में बातचीत की और उसकी कार्ययोजना, बजट, म.प्र. सरकार से मिल रहे अनुदान इत्यादि  के बारे में जानकारी ली।

यू.जी.सी के इस दल ने विश्वविद्यालय के कुछ पाठ्यक्रमों के बारे में सलाह भी दी। टीम के द्वारा बताया गया कि किन अन्य विषयों को ऑनलाइन पाठ्यक्रम के रूप में सम्मिलित किया जा सकता है। इस टीम ने विश्वविद्यालय के समस्त कर्मचारियों से भी एक-एक कर भेंट की और प्रत्येक के कार्य के विषय में जाना।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की इस टीम ने सांची विश्वविद्यालय के सलामतपुर स्थित प्रस्तावित परिसर का भी दौरा किया। म.प्र. सरकार द्वारा सांची विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए सलामतपुर में 120 एकड़ ज़मीन का आवंटन किया गया है। यू.जी.सी की टीम ने प्रस्तावित परिसर पर लगे बोधि वृक्ष के भी दर्शन किए। यह बोधि वृक्ष पौधे के रूप में 2012 में  श्रीलंका तत्कालीन राष्ट्रपति श्री महिंदा राजपक्षे साथ लेकर आए थे और उन्होंने इसे यहां लगाया था।

किसी भी विश्वविद्यालय के यू.जी.सी की 12(बी) सूची में सम्मिलित हो जाने पर उसे केंद्रीय सहायता प्राप्त होने लगती है।


सांची विश्वविद्यालय की छात्रा को मिला आदर्श नारी सम्मान

11.01.2021

सांची विश्वविद्यालय की छात्रा को मिला आदर्श नारी सम्मान 

  • जोधपुर की अनंता योग संस्थान ने किया सम्मानित
  • आयुर्वेद में पी.एच.डी कर रही हैं श्वेता नेमा
  • विदिशा में नि:शुल्क योग सिखाती हैं श्वेता

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की शोधार्थी श्वेता नेमा को राजस्थान, जोधपुर की अनंता योग एवं आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान ने आदर्श नारी सम्मान से सम्मानित किया है।

देश की प्रथम शिक्षिका श्रीमती सावित्रीबाई फुले की 190वीं जयंती पर आयोजित किए गए इस सम्मान समारोह में श्वेता नेमा को सामाजिक कार्यों, स्वस्थ, स्वच्छ एवं शिक्षित समाज के निर्माण में सहयोग के लिए प्रदान किया गया है।

श्वेता नेमा सांची विश्वविद्यालय में आयुर्वेद विभाग में पी.एच.डी कर रही हैं। श्वेता विदिशा में वर्षों से  नि:शुल्क योग की कक्षाएं एवं शिविर आयोजित रही हैं। दिसंबर 2019 में ही श्वेता नेमा ने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है। जोधपुर में ही श्वेता नेमा ने लगातार एक घंटे 10 मिनट तक पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास कर यह वर्ल्ड रिकॉर्ड हासिल किया था।  

श्वेता पूर्व में भी हरियाणा में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की योग चैंपियनशिप स्पर्धा में 2 गोल्ड और 1 सिल्वर मेडल हासिल कर चुकी हैं।

योग विज्ञान और फाइन आर्ट में प्रवेश हेतु आवेदन आमंत्रित

07.01.2021

योग विज्ञान और फाइन आर्ट में प्रवेश हेतु आवेदन आमंत्रित

  • ऑनलाइन आवेदन एवं ऑनलाइन इंटरव्यू के ज़रिए मिलेगा प्रवेश
  • सांची विश्वविद्यालय ने जारी किए स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम
  • फाइन आर्ट और चीनी भाषा के पाठ्यक्रम में प्रवेश प्रारंभ
  • ऑनलाइनआवेदन करने की अंतिम तिथि 11 जनवरी, 2021

कोरोना के कारण सभी स्तरों पर छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। जैसे-जैसे हालात सामान्य होते जा रहे हैं। छात्रों का फोकस भी ऐसे पाठ्यक्रमों की ओर बढ़ गया है जिससे उनका वर्ष खराब न हो और ऐसी पढ़ाई की जाए जो जीवन जीने की कला सिखा दे।

मध्य प्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा संचालित किया जाने वाला सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा योग साइंस में एम.एस.सी तथा  फाइन आर्ट में मास्टर डिग्री के पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। खास बात ये है कि आवेदन करने वाले छात्रों को घर बैठे ही आवेदन हेतु इंटरव्यू देने होंगे।

सांची विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। भारतीय दर्शन, बौद्ध अध्ययन, वैदिक अध्ययन, योग विज्ञान, चीनी भाषा, भारतीय शिक्षा एवं समग्र विकास, अंग्रेज़ी, हिंदी, संस्कृत में एम.ए के पाठ्यक्रमों में प्रवेश आमंत्रित किए गए हैं।

इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने के लिए छात्रों को मात्र साक्षात्कार देना होगा। ऑनलाइन प्रवेश की अंतिम तिथि 11 जनवरी, 2021 है। ऑनलाइन इंटरव्यू 19 जनवरी, 2021 को आयोजित किए जाएंगे।

पात्रता मापदंड, प्रवेश प्रक्रिया, फीस, पाठ्यक्रम, साक्षात्कार, छात्रवृत्ति एवं अन्य जानकारी के लिए सांची विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.sanchiuniv.edu.in पर लॉगइन किया जा सकता है। प्रवेश संबंधी प्रश्नों के लिए admission@subis.edu.in पर ईमेल से जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

Press Release - 2020

‘गीता संपूर्ण विश्व के लिए उपयोगी ग्रंथ'- सांची विवि में संगोष्ठी

                                                                                                                                                                                                                                                         23.12.2020

‘गीता संपूर्ण विश्व के लिए उपयोगी ग्रंथ'- सांची विवि में संगोष्ठी

  • ‘गीता, उपनिषद और रामचरितमानस को आमजन तक पहुंचाना आवश्यक’
  • “भगवद्गीता के परिप्रेक्ष्य में ज्ञानयोग एवं कर्मयोग का अनुशीलन” पर ऑनलाइन संगोष्ठी
  • ‘युवा पीढ़ी गीता से जुड़कर अपना कल्याण कर सकती है'
  • ‘व्यक्ति की पात्रता के अनुसार रास्ता बताती है गीता’
  • ‘गीता में‘ज्ञान’ एवं ‘कर्म’ के मार्गों में से कोई भी बड़ा या छोटा नहीं’
  • ‘व्यक्ति अपने साधारण कर्मों के माध्यम से ही सिद्धि प्राप्त कर सकता है’

            सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में “भगवद्गीता के परिप्रेक्ष्य में ज्ञानयोग एवं कर्मयोग का अनुशीलन ” विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी संपन्न हुई। विश्वविद्यालय के कुलपति एवं म.प्र शासन संस्कृति विभाग तथा जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ला ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि गीता, उपनिषद तथा रामचरितमानस जैसे ग्रंथों को आमजन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। श्री शुक्ला के मुताबिक इन ग्रंथों को इतना अधिक व्यापक किया जाना चाहिए कि युवा पीढ़ी इनसे जुड़कर अपना कल्याण कर सके।
            श्री शिव शेखर शुक्ला का कहना था कि गीता, भारत ही नहीं  बल्कि पूरे विश्व के लिए उपयोगी है क्योंकि यह व्यक्ति की पात्रता के अनुसार ज्ञान, कर्म, भक्ति और ज्ञान योग का रास्ता बताती है। उनका कहना था कि गीता में वर्णित 'ज्ञान' एवं 'कर्म' योग के मार्गों में से कोई भी बड़ा या छोटा नहीं है और जीवन के विभिन्न पड़ावों जैसे -बाल अवस्था, युवा अवस्था, प्रौढ़ अवस्था इत्यादि में अपने ज्ञान एवं अनुभव के अनुसार व्यक्ति इन योगों को प्राप्त करता है।
            सांची विश्वविद्यालय के भारतीय दर्शन विभाग द्वारा आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता और छ्त्तीसगढ़ – अंबिकापुर के श्रीरामकृष्ण विवेकानंद सेवा आश्रम के सचिव स्वामी तन्मयानंदजी ने कहा कि 'ज्ञान योग ही विचार मार्ग है' और ज्ञानी व्यक्ति समस्त कामनाओं का त्याग कर आत्मा में रमता है तथा ऐसे आत्मलीन ज्ञानी ही शांति को प्राप्त करते हैं।
            कोलकाता स्थित रामकृष्ण मिशन, बेलूर मठ के स्वामी यज्ञधरानंदजी ने गीता में उल्लेखित ‘कर्मयोग’ पर केंद्रित अपने व्याख्यान में बताया कि ईश्वर के प्रति समस्त कर्मों को अर्पित करके किया जाने वाला कर्म ही कर्मयोग है। उनका कहना था कि ईश्वर अर्पण बुद्धि से ही कर्मों में पूर्णता आती है तथा व्यक्ति अपने साधारण कर्मों के माध्यम से ही सिद्धि प्राप्त कर सकता है....ईश्वर का स्मरण करते हुए कर्मों को करने से कर्मों में पूर्णता प्राप्त होती है।
            ऑनलाइन संगोष्ठी के संयोजक और सांची विश्वविद्यालय के भारतीय दर्शन विभाग के प्रमुख डॉ नवीन दीक्षित ने कहा कि योग दरअसल आत्मा का परमात्मा से मिलन है और गीता के अनुसार यह  जुड़ाव ज्ञान, कर्म एवं भक्ति के द्वारा हो सकता है।

गीता के ‘ज्ञान’ एवं ‘कर्म’ योग पर होगी चर्चा

दिनांक 21.12.2020

                                गीता के ‘ज्ञान’ एवं ‘कर्म’ योग पर होगी चर्चा                                         

  • सांची विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित
  • 22 दिसंबर, 2020 को दोपहर 0200 बजे से 0330 बजे तक आयोजन

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा “भगवद्गीता के परिप्रेक्ष्य में ज्ञानयोग एवं कर्मयोग का अनुशीलन ” विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित की जा रही है। सांची विश्वविद्यालय के भारतीय दर्शन विभाग द्वारा ये ऑनलाइन संगोष्ठी कल यानी 22 दिसंबर 2020 को गूगल मीट पर दोपहर 0200 बजे से 0330 बजे तक आयोजित होगी।

अनुशीलन का अर्थ होता है ‘साधना’ या ‘अभ्यास’। इस ऑनलाइन संगोष्ठी में इस बात पर गहन चर्चा की जाएगी कि किस प्रकार से एक व्यक्ति के जीवन में ‘ज्ञान’ एवं ‘कर्म’ दोनों का सामन्जस्य होना आवश्यक है और इसी सामन्जस्य से व्यक्ति पूर्ण होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।

छ्त्तीसगढ़ – अंबिकापुर के श्रीरामकृष्ण विवेकानंद सेवा आश्रम के सचिव स्वामी तन्मयानंदजी गीता में उल्लेख किए गए ‘ज्ञान योग’ के माध्यम से जीवन में अभ्यास के गुणों पर चर्चा करेंगे। जबकि, कोलकाता स्थित रामकृष्ण मिशन, बेलूर मठ के स्वामी यज्ञधरानंदजी गीता में उल्लेखित ‘कर्मयोग’ के माध्यम से श्रोताओं/दर्शकों को बताने का प्रयास करेंगे कि किस प्रकार से इसका अभ्यास एक सामान्य व्यक्ति भी अपने जीवन में कर सकता है।

इस ऑन लाइन आयोजन की अध्यक्षता सांची विश्वविद्यालय के कुलपति एवं म.प्र शासन संस्कृति विभाग एवं जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ला करेंगे। आप सभी इस संगोष्ठी में आमंत्रित हैं। इस लिंक के माध्यम से आप ऑनलाइन संगोष्ठी में सम्मिलित हो सकते हैं-http://meet.google.com/qff-tyio-esq

प्रो. सागरमल जैन को श्रद्धांजलि अर्पित की गई

                                                                                                                                                                                     दिनांक 03.12.2020
प्रो. सागरमल जैन को श्रद्धांजलि अर्पित की गई   
  •  प्राकृत भाषा पर कार्यों के कारण मिला था राष्ट्रपति पुरस्कार
  • सांची विश्वविद्यालय की साधारण एवं कार्यपरिषद के सदस्य थे
  • 30 नवंबर को संथारा ग्रहण किया था

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में प्राकृत भाषा एवं जैन साहित्य के उद्भट विद्वान प्रो. सागर मल जैन को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। प्रो. सागरमल जैन को ‘गुरुओं के गुरु’ के रूप में जाना जाता था। 50 से अधिक जैन साधु-साध्वियों ने प्रो. सागरमल जैन के नेतृत्व में पी.एच.डी की थी। वे पाली और प्राकृत दोनों ही भाषाओं के ज्ञाता और विद्वान थे। सांची विश्वविद्यालय की परिकल्पना के समय से ही प्रो. सागरमल जैन विश्वविद्यालय से जुड़े हुए थे। वे विश्वविद्यालय की साधारण परिषद एवं कार्यपरिषद के सदस्य थे। प्राकृत भाषा पर उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका था।

प्रो. सागरमल जैन की श्रद्धांजलि सभा में सांची विश्वविद्यालय के कुलसचिव, अधिष्ठाता, सभी प्राध्यापक और अन्य अधिकारी-कर्मचारी सम्मिलित हुए। इस शोक अवसर पर कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने कहा कि अपनी वृद्धावस्था के बाद भी विश्वविद्यालय संबंधी किसी भी कार्य के लिए प्रो. सागरमल जैन सक्रिय रूप से अपना सहयोग प्रदान करते थे। वे ज्ञान, शोध और पठन-पाठन के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए इतने अधिक आतुर होते थे कि प्रत्येक शोधार्थी को पर्याप्त सहायता उपलब्ध कराते थे। विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के सहायक प्राध्यापक श्री संतोष प्रियदर्शी का कहना था कि विश्वविद्यालय के पाली भाषा के पाठ्यक्रम में सम्मिलित विभिन्न ग्रंथों के अध्ययन में यदि विभाग के शिक्षकों को किसी भी प्रकार की परेशानी उतपन्न होती थी तो वो प्रो. सागरमल जैन जी से फोन पर ही उसका समाधान उनसे पूछ लेता था।  प्रो. जैन ने कई किताबें और शोध पत्र व लेख लिखे हैं जो ऑनलाइन sagarmaljain e-pustkalay पर उपलब्ध हैं।

88 वर्ष के प्रो. सागरमल जैन ने अस्वस्थता के चलते 30 नवंबर को संथारा ग्रहण किया था। 

भारतीयों को भारतीयता की जड़ों से बांधेगी नई शिक्षा नीति

दिनांक 02.10.2020

  • सांची विश्वविद्यालय के भारतीय दर्शन विभाग द्वारा ऑनलाइन सेमिनार आयोजित
  • स्वतंत्र एवं आत्मनिर्भर नागरिकों का निर्माण करेगी नई शिक्षा नीति
  • ज्ञान-समाज का पथ प्रदर्शन होगा नई शिक्षा नीति से


सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं भारतीय मानस का वि-औपनिवेशिकरण विषय पर ऑनलाइन सेमिनार आयोजित किया गया। इस सेमिनार में डॉ हरिसिंह गौर सागर के दर्शनशास्त्र विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. अंबिका दत्त शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति ही भारतीयों को भारतीयता की जड़ों में बांधे रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। उनका कहना था कि यह दरअसल वि-औपनिवेशीकरण है क्योंकि अपनी जड़ों से अलग हो जाना औपनिवेशिकरण होता है।

डॉ शर्मा का कहना था कि यह नई शिक्षा नीति सीखने, करने और होने को प्रोत्साहित करती है तथा इससे स्वतंत्र एवं आत्मिर्भर नागरिकों का निर्माण संभव होगा। उनका कहना था कि यह मानविकी और विज्ञान के विषयों कोआपस में जोड़कर परिपूर्ण व्यक्तित्व के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करती है। डॉ. अंबिका दत्त शर्मा ने कहा कि यह त्रि-भाषा फॉर्मूले के द्वारा भाषा की समस्या को हल करती है। इसमें मातृभाषा, क्षेत्रीय भाषा एवं राष्ट्रभाषा की शिक्षा एवं समाज में क्रमबद्ध भूमिका है। यह शिक्षा नीति व्यक्ति को भारत के सांस्कृतिक इतिहास, राष्ट्र एवं भाषा से जोड़कर उसके विखंडन को रोककर वि-औपनिवेशीकरण की प्रक्रिया को सुदृण करती है।

इस ऑनलाइन सेमिनार में विश्वविद्यालय के भारतीय दर्शन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. नवीन दीक्षित ने कहा कि इस शिक्षानीति से ज्ञान-समाज का पथ प्रदर्शन होगा और राष्ट्र अपने जीवन मूल्यों का आश्रय लेकर प्रगति करेगा।

सांची विश्वविद्यालय के भारतीय दर्शन विभाग द्वारा आयोजित ऑनलाइन सेमिनार में विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. ओ.पी. बुधोलिया ने विषय प्रवर्तन में व्यक्तिके निर्माण को शिक्षा का उद्देश्य निरूपित किया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सरोजिनी महाविद्यालय भोपाल के दर्शनशास्त्र विभाग के प्राध्यापक प्रो. प्रदीप खरे ने इस शिक्षा नीति को फलात्मक दृष्टि से अधिक उपयोगी माना। उनका कहना था कि इस नई शिक्षा नीति से उन लोगों को बड़ा लाभ होगा जो किसी कारण से बीच में अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं वे बाद में इसे पूर्ण कर सकते हैं। 


'कर्म के साथ अर्जित की गई विद्या ही शिक्षा है'

दिनांक 05.09.2020

                                                                      

'कर्म के साथ अर्जित की गई विद्या ही शिक्षा है'

 

  • सांची विश्वविद्यालय में शिक्षक दिवस का आयोजन
  • नई शिक्षा नीति पर शिक्षकों ने रखे अपने विचार 

सांंची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में बेहद सादगी से शिक्षक दिवस का आयोजन किया गया। नई शिक्षा नीति के संदर्भ में आयोजित किए गए इस शिक्षक दिवस कार्यक्रम पर कोविड-19 का प्रभाव दिखाई दिया। छात्रों के बगैर विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों ने नई शिक्षा नीति से जोड़कर अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए। भारतीय दर्शन के सहायक प्राध्यापक डॉ. नवीन दीक्षित ने विष्णु पुराण में उल्लेख किए गए श्लोक के माध्यम से बताया कि शिक्षा दरअसल कर्म के साथ अर्जित की गई विद्या है। उन्होंने कहा कि विष्णु पुराण के इस श्लोक के अनुसार सर्वश्रेष्ठ कर्म वह है जो बंधन में न डाले और सर्वश्रेष्ठ विद्या वह है जिससे मुक्ति की प्राप्ति हो। डॉ दीक्षित ने ज्ञान के तीन आयामों - श्रवण, मनन और विद्यासन का भी ज़िक्र किया। 

वैकल्पिक शिक्षा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रभाकर पांडे ने नई शिक्षा नीति के विभिन्न आयामों पर चर्चा की। उन्होंने नई शिक्षा नीति में सम्मिलित किए गए गुणवत्ता, सार्वभौमिकरण और सर्वसमावेशी विषयों पर चर्चा की। 
संस्कृत विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ विश्वबंधु का कहना था कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में नई शिक्षा नीति को राष्ट्रीय शिक्षा नीति कहा जाना उचित होगा। उनका कहना था कि कालीदास के महाकाव्य में भी स्पष्ट उल्लेखित किया गया है कि शिक्षक को कैसा होना चाहिए। 
विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता डॉक्टर ओ पी बुधौलिया ने बताया कि ज्ञान दरअसल समय और अनुभव का मिश्रण है। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में शिक्षक को सर्वोपरि रखा गया है। 

‘अपना पाठ्यक्रम स्वयं तय कर सकें छात्र’

                                                                                                                                                                                                                                                                          27.08.2020


‘अपना पाठ्यक्रम स्वयं तय कर सकें छात्र’

  •  प्रमुख सचिव संस्कृति विभाग ने किया विश्वविद्यालय का दौरा
  • सांची विश्वविद्यालय के नए सत्र के लिए जारी किए पाठ्यक्रमों के बारे में जाना
  • श्री शिव शेखर शुक्ला ने किया विश्वविद्यालय का दौरा
  • ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 21 सितंबर, 2020  

मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ला ने सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय का दौरा किया। श्री शिव शेखर शुक्ला ने कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी के साथ विश्वविद्यालय परिसर के भ्रमण के दौरान छात्रों तथा शिक्षकों से विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों और सुविधाओं की जानकारी ली। श्री शुक्ला ने छात्रावास, मैस, गेस्टहाउस, आवासीय क्वार्टर्स की व्यवस्थाओं का जायज़ा लिया।

विश्वविद्यालय के छात्रों से मुलाकात के पश्चात प्रमुख सचिव और विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति श्री शुक्ला ने केंद्रीय लाइब्रेरी में पुस्तकों के बारे में जानकारी ली। उन्होने विश्वविद्यालय प्राध्यपकों के साथ बैठक में अकादमिक गतिविधियों और विश्वविद्यालय द्वारा प्रारंभ किए गए नए पाठ्यक्रमों के बारे में जाना।

विश्वविद्यालय द्वारा अकादमिक सत्र 2020-21 की प्रवेश सूचना जारी की गई है और ऑनलाइन फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 21 सितंबर है। ऐसे में छात्र प्रवेश की प्रक्रिया, पीएचडी कोर्स के लिए गाइडलाइन्स इत्यादि के बारे में लगातार प्रश्न कर रहे हैं। विश्वविद्यालय द्वारा योग विज्ञान और भारतीय शिक्षा और समग्र विकास के दो पाठ्यक्रम अकादमिक सत्र 2020-21 से प्रारंभ किए जा रहे हैं।

विश्वविद्यालय के कुलपति एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ला ने विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों और प्रवेश के संबंध में कहा कि ऐसे प्रयास किए जाएं कि अधिक से अधिक छात्र ऑनलाइन प्रवेश के माध्यम से वि.वि के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश लें। शिक्षकों के साथ की गई बैठक में श्री शुक्ल ने विश्वविद्यालय के विभन्न पाठ्यक्रमों को interdisciplinary बनाए जाने पर ज़ोर दिया। उनका कहना था कि किसी भी विश्वविद्यालयीन छात्र को यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह अपनी रुचि के अनुसार अपना पाठ्यक्रम स्वयं ही तय कर सके। ऐसे में छात्र का मन पढ़ाई में लग सकेगा और भविष्य में वह अपने द्वारा चयनित विषयों पर आगे अपना करिअर तय कर सकता है। उन्होंने कहा कि मास्टर डिग्री में ही इस प्रक्रिया को प्रारंभ करने की कार्रवाई की जाए। विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता श्री ओ.पी बुधोलिया  एवं अन्य प्राध्यापकों ने आश्वासन दिलाया कि अगले प्रवेश सत्र  से interdisciplinary विषयों के तहत ही एडमिशन प्रक्रिया की जाएगी।

भारतीय शिक्षा के माध्यम से होगा समग्र विकास

21.08.2020

 भारतीय शिक्षा के माध्यम से होगा समग्र विकास

  • ·सांची विश्वविद्यालय ने जारी किए दो नए पाठ्यक्रम
  • ·योग विज्ञान और भारतीय शिक्षा व समग्र विकास के पाठ्यक्रम
  • ·सांची विश्वविद्यालय ने जारी की ऑनलाइन प्रवेश सूचना
  • ·ऑनलाइनआवेदन करने की अंतिम तिथि 21 सितंबर, 2020

अगर आप योग विज्ञान में मास्टर डिग्री कोर्स करना चाहते हैं तो ये आपके लिए सुनहरा मौका हो सकता है....और यदि आप अपने अंदर भारतीयता से परिपूर्ण एक संपूर्ण व्यक्तित्व विकसित करना चाहते हैं तो आपके लिए भारतीय शिक्षा और समग्र विकास का पाठ्यक्रम फायदेमंद साबित हो सकता है।

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय ने मास्टर डिग्री, एम.फिल शिक्षा हासिल करने के लिए दो नए पाठ्यक्रम जारी किए हैं। इन पाठ्यक्रमों और अन्य दूसरे पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने के लिए आपको ऑनलाइन आवेदन करना होगा। भारतीय शिक्षा और समग्र विकास में मास्टर डिग्री के अलावा एक वर्ष का पीजी डिप्लोमा का पाठ्यक्रम भी उपलब्ध है।

सांची विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई प्रवेश सूचना 2020-21 में भारतीय दर्शन, बौद्ध अध्ययन, वैदिक अध्ययन, संस्कृत, चीनी भाषा, इंडियन पेंटिंग, हिंदी, अंग्रेज़ी और पाली भाषा एवं साहित्य के पाठ्यक्रम भी उपलब्ध हैं।

पाली भाषा एवं साहित्य के पाठ्यक्रम के माध्यम से आप बौद्ध काल में पाली भाषा में लिखे गए ग्रंथों का अध्ययन करने में सक्षम हो सकते हैं।

सांची विश्वविद्यालय द्वारा जारी पाठ्यक्रमों में छह माह के सर्टिफिकेट कोर्स और एक वर्ष के डिप्लोमा कोर्स भी हैं। भारतीय चित्रकारी में यदि आपकी रुचि है तो आप इंडियन पेंटिंग्स में मास्टर ऑफ फाइन आर्ट(एम.एफ.ए) का कोर्स भी कर सकते हैं। विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु छात्र 21 सितंबर 2020 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। छात्रों को मेरिट के आधार पर एम.ए, एम.फिल, एम.एस.सी, एम.एफ.ए पाठ्यक्रम में मात्र साक्षात्कार के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा। साक्षात्कार 29 एवं 30 सितंबर को आयोजित होंगे।

हालांकि पी.एच.डी के इच्छुक छात्रों को प्रवेश परीक्षा और साक्षात्कार दोनों में सम्मिलित होना होगा। पात्रता मापदंड, प्रवेश प्रक्रिया, फीस, पाठ्यक्रम, साक्षात्कार, छात्रवृत्ति एवं अन्य जानकारी के लिए सांची विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.sanchiuniv.edu.in पर लॉगइन किया जा सकता है। प्रवेश संबंधी प्रश्नों के लिए admission@subis.edu.in पर ईमेल से जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

सांची विश्विद्यालय में मनाया गया स्वतंत्रता दिवस समारोह

दिनांक 16 अगस्त, 2020

सांची विश्विद्यालय में मनाया गया स्वतंत्रता दिवस समारोह



सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय मेंं कोविड -19 के संपूर्ण प्रोटोकॉल के तहत स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। विश्वविद्यालय के डीन और अंग्रेज़ी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. ओ.पी. बुधोलिया ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रात: 8 बजे विश्वविद्यालय प्रांगण में ध्वजारोहण किया। केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा कोविड-19 को लेकर स्वतंत्रता दिवस के आयोजन समारोह को लेकर जारी की गई गाइडलाइन के साथ कर्मचारी 2 मीटर से अधिक की भौतिक दूरी के साथ खड़े हुए और तिरंगे को फहराया गया। 

इस अवसर पर डॉ बुधोलिया ने भी अपने छोटे से संबोधन में देश के स्वतंत्रता सैनानियों को याद किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों और आमजन के सामूहिक सहयोग से ही हम अंग्रेज़ों को परास्त कर सके।
 

‘गुरुकुल शिक्षा की प्रथम सीढ़ी मातृकुल है’

दिनांक 04 अगस्त, 2020

                                                  

‘गुरुकुल शिक्षा की प्रथम सीढ़ी मातृकुल है’

  • ‘मां से ही बच्चा सबसे पहले शब्द बोलना सीखता है’
  • ‘समसामयिक विषयों को भी संस्कृत में पढ़ाया जाए’
  • सांची विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा ऑनलाइन आयोजन
  • 3-4 अगस्त 2020 को संस्कृत सप्ताह का यूट्यूब पर किया गया लाइव प्रसारण
  • बैंगलोर एवं त्रिपुरा विश्वविद्यालय के कुलपति थे मुख्य वक्ता

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा 03 तथा 04 अगस्त को द्विदिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। “गुरुकुल परम्परा : आदर्श शिक्षा पद्धति का अन्वेषण” विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला के पहले दिन मुख्य वक्ता के रूप में स्वामिविवेकानन्द योगानुसन्धान विश्वविद्यालय, बेङ्गलेरू के कुलपति प्रो. रामचन्द्र भट्ट ने कहा कि गुरुकुल शिक्षा का प्रथम सोपान मातृकुल है। माता से ही बालक सर्वप्रथम वर्ण-उच्चारण की शिक्षा पाता है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित महाराजा वीर विक्रम विश्वविद्यालय, अगरतला, त्रिपुरा के कुलपति प्रो. सत्यदेव पोद्दार ने संस्कृत साहित्य की बृहत् परम्परा को श्रोताप् के सामने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष साँची विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री अदितिकुमार त्रिपाठी रहे। श्री त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में आत्म-निर्भर भारत के निर्माण में संस्कृत भाषा की उपादेयता पर प्रकाश डाला।

04 अगस्त को श्री दिनेश कामत, संस्कृत भारती के अखिल भारतीय सङ्घटन मन्त्री ने मुख्य वक्ता के रूप वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संस्कृत की उपयोगिता विषय पर व्याख्यान दिया। अपने व्याख्यान में श्री कामत ने संस्कृत भारती द्वारा देश-विदेश में चलाये जा रहे आनलाइन संस्कृत सम्भाषण वर्गों की विस्तृत जानकारी दी। व्याख्यान में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हिमाचल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप अग्निहोत्री ने विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में समसामयिक विषयों को भी संस्कृत में पढ़ाने की नीति पर जोर दिया। सांची विश्वविद्यालय के कुलपति एवं संस्कृति, जल एवं खाद्यान्न मन्त्रालय के प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ल ने संस्कृत ज्ञान परम्परा का विस्तृत परिचय प्रस्तुत किया । कार्यक्रम के संचालक डॉ. विश्व बन्धु ने संस्कृत में परस्पर सम्भाषण को सुलभ बनाने हेतु साँची विश्वविद्यालय के द्वारा चलाये जाने वाले पाठ्यक्रमों से श्रोताओं को अवगत कराया ।

भारत में प्रतिवर्ष श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है। सन् 1969 से ही केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा संस्कृत दिवस मनाया जाता है। इस दिन को इसीलिए चुना गया था क्योंकि इसी दिन प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र शुरू होता था। साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्राध्यापक डॉ. विश्व बन्धु ने बताया कि संस्कृत दिवस से पहले तीन दिन और दिवस से बाद वाले तीन दिन मिलाकर “संस्कृत सप्ताह” का आयोजन किया जाता है। दोनों ही व्याख्यानों को यूट्यूब चैनल पर रिकॉर्डिंग के रूप में देखा जा सकता है।

“गुरुकुल परंपरा-आदर्श शिक्षा पद्धति की खोज” पर व्याख्यान आयोजित

 दिनांक 01 अगस्त, 2020

“गुरुकुल परंपरा-आदर्श शिक्षा पद्धति की खोज” पर व्याख्यान आयोजित

  •  नई शिक्षा नीति के तारतम्य में रोचक व्याख्यान 
  • सांची विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा ऑनलाइन आयोजन 
  • सांची विश्वविद्यालय में3-4अगस्त 2020 को संस्कृत सप्ताह का यूट्यूब पर लाइव प्रसारण 
  • बैंगलोर एवं त्रिपुरा विश्वविद्यालय के कुलपति होंगे मुख्य वक्ता

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा संस्कृत सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इस उपलक्ष में 3-4 अगस्त, 2020 को विश्वविद्यालय के यूट्यूब चैनल पर दो दिवसीय व्याख्यानमाला लाइव आयोजित होगी। केंद्र सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति की घोषणा की गई है। इसी तारतम्य में व्याख्यानमाला के प्रथम दिवस 3 अगस्त को “गुरुकुल परंपरा-आदर्श शिक्षा पद्धति की खोज” विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान देंगे प्रो. रामचंद्र कोठमने। प्रो. कोठमने, बैंगलोर के स्वामी विवेकानंद योगानुसंधान विश्वविद्यालय के कुलपति हैं तथा भारतीय शिक्षा मंडल के गुरुकुल प्रकल्प के प्रमुख भी हैं। प्रात: 11 बजे लाइव आयोजित होने वाले इस व्याख्यान में त्रिपुरा- अगरतला के वीरविक्रम विश्वविद्यालय के प्रो. सत्यदेव पोद्दार भी अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।

सांची विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित इस व्याख्यानमाला के द्वितीय दिवस यानी 4 अगस्त 2020 को “वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संस्कृत की प्रासंगिकता” विषय पर दिल्ली की संस्था संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री दिनेश कामत प्रमुख वक्ता होंगे। इस विषय पर धर्मशाला के हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. कुलदीप अग्निहोत्री भी अपने उद्गार प्रस्तुत करेंगे। इस द्वितीय दिवस के सत्र के अध्यक्ष सांची विश्वविद्यालय के कुलपति एवं मध्य प्रदेश शासन संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ला होंगे जबकि 3 अगस्त, 2020 को आयोजित होने वाले व्याख्यान के अध्यक्ष सांची विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं संस्कृति संचालनालय के संचालक श्री अदिति कुमार त्रिपाठी होंगे। द्वितीय दिवस भी सत्र प्रात: 11 बजे लाइव प्रसारित किया जाएगा।

आप व्याख्यान को लाइव देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं। https://www.youtube.com/channel/UCflYxaf4m_bnL6wmWnVH-eg

इस लिंक के माध्यम से इन विषयों पर आप अपने विचार भी लिख कर साझा कर सकते हैं।

सांची विश्वविद्यालय में छठवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का ऑनलाइन आयोजन

दिनांक 21 जून, 2020

सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में छठवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का ऑनलाइन आयोजन

  • सांची विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय ने किया समापन 


सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में छठवां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सात दिवसीय विश्व योग दिवस का आज  समापन हुआ। छठे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री शिव शेखर शुक्ला द्वारा विशेष उद्बोधन दिया गया। उन्होंने समत्वम योग उच्यते एवं योगा कर्मसु कौशलम के माध्यम से समस्त श्रोता गण से अपनी जीवनशैली में योग को अपनाने का आव्हान किया। 

 सप्त दिवसीय ई-कार्यशाला में सामूहिक रूप से विश्व योग दिवस का ऑनलाइन कार्यक्रम में विभाग अध्यक्ष डॉ उपेंद्र बाबू खत्री एवं सहायक प्राध्यापक डॉ शाम गणपत तिखे के निर्देशन मे भारत सरकार के योग प्रोटोकॉल का अनुसरण करते हुए योगाभ्यास किए गए।योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उपेंद्र बाबू खत्री ने वर्तमान जीवन शैली में योग की उपयोगिता पर विशेष ध्यान दिया  एवं योग की मूल भावना को पुनः  प्रतिष्ठित रखने का विचार रखा। उन्होंने अपने व्याख्यान के अंतर्गत आत्मनिर्भर भारत के विषय में कहा कि पहले हम स्वयं आत्मनिर्भर बने जब हम स्वयं आत्मनिर्भर होंगे तभी हम दूसरों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर सकने में सक्षम होंगे। उन्होंने बताया कि योग सिर्फ आसन प्राणायाम ध्यान इत्यादि ही नहीं है बल्कि योग अपने जीवन में अपनाने की कला है। 

 योग एवं आयुर्वेद विभाग ने आज से 6 दिनों पूर्व में योगिक जीवन शैली कोरोना के साथ भी कोरोना के बाद भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विभागाध्यक्ष डॉ उपेंद्र बाबू खत्री एवं सहायक प्राध्यापक डॉक्टर शाम गणपति के साथ विभाग के वरिष्ठ शोधार्थी उमाशंकर कौशिक, लोकेश चौधरी, धनंजय जैन,  एवं अखिलेश विश्वकर्मा, नीलू विश्वकर्मा, श्वेता नेमा, अरविंद यादव, प्रशांत खरे, रवि यादव  सजन आदि विद्यार्थियों द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किये गए। इसके साथ साथ सायंकालीन विशिष्ट व्याख्यान की श्रंखला में कुछ विशेष विद्वानों के मत अपनों से अपनी बात के अंतर्गत रखे गए। अपनों से अपनी बात में  प्रथम व्याख्यान अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज के मनीषी चिंतक एवं साधक श्रीमान वीरेश्वर उपाध्याय जी का  व्याख्यान संपन्न हुआ। जिन्होंने व्यावहारिक जीवन में सद्गुणों को धारण करने हेतु महत्वपूर्ण सूत्रों में योगाभ्यास, स्वाध्याय (अच्छे ग्रंथों का अध्ययन), उपासना (सद्गुणों की धारणा), साधना (संयम) और आराधना (सेवा)  से शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य प्राप्त कर स्वयं एवं समाज को सहयोगी बनने का सारगर्भित उपदेश दिया। 

16/6/20 को स्वामी आत्म श्रद्धानंद जी का विशेष उद्बोधन संपन्न हुआ। स्वामी जी कानपुर, रामकृष्ण मिशन के सन्यासी हैं। जिन्होंने अपने उद्बोधन में समाज में व्याप्त दु:ख, भय और संकट  के समाधान हेतु मार्ग दर्शन दिया। 

तीसरे दिन 17/6/20 को प्रो. इंदुमती काटदरे जी ने बताया कि हमें अपनी भारतीय संस्कृति और भारतीय शिक्षा पद्धति को किस प्रकार भूलते जा रहे हैं। अपनी संस्कृति और शिक्षा पद्धति की उपयोगिता और विशिष्टता को बताते हुए सभी को अपनी संस्कृति और शिक्षा की तरफ वापस जाने का आवाहन किया। साथ ही वर्तमान की वैज्ञानिक और यांत्रिकी शिक्षा पद्धति से भी परिचित होने की बात की। अंत मे योग किस प्रकार इसमे सहयोगी हो सकता है इसका महत्व समझाया। चौथे दिन 18/6/20 को श्री अभय महाजन जी का विशिष्ट उद्बोधन हुआ। नाना देशमुख  जी के साथ रहकर राष्ट्र निर्माण में अपना संपूर्ण समय और श्रम दिया। महाजन जी ने राष्ट्र के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को वहन करने का आवाहन किया। वर्तमान में स्वदेशी उत्पादों के प्रयोग की उपयोगिता को बताते हुए सभी को स्वदेशी की दिशा में संकल्पित किया। 

पांचवा दिन 19/6/20 को महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर के. बी. पांडे जी का उद्बोधन संपन्न हुआ। जिसमें उन्होंने चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के अनुभव सांझा किए।  20/6/20 को श्री नंदलाल मिश्रा जी ने अपने उद्बोधन में वर्तमान की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किस तरह कोरोना वायरस की वजह से लोगों में भय और मानसिक रोग उत्पन्न हो रहे हैं। रोगों के संदर्भ में आपने साइकोसोमेटिक, न्यूरोटिक और साइकोसोमेटिक रोगों कि  संभावनाओं को अधिक बताया है। डायबिटीज, बीपी, पेप्टिक अल्सर आदि रोगों का कारण साइकोसोमेटिक बताया है।

वैश्विक संकट का कारण मानवों काअहंकार

                                                                                                                                                                                                                                            दिनांक 11.06.2020


वैश्विक संकट का कारण मानवों काअहंकार


  • धर्म मनुष्य को मनुष्य बनाने का तत्व है
  • फेसबुक लाइव पर प्रो.रजनीश कुमार शुक्ल का व्याख्यान
  • सांची विश्वविद्यालय द्वारा कराया जा रहा है लाइव व्याख्यान का आयोजन
  • भारतीय जीवन मूल्य- धर्म,  अर्थ और मोक्ष है

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के वैकल्पिक शिक्षा विभाग द्वारा 11 जून, 2020 गुरुवार को फेसबुक लाइव पर “भारतीय शिक्षा एवं संस्कृति विमर्श” की लेक्चर सीरीज़ के तहत 20वां लेक्चर आयोजित किया गया। ‘भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्य’ विषय पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो रजनीश कुमार शुक्ल ने व्याख्यान प्रस्तुत किया।

फेसबुक लाइव के माध्यम से ये व्याख्यान आयोजित किया गया। प्रो. शुक्ला का कहना था कि संस्कृति एक गत्यात्मक अवधारणा है जिसकी पहचान किया जाना आवश्यक है। उनका कहना था कि संस्कृति जीवनमान भूजैविक अवधारणा है, मनुष्य कृत नहीं है संस्कृति यह चिद्विलास है। उनका कहना था कि आनंद की उपलब्धि के लिए सोदेश्य सभ्यता संस्कृति है।

प्रो. शुक्ला का कहना था कि भारत में मूल्य की अवधारणा है। उनका कहना था कि धर्म उपासना नहीं है,यह मनुष्य को मनुष्य बनाने का तत्व है। सर्वोत्तम मूल्य ऋण से मुक्ति है।

उनका कहना था कि आज के वैश्विक संकट के पीछे मानवों का अहंकार है जिसने अपने सामने प्रकृति को तुच्छ समझनेकी भूल की। भारतीय जीवन मूल्य पुरुषार्थ के हिसाब से जीना है जो धर्म, अर्थ और मोक्ष है।

सांची विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किए जा रहे  इन व्याख्यान को फेसबुक लाइव पर देखा जा सकता है। इन लेक्चरों को देखने के लिए कृपया https://www.facebook.com/sanskriti.vimarsh/ लिंक पर क्लिक करें।

लाइव स्ट्रीम होने के बाद लेक्चर और “भारतीय शिक्षा एवं संस्कृति विमर्श” व्याख्यानमाला के तहत आज दिनांक तक प्रस्तुत किए गए समस्त लेक्चर देखे जा सकते हैं।

भारतीय संस्कृति को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर है कोरोना काल

दिनांक 09.06.2020


भारतीय संस्कृति को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर है कोरोना काल

  • प्रकृति का सम्मान करना सिखा रहा है कोरोना काल
  • मनुष्य को अपने सामाजिक और सांस्कृतिक दायित्व समझने होंगे
  • सांची विश्वविद्यालय द्वारा फेसबुक लाइव पर व्याख्यानमाला आयोजित
  • डॉ आशा शुक्ला, कुलपति, बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय महू का व्याख्यान
  • फेसबुक लाइव पर 19वां व्याख्यान बुधवार प्रात: 11 बजे

ऐसे समय में जब पूरा विश्व कोरोना वायरस से प्रभावित है...स्कूल-कॉलेज और विश्वविद्यालयों में क्लासेस नहीं चल पा रही हैं। तब शिक्षा जगत से जुड़े तमाम लोग यह प्रयास कर रहे हैं कि छात्र ज्ञान हासिल करने में पिछड़ न जाएं। तकनीक और मीडिया का भरपूर उपयोग करते हुए ऑनलाइन क्लासेस, लेक्चर, वेबिनार इत्यादि आयोजित किए जा रहे हैं।

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय भी ऐसी ही कोशिशें कर रहा है। विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा प्रतिदिन ऑनलाइन क्लासेस आयोजित की जा रही हैं। शिक्षा जगत और बौद्ध तथा भारतीय दर्शन से जुड़े कई विषयों पर वेबिनार, व्याख्यानमालाएं आयोजित हो रहे हैं। इसी कड़ी में विश्वविद्यालय के वैकल्पिक शिक्षा विभाग द्वारा 09 जून, 2020 मंगलवार को फेसबुक लाइव पर “भारतीय शिक्षा एवं संस्कृति विमर्श” की लेक्चर सीरीज़ के तहत 18वां लेक्चर आयोजित किया गया। ‘अकादमिक आधारित सामाजिक दायित्व बोध’ विषय पर मध्य प्रदेश के मऊ स्थित डॉ. बी.आर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ आशा शुक्ला द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किया।

डॉ शुक्ला का कहना था कि विश्व के सभी मनुष्य समान हैं और कोरोना वायरस ने सभी को समान रूप से प्रभावित किया है। उनका कहना था कि कोरोना काल ने हमें यह सिखाया है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना होगा। कोरोना ने हमें सांस्कृतिक और सामाजिक दायित्व निर्धारित करने का रास्ता बताया है। प्राकृतिक संतुलन, मनुष्य का मनुष्य के प्रति व्यवहार संबंधी शिक्षा पूर्व से ही भारतीय संस्कृति में समाहित है।

डॉ शुक्ला का कहना था कि कोरोना ने भारत के प्रत्येक नागरिक को ये मौका उपलब्ध कराया है कि वो भारतीय संस्कृति से पूरी दुनिया के लोगों को उन सभी माध्यमों से अवगत कराएं जो आज उपलब्ध हैं।

“भारतीय शिक्षा एवं संस्कृति विमर्श” व्याख्यानमाला के तहत सांची विश्वविद्यालय द्वारा कल यानी बुधवार 10 जून, 2020 को प्रात: 11 बजे फेसबुक लाइव पर “वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विद्यालयी शिक्षा का द्वंद” विषय पर गया स्थित दक्षिणी बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्कूल शिक्षा विभाग के अधिष्ठाता और विभागध्यक्ष प्रो. कौशल किशोर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। इस व्याख्यान को फेसबुक लाइव पर देखने के लिए कृपया https://www.facebook.com/sanskriti.vimarsh/ लिंक पर क्लिक करें।

लाइव स्ट्रीम होने के बाद यह लेक्चर और “भारतीय शिक्षा एवं संस्कृति विमर्श” व्याख्यानमाला के तहत आज दिनांक तक प्रस्तुत किए गए समस्त लेक्चर देखे जा सकते हैं।

“सम्मान करो क्योंकि महिला पहले एक इंसान है”

दिनांक 06.03.2020

सम्मान करो क्योंकि महिला पहले एक इंसान है

  • सांची विश्वविद्यालय में महिला दिवस पर आयोजन
  • कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं ने किया कविता पाठ

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में महिला दिवस पर विश्वविद्यालय की महिला अधिकारियों, कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं ने मिलकर कार्यक्रम आयोजित किया। विश्वविद्यालय की छात्राओं ने नाट्य प्रस्तुति दी और कविता को चित्रकारी के माध्यम से भी प्रस्तुत किया।

चीनी भाषा विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. प्राची अग्रवाल ने कहा कि विश्व की हर महिला का सम्मान सिर्फ इसलिए नहीं होना चाहिए क्योंकि वो एक महिला है बल्कि इसलिए होना चाहिए क्योंकि वो महिला से पहले एक इंसान है और इंसान-इंसान में फर्क नहीं किया जाना चाहिए।

महिला दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय की डॉक्टर अंजलि दुबे ने अपनी कविता“तुम विविध रूप धरने वाली, विष सोख सुधा करने वाली” का पाठ किया। डॉ. रितु श्रीवास्तव ने स्वरचित कविता“बुद्धिमत्ता का झंडा मैं गाड़ूं और बन जाऊं मनीषी” की प्रस्तुति दी। छात्राओं ने नाटक “बेटी है तो कल है ” विषय पर नाट्य प्रस्तुति दी। छात्रा आशना आसिफ ने अपनी मां वंदना आसिफ की लिखी कविता के आधार पर पेंटिंग को तैयार किया और उसे चित्र के रूप में कविता पाठ के दौरान प्रस्तुत किया। छात्रा मुस्कान और अंजलि ने सत्यमेव जयते के पारंपरिक गीत “ओ री चिरैया” को प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय की नर्स श्रीमती नीलिमा चंद्रवंशी ने अपनी कविता ”जन्म देने के लिए मां चाहिए” सुनाई। श्रीमती चंद्रवंशी ने बताया कि 2019 के आंकड़ों के अनुसार भारत में महिलाओं की संख्या 48.2 और पुरुषों की संख्या 51.8 प्रतिशत है। छात्र पुल्कित दीक्षित ने “ये माटी सभी की कहानी कहेगी” गीत पर प्रस्तुती दी।

विश्वविद्यालय के योग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ एस. के तिखे ने धर्मेंद्र कुमार निवातियां की लिखी कविता ‘सबला नारी’ को प्रस्तुत किया। अंग्रेज़ी विभाग के सह-प्राध्यापक डॉ नवीन मेहता ने अपनी प्रकाशित कविता“मां की चपातियां” सुनाकर सभी को भावुक कर दिया। महिला दिवस पर भारतीय चित्रकारी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. सुष्मिता नंदी ने “परिचय और पहचान जो खो जाए” सुनाई।

योग विभाग के छात्र प्रशांत खरे ने भी बुंदेली में अपनी कविता सुनाई। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए विश्वविद्यालय के डीन डॉ ओ.पी बुधोलिया ने झांसी की रानी, रानी लक्ष्मीबाई......महाभारत की हिडिंबा का वर्णन कर नारी शक्ति पर चर्चा की।

‘सकारात्मक सोच से ही दूर होता है अवसाद’

दिनांक 10.02.2020

सकारात्मक सोच से ही दूर होता है अवसाद

  • सांची विश्वविद्यालय में विशेष व्याख्यान का अयोजन
  • तनाव दूर करने के लिए बताए योग के कई आसन
  • मेडिटेशन और श्वास नियंत्रण तनाव दूर करने में कारगर

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में आज एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। महर्षि महेश योगी विश्वविद्यालय के योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. ओम नारायण तिवारी ने “तनाव और अवसाद को दूर करने के लिए योग” विषय पर अपना व्याख्यान केंद्रित किया। इस व्याख्यान में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं के अलावा शिक्षक और अधिकारी कर्मचारी सम्मिलित हुए।

डॉ ओम तिवारी ने बताया कि आज के दौर में बड़ी संख्या में लोग अपने शरीर और मन-मस्तिष्क में तनाव ले रहे हैं। ऐसी स्थिति में योग बेहद कारगर हो सकता है। उन्होंने उपस्थित श्रोताओं को ध्यान करने के तरीके बताए और कुछ छोटी-छोटी टिप्स बताईं।

डॉ तिवारी का कहना था कि सिटिंग जॉब्स करने वाले लोग भी तनाव वो दूर करने के लिए अपनी सीट पर बैठे-बैठे ही एक दो आसन कर सकते हैं। उनका कहना था कि आंखें खोलकर भी मेडिटेशन किया जा सकता है और बीच-बीच में ब्रीदिंग एक्सरसाइज़(सांसों पर नियंत्रण)कर तनाव को दूर कर सकते हैं। उनका कहना था कि लोगों को प्रत्येक दिन अपने स्वयं के लिए आधे घंटे समय निकालना चाहिए जिसमें वो योग करें जिससे तनाव को दूर किया जा सकता है।

अवसाद को दूर करने के लिए उनका कहना था कि व्यक्ति को चाहिए कि वो सभी के लिए अपनी सोच को सकारात्मक रखे और अपने आप को प्रकृति से जोड़ कर रखे।

विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ ओ.पी बुधोलिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया। 

छात्रों ने अपनी मेहनत से बनाई सांची विश्वविद्यालय की योग शाला

दिनांक 30.01.2020

छात्रों ने अपनी मेहनत से बनाई सांची विश्वविद्यालय की योग शाला

  • मात्र प्राकृतिक संसाधनों का किया गया उपयोग
  • योग शाला की छत घास-फूस से बनाई गई
  • फर्श को मिट्टी पर गोबर लीपकर किया तैयार
  • वसंत पंचमी के मौके पर किया गया उद्घाटन
  • गांव-गांव जाकर योग सिखाएगी सांची विवि की टीम
  • गांधी जी को भी किया गया याद
  • कर्मयोगी थे गांधी जी

            सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में योग विभाग के छात्रों द्वारा तैयार की गई योग शाला का उद्घाटन किया गया। इस योग शाला की खास बात यह है कि इसे अधिकांश प्राकृतिक चीज़ों से तैयार किया गया है। योग विभाग के सभी छात्रों ने इस योग शाला में अपने हाथों से घास के माध्यम से छत को बनाया, फर्श को गोबर और मिट्टी से लीपा और बौद्ध चबूतरे को तैयार किया।

            योग शाला के दरवाज़े बांस और लकड़ी से, परिसर की चार दीवारी नारियल की रस्सी और खजूर(छींद) के पत्तों से तैयार की गई है। बौद्ध योग केंद्र की दीवारें बल्लियों से और इसकी भी छत घास से तैयार की गई है। ध्यान और योग क्रियाओं के दौरान मच्छर-मक्खी परेशान न करें इसके लिए बारीक नेट लगाई गई है।

            योग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ उपेंद्र बाबू खत्री ने बताया कि छात्रों ने इस योग शाला के निर्माण के बाद यह कार्ययोजना बनाई है कि वे  गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को योग सिखाएंगे। डॉ खत्री के अनुसार ऐसे प्रयास किए गए कि कम से कम खर्च और प्राकृतिक संसांधनों से...प्राकृतिक वातावरण वाली प्रयोगशाला बने।

            वसंत पंचमी और गांधी जी की पुण्य तिथि के मौके पर  आयोजित किए गए इस उद्घाटन कार्यक्रम में हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ राहुल सिद्धार्थ ने बताया कि कैसे हिंदी साहित्य में वसंत का उल्लेख किया गया है। उन्होंने बताया कि हिंदी साहित्य की शुरुआत 1000 ईसवीं से हुई थी। तब से ही वसंत ऋतु का ज़िक्र हिंदी साहित्य में मिलता आ रहा है। उनका कहना था कि 16वीं शताब्दी में पद्मावत के लेखक मलिक मोहम्मद जायसी ने भी अवधी में किए गए अपने लेखन में वसंत का ज़िक्र किया है। इसी तरह से भारतेंदु, नज़ीर अकबराबादी, सुभद्रा कुमारी चौहान, सुमित्रानंदन पंत, हज़ारी प्रसाद द्विवेदी और विद्या निवास मिश्र ने अपनी कविताओं में वसंत का उल्लेख किया है।

            योग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ उपेंद्र बाबू खत्री ने बताया कि गांधीजी भी योग किया करते थे। उनका कहना था कि गांधी जी कर्म योग के योगी थी। डॉ खत्री ने बताया कि आचार्य श्रीराम शर्मा, महात्मा गांधी जी के पास योग सीखने गए थे। उन्होंने सुबह 4 बजे उठकर जानने का प्रयास किया कि गांधी जी किस प्रकार से योग साधना करते हैं। तीन-चार दिवस बाद जब उन्होंने पाया कि गांधी सुबह उठकर कोई योग नहीं करते हैं तो उन्होंने गांधी जी से इस बारे में बात की। गांधी जी ने उन्हें अगली सुबह उनके साथ उठकर चलने के लिए कहा। अगली सुबह गांधी जी ने सुबह अपने हाथों से अपने टॉयलेट-बाथरूम को साफ किया। इस पर आचार्य श्रीराम शर्मा को कोई योग जैसी बात समझ में नहीं आई। तब उन्होंने दोबारा गांधी जी से बात की। गांधी जी ने उनसे इसी प्रक्रिया को करने को कहा। आचार्य श्रीराम शर्मा कहते हैं कि तीन दिन बाद उन्हें गांधी जी की कर्मयोग की साधना का अर्थ समझ में आया।

 सांची विश्वविद्यालय में गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण

दिनांक 27.01.2020

 सांची विश्वविद्यालय में गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण

  • छात्र भारत की साझा संस्कृति को पूरे विश्व में फैलाएं
  • छात्रों ने ली संविधान की शपथ
  • बुद्ध की शिक्षाओं का गहन अध्ययन आवश्यक

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में 71वां गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित किया गया। गणतंत्र दिवस के मौके पर विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. ओ. पी बुधोलिया ने ध्वजारोहण किया। प्रात: 9 बजे आयोजित किए गए ध्वजारोहण कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं, शिक्षक एवं कर्मचारी मौजूद थे। अधिष्ठाता डॉ. बुधोलिया ने सभी छात्र-छात्राओं से कहा कि वे विश्वविद्यालय की पढ़ाई के साथ-साथ भारतीय संविधान का भी गहन अध्ययन करें।

डॉ बुधोलिया ने छात्रों से कहा कि वे हमारे देश की साझा संस्कृति और भारतीय परंपरा को पूरे विश्व में फैलाने का प्रयास करें। उनका कहना था कि छात्रों को चाहिए कि वे स्वयं भी भारतीय परंपरा का अध्ययन करें और इन्हें व्यवहारिक रूप से अपने जीवन में उतारें ताकि अपने वचन और कर्म दोनों से विश्व के उन सभी लोगों को प्रभावित कर सकें जिन तक इस परंपरा को पहुंचाया गया है।

ध्वजारोहण के उपरांत अंग्रेज़ी विभाग के सह प्राध्यापक डॉ नवीन मेहता और बौद्ध अध्ययन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ मुकेश वर्मा ने सभी छात्रों को संविधान के प्रति आस्था की शपथ- ‘हम भारत के लोग’ दिलाई।

सांची विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रण श्री विश्जीत झारिया ने भी गणतंत्र दिवस के अवसर पर छात्र-छात्राओं को बधाई दी। उनका कहना था कि विश्व शांति की स्थापना कि लिए आवश्यक है कि भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का गहनता से अध्ययन किया जाए और इन्हें विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। 

इतालवी शोधार्थी का हिंदी में व्याख्यान

दिनांक 16.01.2020

इतालवी शोधार्थी का हिंदी में व्याख्यान

  • ब्रजभाषा में प्रबोधचंद्रम के ब्रजवासी दास के अनुवाद पर शोध
  • शांतिनिकेतन में पढ़ाई कर रहीं है रोसीना पास्तोरे
  • 11वीं सदी के संस्कृत नाटक प्रबोधचंद्रम पर शोध
  • बॉलीवुड फिल्म देखकर हुईं हिंदी से प्रभावित

            सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में इतालवी (Italian) शोधार्थी ने ब्रजभाषा में शोध पर विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। रोसीना पास्तोरे स्विटज़रलैंड के लूज़ेन विश्वविद्यालय के भारतीय दर्शन विभाग में शोधार्थी हैं और इसी विश्वविद्यालय में ग्रेजुएट असिस्टेंट के तौर पर कार्य करती हैं। रोसीना वर्तमान में विश्व भारती शांति निकेतन के भारतीय दर्शन विभाग में पी.एच.डी पूर्ण करने के लिए एक साल के लिए आई हैं, जिन्हें शांति निकेतन का हिंदी विभाग अपना पूरा सहयोग प्रदान कर रहा है।

            रोसीना पास्तोरे ने ब्रजवासीदास की ‘ब्रजभाषा’ के माध्यम से “प्रबोधचंद्रम के अनेक रूप और स्त्रोत” पर सांची विश्वविद्यालय के सभी विभागों के प्राध्यापकों और छात्रों, विशेषकर हिंदी विभाग के छात्रों के समक्ष अपना व्याख्यान केंद्रित किया। रोसीना पास्तोरे, संस्कृत में लिखे गए प्रबोधचंद्रम में दर्शन के पक्ष को ढूंढने का प्रयास कर रही हैं।

            विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से आयोजित किए गए इस व्याख्यान में रोसीना पास्तोरे ने बताया कि उन्होंने अपने अब तक के शोध में यह पाया है कि ब्रजवासीदास के द्वारा लिखे नाट्य प्रबोधचंद्रम पर संस्कृत में लिखे गए भरतमुनि के नाट्य का प्रभाव न होकर तुलसीदास की रामचरित्रमानस का अधिक प्रभाव है।

            ग्यारहवीं सदी में संस्कृत में लिखे गए प्रबोधचंद्रम को ब्रजवासीदास ने 17वीं शताब्दी में व्याख्यायित किया है। रोसीना का कहना है कि ब्रजवासीदास ने दरअसल ब्रज भाषा में ही प्रबोधचंमद्र को व्याख्यायित किया है क्योंकि उस दौर में ब्रज हिंदी का ज़ोर था। हिंदी भाषा भी संस्कृत से होते पहले ब्रज भाषा बनी और उसके बाद हिंदी भाषा बनी।

            रोसीना हिंदी से अपने हाईस्कूल के दौर में प्रभावित हो गई थीं जब उन्होंने एक बॉलीवुड फिल्म देखी थी। उनका यह हिंदी प्रेम बढ़ता चला गया और उन्होंने नेपल्स विश्वविद्यालय, इटली से हिंदी भाषा में बी.ए करने के बाद एम.ए किया। हिंदी भाषा की चाहत उन्हें भारत खींच लाई। वो 2012 में भारत आईं और उसके बाद उन्होंने भारत में ही किसी विश्वविद्यालय से पी.एच.डी करने का फैसला किया। अपनी पी.एच.डी पूर्ण करने के लिए वो 2018 में एक बार फिर भारत आईं हैं।

            शांतिनिकेतन से हिंदी की पढ़ाई करने पर वे गर्व महसूस करती हैं। रोसीना पास्तोरे का कहना है कि भारत के लोग भी उसी तरह से सरल और सहज हैं जिस तरह से वो इटली या दुनिया के अन्य किसी देश के लोगों को सरल पाती हैं।  

            सांची विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागध्यक्ष डॉ राहुल सिद्धार्थ का कहना है कि प्रबोध का अर्थ होता है अभ्युदय(awakening) और इसी प्रबोध से समाज में समरसता आती है, सौहार्द आता है। सांची विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. ओ.पी बुधोलिया ने सांची स्तूप पर केंद्रित क़िताब Monuments of Sanchi रोसीना पास्तोरे को भेंट की और उनके द्वारा हिंदी में व्याख्यान के साथ-साथ दर्शन के पक्ष को प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।


Press Release - 2019

सांची विश्वविद्यालय में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

दिनांक 08-03-2019

  • “हर पुरुष के अंदर होता है मां की ममता का तत्व”- डॉ मेहता
  • “महिलाओं को पुरुषों की सहानुभूति नहीं संवेदनाएं चाहिए”- सुश्री अदिति गौड़
  • “महिला और पुरुष से पहले इंसान होना ज़रूरी”- डॉ प्राची अग्रवाल
  • “महिला को सामान्य मनुष्य की भांति देखा जाना चाहिए”- डॉ रितु श्रीवास्तव
  • “महिला को उसके विचार और बौद्धिकता से आंका जाए”- नेहा सैनी

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर छात्रों और शिक्षकों द्वारा महिला कर्मचारियों का सम्मान एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती रेनू तिवारी ने सभी महिला कर्मचारियों और छात्राओं को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई दी। कार्यक्रम में डीन डॉ नवीन कुमार मेहता ने मातृशक्ति की महत्ता और व्यक्तित्व विकास में मां की भूमिका पर बात रखी।

चीना भाषा विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. प्राची अग्रवाल ने कहा कि हमें महिला और पुरुषों के मध्य विभेद नहीं करना चाहिए क्योंकि हम सब इंसान हैं और हमें इंसान बनने की ज़रूरत है।  श्रीमती नीलिमा चंद्रवंशी ने कहा कि महिलाओं की शिक्षा पर जोर देते हुएकहाकि पुरुष शिक्षित होता है तो सिर्फ एक पीढ़ी को शिक्षित कर सकता है लेकिन एक महिला शिक्षित होती है तो वो कई पीढ़ियों को शिक्षित कर देती है।

विश्वविद्यालय की सहायक निदेशक(प्रदर्शनी) सुश्री अदिति गौड़ ने कहा कि महिलाओं को पुरुषों की सहानुभूति नहीं बल्कि संवेदनाएं चाहिए क्योंकि दुनिया की 50 प्रतिशत आबादी को सशक्त करने से समाज सशक्त होगा और इस प्रकार देश सशक्त होता है।

इंडियन पेंटिंग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ सुष्मिता नंदी ने बताया कि दुनिया के प्रत्येक मनुष्य में 51 अनुपात 49 में महिला और पुरुष अथवा पुरुष और महिला के तत्व पाए जाते हैं। चिकित्सा शाखा की डॉ अंजलि दुबे ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं एवं छात्राओं से अपील की, कि महिलाएं किसी भी पद पर जाएं वे बस अपनी सहजता बनाए रखें।

चिकित्सा शाखा की ही डॉ रितु श्रीवास्तव ने कहा कि शिव के बिना शक्ति नहीं और शक्ति के बिना शिव नहीं। उनका कहना था कि महिला एक सामान्य मानक है वह दूसरा जेंडर नहीं है जैसा की पुरुष को प्रथम जेंडर बताया जाता है। डॉ श्रीवास्तव ने महिला दिवस पर एक कविता भी प्रस्तुत की।

विश्वविद्यालय के सभी विभागों से एक-एक छात्रा को मौका दिया गया कि वो महिला दिवास पर अपने विचार प्रकट करें। योग विभाग की छात्रा नेहा सैनी ने कहा कि महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही बुद्धि, मन और मस्तिष्क की शुद्धता होनी चाहिए। नेहा ने कहा कि महिलाओं को उनके रंग और रूप से न आंका जाए बल्कि विचार और बौद्धिकता के आधार पर उनका आंकलन किया जाए।

अंग्रेज़ी विभाग की छात्रा मुस्कान सोलंकी ने सांची विश्वविद्यालय की सर्वप्रथम कुलपति डॉ शशि प्रभा कुमार और संस्कृत विभाग की पूर्व डीन डॉ. सुनंदा शास्त्री को भी महिला दिवस के मौके पर याद किया। धन्यवाद ज्ञापन के दौरान विश्वविद्यालय के डीन डॉ नवीन मेहता ने जीबी शॉ के नाटक के माध्यम से बताया कि कैसे नाटक  की महिला पात्र अपने निर्बल पति का सहयोग कर उसे आत्मसम्मान से जीना सिखाती है। इसी प्रकार से उन्होंने महिला सशक्तिकरण का चरित्र चित्रण करने वाले हैंडी गिब्सन के नाटक “A Dolls House”का ज़िक्र भी किया।



नागालैंड के छात्रों ने किया सांची विश्वविद्यालय का भ्रमण

दिनांक 27-02-2019

  • सांची विश्वविद्यालय के छात्रों से किया संवाद
  • विश्वविद्यालय के विदेशी छात्रों से भी की बातचीत
  • मध्य प्रदेश के भ्रमण पर हैं नागालैंड छात्रों की टीम
  • नागालैंड के विभिन्न पॉलीटेक्निकों का है यह छात्र दल
  • प्रदेश की संस्कृति और इतिहास के विषय में जाना

नागालैंड के 12 छात्रों ने आज सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय का भ्रमण किया। एक भारत-श्रेष्ठ भारत अभियान के तहत ये छात्र 25 से 28 फरवरी तक मध्य प्रदेश के भ्रमण पर हैं। उत्तर पूर्व राज्य के इन छात्रों को प्रदेश के ऐतिहासिक व पर्यटन स्थलों के साथ-साथ शैक्षणिक संस्थानों में ले जाया जा रहा है। इसी कड़ी में नागालैंड के विभिन्न पॉलीटेक्निकों से चयनित ये 12 छात्र और दो प्राध्यापक सांची विश्वविद्यालय पहुंचे थे।

इन छात्रों ने सांची विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ संवाद किया और एक दूसरे की संस्कृति के बारे में जाना। ये छात्र पॉलीटेक्निक के विभिन्न विभागों में पढ़ाई करते हैं। इनमें सिविल इंजीनियरिंग, फूड टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस इत्यादि विषय में पढ़ाई करने वाले छात्र हैं। कंप्यूटर साइंस विभाग के छात्र Jessi(जेसी)ने बताया कि नागालैंड में दरअसल 16 विभिन्न जनजातियां रहती हैं। इन सभी की अपनी भाषा और अपनी संस्कृति है। जिन्हें मूल रूप से नागा जनजाति(Naga Tribes) के नाम से जाना जाता है। सांची विश्वविद्यालय के चीनी भाषा विभाग में पढ़ाई कर रहे ITBP (भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस) के जवान टी मयारसंग ने विश्वविद्यालय के बारे में नागालैंड छात्रों को बताया। टी मयारसंग मिज़ोरम के रहने वाले हैं और वे भी नागा जनजाति से हैं।

सांची विश्वविद्यालय में नागालैंड के इन छात्रों का स्वागत अधिष्ठाता डॉ नवीन मेहता ने किया। नागालैंड के इन छात्रों  ने विश्वविद्यालय की केंद्रीय लाइब्रेरी में भी कुछ समय बिताया। इन छात्रों की रुचि संस्कृत, बौद्ध दर्शन के विषय की किताबों में दिखाई दे रही थी। छात्रों ने इन विषयों की पुस्तकों में जिज्ञासा प्रदर्शित की। इन सभी ने काफी खुलकर सांची विश्वविद्यालय के छात्रों से बातचीत की और मध्य प्रदेश की संस्कृति तथा सांची विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों के विषय में जानकारी ली।

नागालैंड के छात्रों और शिक्षकों ने सांची विश्वविद्यालय के उद्यान के भ्रमण किया और फूलों से भरे बाग का आनंद उठाया और विश्वविद्यालय कैंपस में लगे बेर के पेड़ों से खट्टे-मीठे बेर तोड़कर भी खाए। विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे विएतनाम, थाइलैंड, नेपाल और अन्य देशों के विदेशी छात्रों के साथ भी बातचीत कीऔर विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों के बारे में उत्सुकता से जानकारी ली।

नागालैंड के इन छात्रों को मध्य प्रदेश सरकार के विशेष अतिथियों की तरह राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में ठहराया गया है। विश्वविद्यालय के भ्रमण के बाद इन छात्रों को सांची स्तूप भी ले जाया गया। नागालैंड के इन छात्रों ने संवाद के दौरान बताया कि भोपाल के बड़े तालाब में क्रूज़ की राइड के दौरान इन लोगों ने जमकर मस्ती की।

 

सांची विश्वविद्यालय में वार्षिक खेल उत्सव
300 वर्षों में विज्ञान ने ही धरती को नुकसान पहुंचाया

दिनांक 04-02-2019

  • सांची विश्वविद्यालय में आई.आई.टी दिल्ली के प्रो. त्रिपाठी का विशिष्ट व्याख्यान
  • बुद्ध की शिक्षाओं से ही विश्वशांति संभव

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में “शिक्षा और विचार में स्वावलंबन” विषय पर आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर वीके त्रिपाठी का विशिष्ट व्याख्यान हुआ। आई.आई.टी दिल्ली के फिज़िक्स विभाग के रिटायर्ड प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि पिछले 300 सालों में धरती को सबसे ज्यादा नुकसान विज्ञान ने ही पहुंचाया है। बुद्ध और गांधी के विचारों से प्रभावित प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि विज्ञान ने भले ही नए आयाम पैदा किए, उत्पादन बढ़ाया,स्वास्थ्य और संचार बढ़ाया लेकिन विज्ञान की तकनीकों के कारण दो वर्ल्ड वॉर और बाद में कई देशों में लाखों लोग मारे गए ।

एडम जोन्स की किताब ‘जिनोसाइड’ का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में अंग्रोज़ों के शासन से पहले अकाल नहीं पड़ता था क्योंकि किसान, मज़दूर के पास हुनर था। अंग्रेज़ों ने आकर देश के लोगों को वैज्ञानिक तकनीक सिखाने के नाम पर बेरोज़गार बना दिया। उन्होंने कहा कि अंग्रेज़ों के भारत आने से पहले देश में सौहार्द था, लोग एक दूसरे के सुख-दुख में खड़े होते थे लेकिन 1857 की क्रांति के बाद ही अंग्रेज़ों ने देश में विभाजन के बीज बोने शुरू कर दिए थे।

अपने विशिष्ट व्याख्यान में गांधीवादी विचारक प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि देश के 88 प्रतिशत बच्चे विश्वविद्यालय स्तर तक की पढ़ाई तक पहुंच ही नहीं पाते। ऐसे में विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे छात्रों को चाहिए कि वो अपने ज्ञान को उन लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करें जिन तक ज्ञान पहुंचा ही नहीं। प्रो.
वी.के त्रिपाठी ने कहा कि बुद्ध ने 2500 साल पहले कहा था कि अगर आपके पास सत्य है तो इसको हथियार बनाते हुए जनविरोधी कार्यों को रोकने का भरसक प्रयास करें। उन्होंने कहा कि हिंसाग्रस्त विश्व में शांति के दूत गौतम बुद्ध की शिक्षाओं पर शोध और अध्ययन से भारत विश्व को शांति का मार्ग दिखा सकता है। प्रो त्रिपाठी के मुताबिक सभी धर्मों के मूल पर अध्ययन कर अगर साझा विरासत पर शोध की जाए तो शांति को पुन: स्थापित करने के प्रयास हो सकते हैं।

प्रो. त्रिपाठी पूरे देश में सद्भावना मिशन चलाते हैं और लोगों के बीच गांधीवादी विचारों को बढ़ाने का प्रयास करते हैं। सद्भावना मिशन प्रत्येक रविवार को एक ही दिशा के 4-4 गावों तक मोबाइल लाइब्रेरी के माध्यम से पहुंचते हैं और मुफ्त में गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए पुस्तकें भेंट करते हैं। अगले 15 दिनों में टीम दोबारा उसी गांव में पहुंचती है और पुरानी पुस्तकों के बदले नई पुस्तकें पढ़ने के लिए देती है।

सांची विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय द्वारा आयोजित इस विशिष्ट व्याख्यान में सम्राट अशोक इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रो. के.के पंजाबी ने विदिशा की 81 वर्ष पुरानी सार्वजनिक लाइब्रेरी का उदाहरण भी दिया जहां मात्र 200 रुपए प्रतिमाह पर लोग ज्ञानार्जन कर रहे हैं।

 

सांची बौद्ध विश्वविद्यालय में ध्वजारोहण

दिनांक 26-01-2019

  •  छात्रों ने बताया कैसे बन सकता है भारत विश्व शांति का अग्रदूत
  •  अधिष्ठाता डॉ मेहता ने छात्रों को बताया संविधान के सम्मान का महत्व
  •  सभी क्षेत्रों में शोधों के माध्यम से ही तरक्की कर सकता है भारत- डॉ मेहता

सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्यन विश्वविद्यालय में 70वे गणतंत्र दिवस के मौके पर ध्वजारोहण किया गया। रायसेन, बारला स्थित विश्वविद्यालय में अधिष्ठाता डॉक्टर नवीन मेहता ने तिरंगा फहराया। ध्वजारोहण के बाद छात्र-छात्राओं ने विभिन्न प्रस्तुतियां दीं। डॉ मेहता ने इस मौके पर उपस्थित अधिकारी-कर्मचारियों और छात्रों को संविधान की एहमियत के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान देश के सभी नागरिकों को एक समान और एक बराबर होने का दर्जा देता है। डॉ नवीन मेहता ने कहा कि छात्रों को चाहिए कि वे अपनी उच्च शिक्षा और शोध के माध्यम से नई-नई खोजें करें ताकि हमारा राष्ट्र विज्ञान, यांत्रिकी, चिकित्सा और दर्शन के क्षेत्र में पूरे विश्व में सबसे आगे रह सके।

विश्वविद्यालय में बौद्ध दर्शन और भारतीय दर्शन पर पीएचडी तथा एमफ़िल कर रहे छात्रों ने दर्शन के विषयों पर की जा रही विभिन्न शोधों के विषय में बताया। बौद्ध दर्शन से पीएचडी कर रहे छात्र उमाशंकर ने बताया कि कैसे बौद्ध और भारतीय दर्शन के विषयों को आधार बनाकर की जाने वाली शोधों के ज़रिए भारत पूरी दुनिया में विश्व शांति का अग्रदूत बन सकता है।

विश्वविद्यालय के अन्य विभागों के छात्रों ने राष्ट्र भक्ति से ओतप्रोत प्रस्तुतियां दी। विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती रेनू तिवारी और कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने छात्रों और कर्मचारियों को गणतंत्र दिवस की बधाई दी।

सांची विश्वविद्यालय के दो छात्र दिल्ली में बनेंगे PGT शिक्षक

दिनांक 14-01-2019

 इंडियन पेंटिंग विभाग से पी.एच.डी कर रहे हैं भारत जैन और स्नेहलता मिश्रा

  • - दिल्ली अधीनस्थ चयन बोर्ड में पीजीटी शिक्षक चयनित
  • - कुलपति श्रीमती रेनू तिवारी ने दी दोनों छात्रों को बधाई

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के इंडियन पेंटिग विभाग से पीएचडी कर रहे दो छात्रों का चयन दिल्ली में बतौर पेंटिंग शिक्षक  हो गया है। भारत कुमार जैन और स्नेहलता मिश्रा, सांची विश्वविद्यालय से पी.एच.डी कर रहे हैं। दिसंबर 2018 में DSSB- Delhi Subordinate Selection Board की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले भारत व स्नेहलता को सांची विश्वविद्यालय  की कुलपति श्रीमती रेनू तिवारी ने बधाई दी है।

बनारस की रहने वाली स्नेहलता मिश्रा ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से मास्टर इन फाइन आर्ट्स(एम.एफ.ए) किया है जबकि भारत जैन, खैरागढ़ विश्वविद्यालय से एम.एफ.ए में गोल्ड मैडलिस्ट है। स्नेहलता मिश्रा का चयन जुलाई 2018 में यूजीसी के जे.आर.एफ(जूनियर रिसर्च फैलोशिप) के लिए हुआ है। जे.आर.एफ के लिए यूजीसी 30 हज़ार रुपए प्रतिमाह की स्कॉलरशिप देता है।

वहीं, विदिशा के रहने वाले भारत कुमार जैन ने AIFACS (All India Fine Arts & Craft Society, New Delhi) द्वारा आयोजित चित्रकारी का राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार जीता था और इस पुरस्कार के तौर पर उन्हें 25 हज़ार रुपए नगद की पुरस्कार राशि प्राप्त हुई थी। भारत कुमार का पूर्व में भी राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के लिए चयन हो चुका है। वे केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की स्कॉलरशिप के लिए भी चयनित हो चुके हैं तथा प्रफुल्ल धनकर केंद्रीय ज़ोन अवार्ड के लिए भी चयनित किए जा चुके हैं।

 दोनों छात्रों को अगस्त-सितंबर तक पदभार ग्रहण करना है। DSSB की यह परीक्षा पूर्णत: बहुविकल्पीय प्रश्नों पर आधारित परीक्षा होती है जिसमें BFA ग्रेजुएट परीक्षार्थी TGT के लिए व MFAपोस्ट ग्रेजुएट परीक्षार्थी PGT के लिए सम्मिलित हो सकते हैं। इंडियन पेंटिंग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सुष्मिता नंदी ने बताया कि भारत जैन व स्नेहलता मिश्रा ने पीजीटी व टीजीटी के लिए परीक्षा दी थी।


संस्कृति सचिव श्रीमति रेनू तिवारी ने लिया सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विवि के कुलपति का प्रभार

  • - अधिकारियों/कर्मचारियों से की मुलाकात, विवि को आगे बढ़ाने का दिया संदेश
  • - राज्य शासन के परामर्श पर राज्यपाल ने दिया प्रभार

संस्कृति विभाग की सचिव श्रीमती रेनू तिवारी ने सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार ग्रहण कर लिया। सांची विवि पहुंची श्रीमती तिवारी को कुलसचिव श्री अदितिकुमार त्रिपाठी से विवि की शैक्षणिक व प्रशासनिक गतिविधियों से अवगत कराया।विवि के अधिकारियों, कर्मचारियों को संबोधित करते हुए श्रीमती तिवारी ने सांची विवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित कराने के लिए हरसंभव प्रयास करने की बात की। उन्होने कहा कि सांची विवि को भारत की धरोहर और संस्कृति को दुनियाभर में प्रचारित करने का कार्य भी करना है जिससे उच्च श्रेणी के छात्र व विद्वान विवि से जुड़ सके। कुलपति महोदया ने अधिकारियों, कर्मचारियों को विवि के उद्देश्यों के अनुरुप कार्य करने और दुनियाभर से छात्रों एवं विद्वानों को आकर्षित करने का आव्हान किया।

राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलपति श्री यजनेश्वर शास्त्री की 70 वर्ष की आयु पूर्ण होने से श्रीमती रेनू तिवारी को कुलपति का प्रभार दिया है। राजभवन से आदेश जारी होने के उपरांत श्रीमती तिवारी ने विवि में पदभार ग्रहण किया।



Press Release - 2018

जापान के एमेरिटस प्रो. रियोजुन सातो ने किया सांची विश्वविद्यालय का भ्रमण

  • 1959 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र थे प्रो. रियोजुन
  • गौतम बुद्ध पर दो किताबें “द महाबोधि टैम्पल एट बोधगया’ और “लाइफ ऑफ बुद्धा” लिखी है
  • छात्रों को बताया कैसे तिब्बत, चीन के रास्ते जापान पहुंचा था बौद्ध दर्शन
  • 86 वर्ष के हैं प्रो. रियोजुन सातो

जापान की राजधानी टोक्यो के ताइशो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रियोजुन सातो ने आज सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय का दौरा किया.....86 साल के प्रो. रियोजुन सातो एमेरिटस Emeritus (ससम्मान सेवानिवृत्त) प्रोफेसर हैं और वे टोक्यो जापान के रहने वाले हैं। उन्होंने 1959 में दिल्ली विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के दूसरे बैच से पढ़ाई की है।

प्रो. रियोजुन सातो मध्य प्रदेश के विभिन्न बौद्ध मंदिरों, मठों, स्थलों और स्तूपों का दौरा कर रहे हैं। अपने दौरों की इसी कड़ी में वे सांची स्तूप भी पहुंचे। स्तूप दर्शन के बाद वे सांची विश्वविद्यालय पहुंचे और उन्होंने विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग पहुंचकर छात्रों और शिक्षकों से मुलाकात की और अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने छात्रों को बताया कि कैसे बौद्ध दर्शन तिब्बत, चीन के रास्ते जापान पहुंचा। उन्होंने सांची विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को बताया कि वे प्रयास करेंगे कि जापान में बौद्ध अध्ययन से संबंधित विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर सांची विश्वविद्यालय ज्ञान साझा करें। प्रो. सातो विश्वविद्यालय की केंद्रीय लाइब्रेरी भी पहुंचे।

प्रो. रियोजुन सातो ने भगवान बुद्ध से जुड़े भारत के लगभग सभी स्थलों का गहन पुरातात्विक अध्ययन किया है। वे अपनी इस यात्रा के दौरान बादामी, विजयनगर, अंजता-एलोरा, गुजरात और कश्मीर के उन स्थानों पर भी जा चुके हैं जहां पर बौद्ध स्थल स्थापित हैं। उन्होंने गौतम बुद्ध पर दो पुस्तकें – “द महाबोधि टैम्पल एट बोध गया” और “लाइफ ऑफ बुद्धा” लिखी है। वे इन दिनों भगवान बुद्ध से संबंधित कई कहानियों पर गहन शोध कर रहे हैं।

प्रो. सातो इंटरनेशनल बुद्धिस्ट ब्रदरहुड एसोसिएशन, बोधगया और असम के बोर्ड मैंबर तथा बंगाल बुद्धिस्ट एसोसिएशन, कोलकाता के पैटरन भी हैं।

कश्मीर के 135 छात्रों ने किया सांची विश्वविद्यालय का भ्रमण

  • - विभिन्न विभागों में पहुंचे और पाठ्यक्रमों के बारे में जाना
  • - कश्मीर के 6 विभिन्न ज़िलों से आए हैं छात्र
  • - मध्य प्रदेश के लोग सरल, शांतिप्रिय और मिलनसार- कश्मीरी छात्र
  • - मध्य प्रदेश के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों पर जाएंगे ये छात्र
  • - सांची स्तूप का भी किया भ्रमण
  • - वाल्मी संस्था और नेहरू युवा केंद्र करा रही है भ्रमण का आयोजन

 

कश्मीर के विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अध्ययन करने वाले 135 छात्रों ने आज सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय का भ्रमण किया। इन छात्रों ने सांची विश्वविद्यालयों के छात्रों के साथ मेल-मुलाकात कर एक दूसरे की संस्कृति, शिक्षा व्यवस्था, कोर्सेस और संस्थाओं के बारे में जानकारी हासिल की। ये कश्मीरी छात्र 6 दिनों के मध्य प्रदेश भ्रमण पर हैं। अपनी यात्रा के तीसरे दिन इन छात्रों ने आज सांची विश्वविद्यालय से पहले सांची स्तूप का भ्रमण किया। सांची विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने भी कशमीरी छात्रों का उत्साह बढ़ाया। सांची विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग में पी.एच.डी कर रहे कशमीरी छात्र अशरफ वानी ने कशमीरी भाषा में छात्रों को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों के बारे में बताया।

कश्मीर के 6 अलग-अलग ज़िलों से मध्य प्रदेश पहुंचे इन छात्रों ने अपने अनुभव सांची विश्वविद्यालय के छात्रों से साझा किया। पीजी के छात्र शाहिद वानी ने बताया कि मध्य प्रदेश के लोग बेहद ही सरल हैं और वे जहां भी गए पूरे प्रेम और स्नेह से उनका स्वागत किया गया। एक और छात्र इमरान का कहना था कि मध्य प्रदेश के लोग सरल, शांतिप्रिय, सम्मान देने वाले और सहयोग देने वाले हैं।

नेहरू युवा केंद्र द्वारा आयोजित किए गए इस टूर में कश्मीरी छात्रों को प्रदेश के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों, शिक्षण संस्थाओं, विश्वविद्यालयों का दौरा कराया जा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार ने इस टूर की ज़िम्मेदारी IIFM अंतर्गत WALMI संस्था को सौंपा है। वाल्मी के अधिकारी इन कश्मीरी छात्रों को भ्रमण करा रहे हैं।

इन कश्मीरी छात्रों ने सांची विश्वविद्यालय के विभिन्न कोर्सेस के बारे में जानने के लिए उत्साह दिखाया। कई छात्रों का कहना था कि वे उच्च शिक्षा के लिए मध्य प्रदेश का चयन करेंगे। इस टूर में 9वीं से 12वीं के छात्र, ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्र हैं।

अपनी यात्रा के पहले दिन इन कश्मीरी छात्रों ने शौर्य स्मारक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय का भ्रमण किया। सांची विश्वविद्यालय के बाद ये छात्र ताज्जुल मस्जिद भी पहुंचे। वाल्मी संस्थान  में कल इन कश्मीरी छात्रों का मध्य प्रदेश के छात्रों के साथ सांस्कृतिक उत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया है।

सांची विश्वविद्यालय के छात्र ने जीता चित्रकारी का राष्ट्रीय पुरस्कार

  • - मध्य प्रदेश के विदिशा के रहने वाले हैं भारत कुमार
  • - आईफाक्स (AIFACS) ने प्रोफेशनल चित्राकारों के लिए आयोजित की थी प्रतियोगिता
  • - 200 से अधिक राष्ट्रीय चित्रकारों के बीच भारत को मिली सफलता
  • - आर्किटेक्ट प्रतियोगिता में भी जीता भारत ने पुरस्कार
  • - विवि के इंडियन पेंटिंग विभाग की छात्रा स्नेहलता मिश्रा का जे.आर.एफ में चयन
  • - विभागाध्यक्ष को भी मिला राष्ट्रीय महिला कलारत्न पुरस्कार

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के इंडियन पेंटिंग विभाग में पी.एच.डी कर रहे छात्र भारत कुमार जैन ने चित्रकारी का राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार जीता है। भारत को AIFACS (All India Fine Arts & Craft Society, New Delhi) इस पुरस्कार के तौर पर 25 हज़ार रुपए नगद प्रदान करेगी। वे 10 दिसंबर को इस पुरस्कार को ग्रहण करने के लिए दिल्ली में होंगे। भारत कुमार  विदिशा के रहने वाले हैं। AIFACS आईफाक्स प्रतिवर्ष इस प्रतियोगिता को आयोजित करता है। इस प्रतियोगिता में फ्री लांस करने वाले प्रोफेशनल चित्रकार हिस्सा लेते हैं। यह प्रतियोगिता सभी स्तर के प्रतिभागियों के लिए आयोजित की जाती है। भारत कुमार के अलावा 200 से अधिक चित्रकारों का चयन इस प्रतियोगिता के लिए किया गया था जिसमें उन्होंने सर्वप्रथम स्थान हासिल किया है।

आईफाक्स के इस पुरस्कार के अलावा भारत कुमार का चयन सीएमआर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट बैंगलोर के कैंप के लिए भी हुआ है। इस चयन के लिए संस्थान ने उन्हें 15 हज़ार रुपए नगद के पुरस्कार से नवाज़ा है। दरअसल, सीएमआर एजुकेशनल संस्था आर्किटेक्ट विश्वविद्यालय बैंगलोर संस्था है और इस कैंप के लिए पूरे देश से 25 चित्रकारों का चयन किया गया था। कैंप में चयनित होने वाले मध्य प्रदेश के एकमात्र चित्रकार भारत भी थे। संस्था ने कला के साथ आर्किटेक्ट को जोड़ते हुए अध्ययन को प्राथमिकता दी थी जिसके लिए इन चित्रकारों को चित्रकारी के लिए आमंत्रित किया गया था।

सांची विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य डॉ यज्ञेश्वर एस. शास्त्री एवं कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने भारत कुमार को उनकी इन दोनों सफलताओं के लिए बधाई दी। सांची विश्वविद्यालय के इंडियन पेंटिंग विभाग को एक साथ तीन सफलताएं हासिल हुई हैं। इन अधिकारियों ने इन कामयाबियों के लिए भी विभाग और विभागाध्यक्ष को बधाई दी। विश्वविद्यालय की ही पी.एच.डी की छात्रा स्नेहलता मिश्रा का चयन यूजीसी के जे.आर.एफ(जूनियर रिसर्च फैलोशिप) के लिए हुआ है। उन्हें इस कामयाबी के लिए यूजीसी की ओर से 30 हज़ार रुपए प्रतिमाह की स्कॉलरशिप मिलेगी।

विश्वविद्यालय की इंडियन पेंटिग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ सुष्मिता नंदी को टोंक राजस्थान के बारहवें राष्ट्रीय कलापर्व क्रेयॉन्स की अंतरंग कला एवं शिक्षण संस्थान ने राष्ट्रीय महिला कलारत्न पुरस्कार से नवाज़ा है।

भारत कुमार का पूर्व में भी राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के लिए चयन हो चुका है। वे केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की स्कॉलरशिप के लिए भी चयनित हो चुके हैं तथा प्रफुल्ल धनकर केंद्रीय ज़ोन अवार्ड के लिए भी चयनित किए जा चुके हैं।

आधुनिक परिप्रेक्ष्य में भारतीय दर्शन का लेखन विषय पर 5 दिवसीय कार्यशाला आयोजित
दिमाग़ के तंतु जागृत कर देती है संस्कृत - सांची विश्वविद्यालय में संस्कृत दिवस का आयोजन

“ मृत और ब्राह्मणों की भाषा नहीं है संस्कृत ”- कुलपति डॉ. शास्त्री
“ आम लोगों के ही सहयोग से रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथ रचे गए ”
“ पुन : अपना गौरव हासिल कर लेगी संस्कृत ”- डॉ. शास्त्र
“ अंग्रेज़ों ने हमारे ग्रंथों को नष्ट कर दिया ” - आचार्य अभय कात्यायन
“संस्कृत से निकली भाषाओं का गहन अध्ययन ज़रूरी है ”- आचार्य अभय कात्यायन

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में आज संस्कृत दिवस का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य डॉ. यज्ञेश्वर शास्त्री ने संस्कृत दिवस के मौके पर विश्वविद्यालय के छात्रों एवं कर्मचारियों को संस्कृत में ही संबोधित किया। कुलपति डॉ शास्त्री ने कहा कि संस्कृत, मृत और ब्राह्मणों की भाषा नहीं है तथा रामायण और महाभारत जैसे महान ग्रंथों की रचना आम व्यक्तियों के सहयोग से ही हो सकी है। उन्होंने कहा कि आम बोलाचाल में उपयोग बढ़ जाने पर यह फिर अपना गौरव हासिल कर लेगी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आचार्य अभय कात्यायन ने कहा कि “अंग्रेज़ों ने हमारे ग्रेंथों को नष्ट कर दिया”। उनका कहना था कि बाइबल में भी एक देश और एक भाषा बोलने वालों का वर्णन है और हमें अपनी भाषा और अपने ग्रंथ पढ़ने चाहिए। उनका कहना था कि अल्पज्ञान ने ही भाषाओं को नुकसान पहुंचाया है। आचार्य अभय कात्यायन ने कहा कि संस्कृत से निकली भाषाओं का गहन अध्ययन आवश्यक है आचार्य कात्यायन संस्कृत के अलावा हिंदी, अंग्रेज़ी, पाली, सिंहली, फ्रेंच, तिब्बती भाषाओं के भी ज्ञाता हैं। सांची विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने ज्ञान के नए सूत्र खोजे जाने पर ज़ोर दिया।
विश्वविद्यालय के डीन डॉ नवीन मेहता ने बताया कि शोध में यह बात सामने आई है कि संस्कृत का उपयोग करने से दिमाग के तंतु जागृत होते हैं। संस्कृत दिवस पर विश्वविद्यालय में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। इनमें निबंध प्रतियोगिता, छंद पाठ प्रतिस्पर्धा, श्लोक पाठ प्रतिस्पर्धा और व्याख्यानमाला शामिल थे। “योग: कर्म कौशल” तथा “भारत की प्रतिष्ठा के लिए संस्कृत और संस्कृति की आवश्यकता” जैसे विषयों पर निबंध लेखन आयोजित किया गया। भगवद गीता के द्वितीय अध्याय पर उल्लेखित श्लोकों पर आधारित श्लोकपाठ प्रतियोगिता आयोजित की गई। डॉ नवीन दीक्षित ने संस्कृत और समाज का अपनी दृष्टि से अध्ययन करने पर ज़ोर दिया।

सांची विश्वविद्यालय में हर्षोल्लास से मना स्वतंत्रता दिवस

- कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने किया ध्वजारोहण
- ऐष धर्म: सनातन्: है अशोक चक्र का संदेश
- सांची विश्वविद्यालय का भी सूत्र वाक्य है ऐष धर्म: सनातन्:
- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री अमर सिंह ने दिया विशेष संदेश

सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के बारला अकादमिक परिसर में 72वें स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण किया गया। कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी ने राष्ट्रध्वज फहराने के फहराने के बाद तिरंगे के तीनों रंगों की व्याख्या करते हुए बताया कि तिरंगे की सफेद पट्टी पर बना अशोक चक्र ऐष धर्म: सनातन्: का संदेश देता है जो कि सांची विश्वविद्यालय का भी सूत्र वाक्य है। उन्होंने कहा कि ऐष धर्म: सनातन्: देश वासियों को परस्पर सहानुभूति की शिक्षा देता है। जिसका मुख्य संदेश यह है कि बैर को बैर से समाप्त नहीं किया जा सकता बल्कि बैर(वैमनस्य) को मात्र प्रेम(अवैमनस्य)से ही खत्म किया जा सकता है और ऐष धर्म: सनातन: सांची विश्वविद्यालय का मूल सूत्र भी है। समारोह में मुख्य अतिथि 91 वर्ष के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री अमर सिंह जी ने कहा कि हमने आहूतियां देकर कीमत चुकाई है और आज़ादी के लिए खुदीराम बोस, अशफाकुल्ला, भगत सिंह इत्यादि ने बेहद संघर्ष किया है इसे हमें व्यर्थ नहीं गंवाना है। श्री अमर सिंह ने देश की आज़ादी के लिए क्रांतिकारियों के साथ विंध्य और बुंदेलखंड के इलाकों में संघर्ष किया था और आप इंदौर और भोपाल की जेल में अंग्रेज़ों द्वारा कैदी भी बनाए गए थे।
स्वतंत्रता दिवस समारोह के मौके पर ग्राम बिलारा के स्कूली बच्चों ने भी शिरकत कर विश्वविद्यालय में एक संगीतमय कार्यक्रम प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय द्वारा ग्राम बिलारा को गोद लिया गया है। विश्वविद्यालय की छात्राओं ने भी राष्ट्रभक्ति से भरपूर गीतों को प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय के डीन डॉ नवीन मेहता ने बताया कि देश संस्कृत भाषा के मूल शब्ध दिशा से बना है। उन्होंने यह भी व्याख्यायित किया कि भारत शब्द भरत से बना है जिसका अर्थ अग्नि से है। भारत का एक अर्थ उन्होंने यह भी बताया कि जो ज्ञान में लीन हो। उनका कहना था कि अखंड भारत का उद्देश्य अध्यात्म और सांस्कृतिक रूप से संवृद्धि करना है। धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक श्री हरीश चंद्रवंशी ने दिया एवं संचालन बौद्ध दर्शन विभाग के प्राध्यापक श्री मुकेश वर्मा ने किया।

सांची विश्वविद्यालय ने ग्राम बिलारा में आयोजित किया स्वास्थ शिविर

- विश्वविद्यालय ने गोद लिया गांव बिलारा
- क्रीड़ा, योग एवं दक्षता प्रोत्साहन भी है विवि का लक्ष्य
- गर्भवती माताओं, किशोरियों और शिशु संबंधी कार्यक्रम से अवगत कराया
- क्षय रोगी किशोरी के समस्त ईलाज का खर्च उठाएंगे विवि के कुलपति
- विदिशा की सी.एम.ओ डॉ शशि ठाकुर थीं कार्यक्रम की मुख्य अतिथि
- कुलपति आचार्य प्रो. यज्ञेश्वर एस. शास्त्री ने किया फल वितरण

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय द्वारा आज अकादमिक परिसर के करीब के ही ग्राम बिलारा, पोस्ट-मखनी, ज़िला रायसेन में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। सांची विश्वविद्यालय ने इस गांव को गोद लिया है। ग्राम बिलारा के सामुदायिक केंद्र में आयोजित किए गए इस स्वास्थ्य शिविर में बड़ी संख्या में ग्रामवासियों ने पहुंचकर स्वास्थ संबंधी जानकारियां हासिल कीं।
इस स्वास्थ शिविर के दौरान गांव की 52 महिलाओं और 12 बच्चों के स्वास्थ की जांच की गई। गर्भवती माताओं, किशोरियों और बच्चों को मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम, शिशु स्वास्थ पोषण कार्यक्रम एवं टीकाकरण की जानकारी प्रदान की गई।
स्वास्थ्य कैंप में मुख्य अतिथि के तौर सम्मिलित विदिशा की सी.एम.ओ डॉ. शशि ठाकुर ने लोगों को मध्य प्रदेश शासन की स्वास्थ्य संबंधी समस्त योजनाओं की जानकारी दीं। सांची विश्वविद्यालय ने इस ग्राम में क्रीड़ा, योग, दक्षता प्रोत्साहन एवं स्वच्छता संबंधी जागरूकता को लक्ष्य बनाया है।
इसी के अंतर्गत प्रथम चरण में स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया गया। इस दौरान स्वास्थ शिविर में पहुंची एक क्षय रोगी किशोरी के इलाज का समस्त व्यय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आचार्य डॉ यज्ञेश्वर एस. शास्त्री ने उठाने का फैसला किया है।
इस स्वास्थ शिविर में ग्रामवासियों को क्षय रोग और कुष्ठ रोगों के संभावित रोगियों को उपचार के संबंध में आवश्यक जानकारी प्रदान की गई। इस दौरान कुलपति आचार्य प्रो. यज्ञेश्वर एस शास्त्री एवं मुख्य अतिथि डॉ. शशि ठाकुर ने फल वितरण भी किया। विश्वविद्यालय की डॉ. रितु सक्सेना और डॉ अंजलि दुबे एवं नर्सिंग स्टाफ सहित समस्त कर्मचारियों ने शिविर के आयोजन में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान किया।

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साधरण परिषद की तीसरी बैठक - सांची विश्वविद्यालय को 10 करोड़ की संचित निधि देगी सरकार

- साधारण परिषद की बैठक में कर्मचारियों को पेंशन एवं उपादान को भी मंज़ूरी

सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की साधरण परिषद की मुख्यमंत्री निवास में हुई बैठक में विश्वविद्यालय से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए। प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई बैठक में विश्वविद्यालय परिसर निर्माण हेतु आवश्यक राशि उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री जी ने विश्वविद्यालय की संचित निधि के लिए 10 करोड़ रुपए उपलब्ध कराने का भी फैसला किया।

विभिन्न देशों के अध्ययन केन्द्र हेतु विश्वविद्यालय को आवंटित भूमि से लगी अतिरिक्त 20 एकड़ भूमि भी उपलब्ध कराने पर बैठक में सहमति बनी। साधारण परिषद ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए पेंशन एवं उपादान सुविधा देने का भी निर्णय लिया। विवि के गैर अकादमिक सेवकों के लिए सातवें वेतनमान को भी मंजूरी दी गई।

इस बैठक में माननीय मुख्यमंत्री के अलावा संस्कृति राज्य मंत्री श्री सुरेंद्र पटवा, मुख्य सचिव श्री बी पी सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव वित्त श्री मनोज गोविल, आयुक्त एवं पदेन सचिव उच्च शिक्षा श्री अजीत कुमार, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज के चेयरमैन प्रो कपिल कपूर, NCERT के पूर्व अध्यक्ष श्री जे एस राजपूत, भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष श्री एस आर भट्ट, महाबोधि सोसायटी ऑफ श्रीलंका के अध्यक्ष बेनेगला उपथिसा नायका थेरो मौजूद रहे। साधारण परिषद के सदस्यों का परिषद के सदस्य सचिव और सांची विवि के कुलपति आचार्य प्रो यजनेश्वर शास्त्री ने धन्यवाद ज्ञापित किया। बैठक में सांची विवि के कुलसचिव श्री अदिति कुमार त्रिपाठी भी मौजूद थे।

साँची विश्वविद्यालय में अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर कार्यशाला

- योगनिद्रा एवं अंतर्मौन का कराया अभ्यास

साँची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के बारला, जिला रायसेन स्थित परिसर में अंतराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर 21 से 25 जून, 2018 तक चलने वाली पॉंच दिवसीय 'योग' कार्यशाला का शुभारम्‍भ भी हुआ। कार्यशाला में प्रथम दिवस 'विश्‍वयोग' कार्यक्रम के अन्‍तर्गत योगनिद्रा एवं अंतर्मौन के प्रथम स्तर, योगाभ्यास के सामान्य नियम, लाभ एवं सावधानियों पर चर्चा की गई। 'अन्‍तर्राष्‍ट्रीय योग दिवस' का शुभारम्‍भ कुलपति आचार्य डॉ. यज्ञेश्वर एस. शास्त्री द्वारा वैदिक मन्त्रोच्चारण एवं उद्बोधन के साथ हुआ।

'विश्‍व‍योग' के द्वितीय एवं तृतीय स्‍तर में योगनिद्रा एवं अंतर्मौन का अभ्यास कराया गया। जिसमें विश्‍वविद्यालय के योग विभाग के सहायक प्राध्‍यापक डॉ उपेन्‍द्रबाबू खत्री ने ' मन से पार अर्थात् मन से अमन की यात्रा' विषय में बताया कि मन के धरातल पर ही संसार की सारी समस्याऍं उत्पन्न होती हैं। यदि मन को योगनिद्रा एवं अंतर्मौन के अभ्यास से तनाव, राग, द्वेष, क्रोध, घृणा आदि के अन्तरद्वन्द्वों से शांत कर अंतर्मुखी बनाया जाय तो मन के साथ-साथ व्यवहारिक जीवन की समस्याओं का समाधन भी हो सकता है और मनुष्य पूर्ण आनन्द और उत्साह एवं सुखमय जीवन निर्वाह कर सकता है।

योग विभाग के सहायक प्राध्‍यापक डॉ0 शाम गनपत तिखे ने आसन, प्राणायाम आदि यौगिक क्रियाओं का प्रदर्शन एवं अभ्‍यास उपस्थित लोगों से कराया। योग कार्यक्रम में सॉंची विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य डॉ. यज्ञनेश्वर एस. शास्त्री, योग विभाग एवं विश्‍वविद्यालय के विभागों के प्राध्यापक एवं सहायक प्राध्यापक, विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, कर्मचारियों एवं आस पास के क्षेत्र से आये हुये अनेक प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। कार्यक्रम में लगभग 100 प्रतिभागी शामिल हुये।

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बिना पिल और बिना बिल करें बीमारियों का इलाज: प्रकृति की सीख

- समन्वय भवन में "Medicine Free Life" पर डॉ प्रवीण चोरड़िया का वक्तव्य

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के समन्वित चिकित्सा केंद्र के आयोजन "Medicine Free Life" में जाने-माने सर्जन डॉ प्रवीण चोरड़िया ने दवा मुक्त जीवन के कुछ सूत्र बताएं। समन्वय भवन में आयोजित इस व्याख्यान की शुरूआत में डॉ. चोरड़िया ने कहा कि पिछले दरवाजे से जंकफूड, मैदा, शक्कर और सफेद नमक जैसे चोर हमारे शरीररूपी घर में घुस गए और हमारे स्वास्थ्य पर सेंध लगा दी। ऐसे ही कई अन्य अननोन अननोन डेविल्स हमारे स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। डॉ चोरडिया कहते है कि हम सभी को एक ही बीमारी हो गई है, Nature deficiency disorder यानि हम प्रकृति से दूर हो गए है। दस साल पहले एलोपेथी से नाता तोड़ चुके डॉ. चोरड़िया का शरीर और स्वास्थ्य से जुड़े हर सवाल पर एक ही जवाब होता है ‘ANSWER’। ऑन्सर (ANSWER) ग्रुप में काम करने वाला डॉक्टर्स हैं, इनमें से एक भी डॉक्टर का साथ छोड़ा तो बाकी सभी भी काम नहीं करेंगे।
क्या है ऑन्सर (ANSWER)
A – एअर ( शुद्ध और ताजी हवा में सांस लें)
N – न्युट्रिशन ( जैविक खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल शुरू और शक्कर, मैदा, रिफाइंड ऑइल से दूरी)
S – सनलाइट ( लगभग 85 प्रतिशत जनसंख्या विटामिन डी की कमी से जूझ रही है)
W – वॉटर ( क्लोरिन, फ्लोरिन और आरओ पानी से गुड बैक्टिरिया को मारने का काम करते हैं। सूरज की रोशनी में बहने वाले प्राकृतिक पानी का इस्तेमाल करें।)
E – एक्सरसाइज (कार्डियो, योगा और मसल ट्रेनिंग।)
R – रेस्ट (शरीर को बायोलॉजिकल क्लॉक के हिसाब से चलाएं और आराम करें)

शरीर के बिगड़े स्वरुप के लिए यू टर्न की बात करते हुए उन्होने कहा कि बॉडी हिल्स ऑन इट्स ऑन...। उन्होने कहा कि मैंने हमारे शरीर के निर्माता (प्रकृति) से पूछा कि शरीर में खुद ही हील होने की क्षमता है तो क्यों हम बीमारियों से घिरे हुए हैं। प्रकृति ने जवाब दिया- ब्रेकेट में ‘टर्म्स एंड कंडिशंस अप्लाई भी तो लिखा है।‘ तुम्हें याद है जब बचपन में तुम बीमार होते थे तो दादी डॉक्टर के पास नहीं बल्कि किचन की ओर दौड़ती थी, क्योंकि वहां स्वस्थ जीवन का खजाना होता है। एक रामबाण नुस्खा देते हुए उन्होने कहा कि हमें स्वस्थ रहना है तो आदमी की बनाई चीजों की बजाय प्रकृति निर्मित चीजों को ही भोजन का हिस्सा बनाना होगा।

डॉ चोरडिया ने कहा कि मैंने अपनी एलोपैथी की पढ़ाई और प्रेक्टिस में कभी पेस्टिसाइड्स के खिलाफ एक भी चैप्टर नहीं पढ़ा, जबकि पेस्टिसाइड्स पूरी तरह से हमारी जीवन-शैली का हिस्सा बन चुके हैं। एलोपेथी समस्या को जड़ से समाप्त नहीं करती, बल्कि बैंडेज का काम करती है। आजकल हर बीमारी के समाधान में सबसे पहले एंटिबायोटिक दिया जाता है। मैं एंटिबायोटिक का समर्थक बिल्कुल नहीं हूं, बल्कि जीव-जंतुओं को प्रणाम करता हूं। हमारी लाइफस्टाइल कुछ ऐसी हो गई है कि हम सुबह से लेकर शाम तक केवल बैक्टिरिया को खत्म करने के बारे में ही सोचते रहते हैं। हम केमिकल सेंडविच बन गए हैं। बिना पिल और बिना बिल के डॉ चोरडिया ने बताया कि हमें प्रकृति से जुड़ने और खुद का डॉक्टर स्वयं बनने की जरूरत है। उन्होने मेडिसिन के जन्मदाता हिप्पोक्रेटिस का उद्धरण सुनाते हुए उन्होने कहा कि अगर आप अपने डॉक्टर खुद नहीं है तो आप मूर्ख है।

कार्यक्रम की शुरुआत में सांची विवि के कार्यक्रम में विवि के कुलपति आचार्य प्रो डॉ यज्नेश्वर शास्त्री ने कहा कि हमें जैविक भोजन और रसायन मुक्त दूध के साथ प्रकृति की ओर फिर से बढ़ना चाहिए। उन्होने कहा कि हमें किसानों को जैविक अनाज उगाने को प्रोत्साहित करना चाहिए। विवि के कुलसचिव श्री राजेश गुप्ता ने विवि के समन्वित चिकित्सा केंद्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारी विकृति को ठीक करने में प्रकृति का योगदान समझकर उसपर काम करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन प्रभाकर पांडे ने किया व स्वागत भाषण डॉ अखिलेश सिंह ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन विवि के डीन प्रो नवीन मेहता ने किया।

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म्यान्मार की प्रोफेसर ने की सांची विश्वविद्यालय के छात्रों से भेंट

- प्रो. सॉव-ह-टुट बिहार के मगध विश्वविद्यालय में हैं कार्यरत्
- म्यान्मार के बारे में दी छात्रों को जानकारी
- थेरवाद बौद्ध धर्म का अभ्यास किया जाता है म्यान्मार में

म्यान्मार के अंतरराष्ट्रीय संबोधि संस्थान की प्रो. डॉ. संदार सॉव-ह-टुट ने सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के प्राध्यपकों और छात्रों और शोधार्थियों से भेंट की। डॉ सॉव-ह-टुट ने विश्वास जताया है कि म्यान्मार के अंतरराष्ट्रीय संबोधि संस्थान और सांची विश्वविद्यालय के बीच स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम तथा फैकल्टी एक्सचेंज प्रोग्राम को लेकर सहमति बन सकती है।
डॉ. सॉव-ह-टुट ने छात्रों से भेंट के दौरान बताया कि बिहार के मगध विश्वविद्यालय से अगर सहमति बनती है तो यहां पर स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रहे छात्र सांची विश्वविद्यालय में एम.ए, व अन्य पाठ्यक्रमों में सम्मिलित होकर लाभ उठा सकते हैं। डॉ. सॉव-ह-टुट ने सांची विवि के छात्रों को म्यान्मार में उच्च शिक्षा के स्तर के विषय में बताया।

सांची विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे विएतनामी छात्रों से मुलाकात के दौरान डॉ. सॉव-ह-टुट ने बताया कि म्यान्मार में बौद्ध दर्शन की शाखा थेरवाद का अभ्यास किया जाता है। शोध की गुणवत्ता के स्तर को कायम रखने के उद्देश्य से सांची विश्वविद्यालय में प्रत्येक वर्ष एम.ए,एम.फिल तथा पी.एच.डी के छात्रों का चयन प्रेवश परीक्षा एवं साक्षात्कार के माध्यम से होता है। यह परीक्षा प्रत्येक वर्ष जून-जुलाई माह में होती है। लेकिन विदेशी छात्रों को प्रवेश परीक्षा से छूट होती है, उन्हें सिर्फ साक्षात्कार परीक्षा में सम्मिलित होना होता है।

सांची वि.वि पी.एच.डी के प्रत्येक छात्र को रु.14000 प्रतिमाह तथा एम.फिल के प्रत्येक छात्र को रु.8000 प्रतिमाह की छात्रवृत्ति देता है। इसी तरह एम.ए के मेरिट पाने वाले छात्र को भी प्रत्येक माह रु. 3000 की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।

डॉ. सॉव-ह-टुट ने सांची विश्वविद्यालय में छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति के बारे में जानकर काफी उत्साहित थीं। छात्रों तथा प्राध्यापकों के भेंट के उपरांत उन्होंने आशा जताई की बड़ी संख्या में म्यान्मार के छात्र सांची विश्वविद्यालय में प्रवेश ले सकते हैं।
डॉ. सॉव-ह-टुट म्यान्मार के अंतरराष्ट्रीय संबोधि संस्थान में कार्यरत् हैं और वर्तमान में बिहार बोधगया के मगध विश्वविद्यालय के बौद्ध दर्शन विभाग में विज़िटिंग फैकल्टी के तौर पर सेवाएं दे रही हैं।


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थाइलैंड के सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय और सांची विश्वविद्यालय के बीच होगा अनुबंध

- दोनों विश्वविद्यालय के बीच जल्द होगा MoU
- सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों का दल पहुंचा सांची विश्वविद्यालय
- थाई भाषा के 50% शब्द संस्कृत भाषा पर आधारित

सॉंची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय और थाइलैंड के सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय के बीच सहयोग हेतु MoU होने जा रहा है। इसी सिलसिले में सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रो. सोमबट मंगमेसुकसीरी और हिंदी विभाग के प्रो. परामर्थ खाम-एक सांची विवि का दौरा किया एवं छात्रों को व्याख्यान भी दिया। व्याख्यान के दौरान उन्होंने बताया कि सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय में 6000 छात्र पढ़ाई करते हैं। इस विश्वविद्यालय में संस्कृत, विज्ञान, फार्मेसी, मैनेजमेंट, कला, पेंटिंग, संगीत, इंटीरियर डिज़ाइनिंग, आर्कियोलॉजी और अन्य विषय पढ़ाए जाते हैं।

प्रो. सोमबट ने बताया कि इस MoU के तहत सांची विश्वविद्यालय और सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय के छात्र एक दूसरे के विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के विभिन्न विषयों का अध्ययन, शोध इत्यादि का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा दोनों ही विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक एक दूसरे के विश्वविद्यालयों में अध्यापन का कार्य कर सकेंगे ताकि दोनों देशों के छात्र लाभान्वित हो सकें।

प्रो. सोमबट के अनुसार थाइलैंड में संस्कृत भाषा (स्पोकन संस्कृत) तथा संस्कृत व्याकरण के विषयों को लेकर कई संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय संस्कृत में एम.ए और पी.एच.डी के पाठ्यक्रमों को केंद्र में रखता है क्योंकि थाइलैंड की 96 प्रतिशत आबादी बौद्ध धर्म का पालन करती है। यह आबादी थाई भाषा का उपयोग अपनी दिनचर्या में करती है और थाई भाषा के 50% शब्द मूलत: संस्कृत भाषा से निर्मित हुए हैं।

सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय के प्रो. परामर्थ खाम-एक के अनुसार उनके विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा भी पढ़ाई जाती है लेकिन इस विषय पर प्राथमिक स्तर के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। उनके अनुसार सिल्पाकोरन विश्वविद्यालय इस क्षेत्र में भी सांची विश्वविद्यालय के साथ हाथ मिलाकर आगे बढ़ने को तैयार है।

हिंदी के प्रो. परामर्थ के अनुसार भारतीय सांस्कृतिक अनुसंधान परिषद के साथ थाइलैंड के सांस्कृतिक संबंध हैं जिसके तहत दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक, विज़िटिंग प्रोफेसर्स के तौर पर एक-दूसरे के देशों में जाकर कक्षाएं ले सकते हैं ताकि ज्ञान और संस्कृति का आदान-प्रदान हो सके।

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आईआईटी खड़गपुर ओपन टेनिस टूर्नामेंट के टॉप फोर में रहा सांची विश्वविद्यालय

- डबल्स में सेमीफाइनल तक पहुंचे, सिंगल्स में क्वार्टर फाइनल तक पहुंची टीम

आईआईटी खड़गपुर ओपन टेनिस टूर्नामेंट के डबल्स मुक़ाबले में सांची विश्वविद्यालय की टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर किया। सेमीफाइनल मुक़ाबले में विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व कर रहे सहायक निदेशक (खेल) श्री विवेक पांडे और आईआईटी खड़गपुर के एग्रीकल्चर विभाग के प्रो. राजेंद्र सिंह की टीम ने आईआईटी खड़गपुर के छात्र कुणाल पुंज और अखिल अडानू की जोड़ी को कड़ी टक्कर दी और मुक़ाबला 5-6 पर समाप्त हुआ। डबल्स मुक़ाबले के पहले दौर में इस जोड़ी ने आईआईटी खड़गपुर के कर्मचारियों मोहन और श्रीनू की जोड़ी को 5-1 से हराया। दूसरे दौर में विवेक और प्रो. राजेंद्र सिंह की जोड़ी ने 5-1 के स्कोर से आईआईटी इंदौर के रीतेश गुच्छैत और आईआईटी भुवनेश्वर के एसोसिएट प्रोफेसर अमरजीत की जोड़ी को हराया।

सिंगल्स मुकाबले में सांची विश्वविद्यालय के सहायक निदेशक (खेल) श्री विवेक पांडे क्वार्टर फाइनल में पहुंचने में कामयाब रहे। विवेक, क्वार्टर फाइनल मुक़ाबले में आईआईटी खड़गपुर के बॉयज़ टीम के कप्तान कुणाल पुंज से 4-5 से हार गए। इस वर्ष फाइनल्स में कुणाल ने टीसीएस कोलकाता के वी.वी अनुराग को हराकर सिंगल्स ट्रॉफी पर कब्ज़ा जमाया। कुणाल पिछले वर्ष आईआईटी खड़गपुर ओपन के सिंगल्स विजेता भी रहे थे।
आईआईटी खड़गपुर हर साल अपने कैंपस में इस ओपन टेनिस टूर्नामेंट का आयोजन करता है जिसमें देश के शिक्षण संस्थानों एवं कॉर्पोरेट जगत के खिलाड़ियों को आमंत्रित किया जाता है। प्रत्येक वर्ष यह टूर्नामेंट दो श्रेणी में आयोजित किया जाता है। ओपन जिसमें किसी भी उम्र का खिलाड़ी सम्मिलित हो सकता है जबकि वेटरेन्स श्रेणी में 55 वर्ष से ऊपर के ही खिलाड़ी सम्मिलित हो सकते हैं।

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सांची विश्वविद्यालय के उद्यान में खिले 60 किस्म के फूल

- विश्वविद्यालय परिसर का बाग़ गुलज़ार
- बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे बाग़ को देखने
- औषधीय और खुशबूदार पौधों के भी उद्यान
- आध्यात्मिक उद्यान भी विकसित किया गया
- विलुप्त हो रही पेड़-पौधों की प्रजातियों का संरक्षण एवं संवर्धन कर रहा सांची विश्वविद्यालय
- पानी में लगाए जाने वाले पौधे भी लगाए गए परिसर में

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के बारला स्थित अकादमिक परिसर में इन दिनों फूलों की बहार है। विश्वविद्यालय परिसर के चारों तरफ फूलों की तकरीबन 60 से अधिक किस्में पल्लवित हो रही हैं। हर तरफ रंग-बिरंगे फूल ही फूल खिले हैं जो फिज़ां में खुशबू बिखेर रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग इन फूलों को देखने के लिए पहुंच रहे हैं। इन फूलों के अलावा विश्वविद्यालय में औषधीय गार्डन भी विकसित किया गया है जिनमें औषधीय पौधों के अलावा एरोमैटिक(खुशबू देने वाले) पौधे भी लगाए गए हैं।

सांची विश्वविद्यालय के सहायक निदेशक(उद्यानिकी) श्री कृपाल सिंह वर्मा का कहना है कि विश्वविद्यालय परिसर में ही एक आध्यात्मिक उद्यान, नवग्रह उद्यान एवं राशि उद्यान भी विकसित किए गए हैं जहां पर ऐसे पेड़ों को लगाया गया है जिनका अलग-अलग धर्म और दर्शन में ज़िक्र किया गया है। पीपल, बरगद और समी के पेड़ों की किस्मों के साथ-साथ पाम के वृक्ष, क्रिसमस ट्री, खजूर के वृक्ष इत्यादि पेड़ों की प्रजातियों को सांची विश्वविद्यालय में ही ग्राफ्ट कर तैयार किया गया है।

सांची विश्वविद्यालय अपनी नर्सरी में कई विलुप्त हो रही पेड़-पौधों की प्रजातियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयास कर रहा है। विश्वविद्यालय की नर्सरी में चिरौंजी, सफेद और पीले पलाश की प्रजातियों को लगाया गया है। इसके अलावा बड़ी संख्या में Ornamental Plants अलंकृत पौधे जैसे मोरपंखी, एकजोरा, बॉटल ब्रश, कचनार, चांदनी जैसे पौधे लगाए गए हैं। इन पौधों को घरों की सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

नर्सरी में फूलों की 60 विभिन्न वेरायटियों(किस्म) में लाइनेरिया, फ्लॉक्स, केलेंड्यूला, स्वीट सुल्तान, स्वीट विलियम, पॉपी, ऑर्क टोटिस, कैलिफोरनिया पॉपी, एनट्रेनियम, डहेलिया, सूरजमुखी और हैरीक्राइसम प्रमुख हैं।
सांची विश्वविद्यालय की नर्सरी में जलीय पौधों को भी लगाया गया है। जिनमें सिंघाड़ा, कमल और अमेज़न लिलि प्रमुख हैं।

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रूस में बौद्ध दर्शन का असर, सांची विवि में डॉक्युमेंट्री का प्रदर्शन

- रुस में बौद्ध धर्म और भारत को लेकर उत्साह, रुस में 15 लाख बौद्ध
- लियो टॉल्सटॉय के लेखन में भी था बौद्ध दर्शन का असर
- कई विपश्यना मेडिटेशन सेंटर हैं रूस में

सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में रूस में बौद्ध दर्शन के असर और फैलाव पर रुस में पत्रकार रहे श्री अजय कमलाकर की डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शित की गई। डॉक्यूमेंट्री के बाद अजय कमलाकर ने बताया कि रूस के तीन इलाकों में बौद्ध धर्म के करीब 15 लाख लोग मुख्यत: बसते हैं। बौद्ध धर्म भारत, चीन, मंगोलिया, सेंट्रल एशिया होते हुए रूस पहुंचा था। डॉ कमलाकर ने अपनी बनाई हुई इस छोटी सी डॉक्यूमेंट्री में यह भी बताया है कि कैसे इन इलाकों को देखने पर यह महसूस ही नहीं होता कि रूस में भी हिमालय और तिब्बत जैसा इलाका है। रूस मे यूरीयाटिया, ट्यूबा और कलानीसिया के स्वायत्त क्षेत्रों में मुख्यत: महायान बौद्ध धर्म के मानने वाले रहते हैं।

श्री अजय के अनुसार रूस में कम्यूनिस्ट शासन में किसी भी धर्म को मानने पर पाबंदी थी। लेकिन 1950 के बाद से ही रूस में धर्म पर लगाई गई पाबंदियां हटाई गईं और हर एक धर्म का मानने वाला पूरी आजादी से अपने धर्म की प्रेक्टिस कर सकता है। उनका कहना है रूस में कई सारे विपश्यना मेडिटेशन सेंटर खुल गए हैं जो कि लोगों को ध्यान करना सिखाते हैं। उन्होने सांची विवि और रुस के बौद्ध संस्थानों के बीच संबंध विकसित करने में सहयोग की भी बात कही।

डॉक्यूमेंट्री और बौद्ध दर्शन पर आधारित कई सारे प्रश्नों के जवाब में उन्होंने बताया कि रूस के विश्वविख्यात लेखक लियो टॉलस्टॉय के बारे में भी कहा जाता है कि उन्होंने बौद्ध धर्म का काफी गहराई से अध्ययन किया था और उसकी शिक्षाओं को अपने प्रतिदिन की दिनचर्या में शामिल किया था।

विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच श्री कमलाकर ने बताया कि रूस के ज़ार निकोलस द्वितीय के शासन के दौरान बौद्ध भिक्षुओं को विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान आमंत्रित किया जाने लगा था। उनका कहना था कि ज़ार निकोलस ने 1927 में समाधि भी ली थी। 2002 में उसकी समाधि को जब खोदा गया तो अध्ययन करने वाले डॉक्टरों का कहना था कि ऐसा महसूस हो रहा था कि मानो 24 घंटे पहले ही इस शख्स की मौत हुई हो।

सांची विश्वविद्यालय में छात्रों की जिज्ञासाओं का जवाब देने वाले श्री अजय कमलाकर लेखक एवं पत्रकार हैं। 2003-2007 के दौरान रूस की एक पत्रिका "रशिया बियॉन्ड द हेडलाइंस" के संपादक रहे। उन्होंने 2011-2017 के दौरान टाइम्स ग्रुप के समाचार पत्र सखालिन टाइम्स का संपादन भी किया। डॉ अजय रूस, श्रीलंका और स्वीडन में बौद्ध दर्शन, हिंदुत्व, व्यक्तित्व विकास जैसे विषयों पर विशेषज्ञता रखते हैं। पिछले दिनों उनकी किताब Globetrotting for Love and Other Stories from Sakhalin Island भी प्रकाशित हुई है।


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नागालैंड के 22 छात्र पहुंचे सांची विश्वविद्यालय

- एक दूसरे से साझा की संस्कृति और आचार-विचार
- शिक्षा, कला और मौसम पर भी हुई बातचीत
- सांची विश्वविद्यालय के छात्रों को नागालैंड आमंत्रित किया
- प्रधानमंत्री के एक भारत-श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के तहत म.प्र की पहल

नागालैंड के विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे 22 छात्रों का एक दल सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय पहुंचा। इन छात्रों ने विश्वविद्यालय के प्राकृतिक वातावरण के अलावा विभिन्न कक्षाओं में पहुंचकर सांची विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ मुलाकातें कीं और शिक्षा संबंधी विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। इन छात्रों ने एक दूसरे के साथ अपनी संस्कृति, आचार-व्यवहार, कला, शिक्षा, मौसम जैसे विषयों पर बातचीत की। नागालैंड के छात्रों ने भी सांची विश्वविद्यालय के छात्रों को अपने प्रदेश में आमंत्रित किया।

दरअसल, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की "एक भारत श्रेष्ठ भारत" पहल के तहत देश के विभिन्न राज्यों के बीच आपसी सामंजस्य बढ़ाने के उद्देश्य से कई राज्यों को एक साथ जोड़ा गया है। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश का समन्वय उत्तर पूर्वी राज्यों मणिपुर और नागालैंड से स्थापित किया गया है। आपसी संपर्क बढ़ाने और सांस्कृतिक संबंधों को मज़बूत करने के उद्देश्य से तीनों राज्य आपस में पर्यटन, तकनीकी, आयुष, पुलिस और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक दूसरे के विचार साझा करेंगे। मध्य प्रदेश शासन ने उच्च शिक्षा विभाग को इस कार्यक्रम के विनिमय के लिए नोडल संस्था नियुक्त किया है।

रायसेन स्थित बारला अकादमिक परिसर में पहुंचे नागालैंड के छात्रों के दल ने सांची विश्वविद्यालय के छात्रों एवं प्राध्यापकों से विभिन्न पाठ्यक्रमों, चयन प्रक्रिया, छात्रवृत्ति इत्यादि के संबंध में जानकारियां ली। नागा छात्रों का यह दल मध्य प्रदेश के विभिन्न एतिहासिक स्थलों का भी भ्रमण कर रहा है। प्रधानमंत्री के "एक भारत श्रेष्ठ भारत" कार्यक्रम के तहत मध्य प्रदेश से पर्यटन, तकनीक, आयुष, मेडिकल, पुलिस और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न दल नागालैंड और मणिपुर जाएंगे। नागालैंड के छात्रों के दल की ही तरह मणिपुर के छात्रों का दल भी मध्य प्रदेश आएगा।

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आदि शंकराचार्य की एकात्‍म यात्रा पर परिचर्चा

- 'निष्काम कर्म योग से ही भारत राष्ट्रीय सूत्र में बंधा'
- 'आदि शंकराचार्य ने जातिवाद के विरुद्ध प्रखर स्वर उठाए'
- 'शास्त्र रचना का रूप ही आदि शंकराचार्य ने दिया था'

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में बुधवार को ''जगतगुरु आदि शंकराचार्य जी और एकात्‍म यात्रा'' विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई। विश्‍वविद्यालय के बारला स्थित अकादमिक परिसर में परिचर्चा के दौरान सहायक प्राध्यापक श्री विश्व बंधु ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने निष्काम कर्म योग के माध्यम से भारत को राष्ट्रीय सूत्र में बांधने का प्रयास किया।
उनका कहना था कि जगदगुरु आदि शंकराचार्य के प्रयासों से ही भारत सांस्कृतिक सूत्र में एक रूप हो सका। श्री विश्वबंधु का कहना था कि आदि शंकराचार्य ने भारतीय ज्ञान परंपरा को अद्वैतवाद के तत्व द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा को समृद्ध करते हुए जातिवाद के विरुद्ध प्रखर स्वर उठाए।
सहायक प्राध्यापक श्री नवीन दीक्षित ने कहा कि समाज के बांटने वाली शक्तियां भगवान बुद्ध और आदि शंकराचार्य को एक दूसरे के विरोधी की तरह चित्रित करती हैं जबकि दोनों की ही शिक्षाएं पूर्ण रूप से एकात्म होने का संदेश देती हैं।

परिचर्चा का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सह प्राध्यापक श्री नवीन मेहता ने कहा कि शास्त्र रचना का स्वरूप किस तरह का होना चाहिए यह आदि शंकराचार्य ने ही सर्वप्रथम बताया था।
एकात्म यात्रा मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 19 दिसंबर 2017 से 22 जनवरी 2018 तक की जा रही है। इस यात्रा का समापन 22 जनवरी को ओंकारेश्‍वर में होगा। इस यात्रा के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान संपूर्ण राष्ट्र को एक संस्कृति में एकात्म करने का प्रयास कर रहे हैं। इस यात्रा के ज़रिए भारत की भाषिक और शारीरिक विविधता के साथ-साथ विचार को एकात्म किये जाने के प्रयास हैं।

सांची विश्वविद्यालय के 8 छात्र यूजीसी नेट में चयनित

सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के 8 छात्र जून 2017 की यूजीसी नेट परीक्षा में चयनित हुए हैं। सांची विश्वविद्यालय के इन सभी 8 छात्रों ने नवंबर 2017 में नेट की परीक्षा दी थी। यह कामयाबी हासिल करने वाले छात्रों में से चार योग विभाग के छात्र हैं जबकि दो हिंदी के तथा एक संस्कृत और एक बौद्ध अध्ययन विभाग का है। नेट यानी नेशनल एलीजीबिलिटी टेस्ट में चयनित होने पर कोई भी छात्र/शोधार्थी विश्वविद्यालय अथवा कॉलेज स्तर पर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर चयन के लिए पात्र हो जाता है।

नेट परीक्षा में कामयाब होने पर विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य प्रोफेसर याज्ञेश्वर शास्त्री ने इन छात्रों को बधाई दी। सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी अपनी सफलता का श्रेय विश्वविद्यालय में एम.फिल और पी.एच.डी के पाठ्यक्रमों के प्राध्यापकों को दिया है। इन छात्रों का कहना है कि प्राध्यापकों द्वारा दोनों ही पाठ्यक्रमों के दौरान ही उन उन्हें नेट की परीक्षा की तैयारी की प्रेरणा दी जाती रही। पिछले साल भी सांची विश्वविद्यालय से 3 छात्रों ने यूजीसी नेट की परीक्षा में सफलता हासिल की थी।

सांची विश्वविद्यालय पी.एच.डी करने वाले प्रत्येक छात्र को प्रतिमाह 14 हज़ार रुपए एवं एम.फिल करने वाले प्रत्येक छात्र को 8 हज़ार रुपए की स्कॉलरशिप देता है तथा नेट जैसी परीक्षाओं के लिए विशेष अध्ययन क्लासेस भी आयोजित करता है।

इस साल जिन छात्रों का चयन यूजीसी नेट में हुआ है उनकी सूची निम्नानुसार है-

क्र.

नाम

विभाग

1.

रोशन कुमार भारती

एम.फिल(योग)

2.

भानू प्रताप बुंदेला

एम.फिल(योग)

3.

बृजेश नामदेव

एम.एस.सी(योग)

4.

धनंजय कुमार जैन

पी.एच.डी(योग)

5.

अनीश कुमार

पी.एच.डी(हिंदी)

6.

कपिल कुमार गौतम

एम.फिल(हिंदी)

7.

आशीष आर्य

पी.एच.डी(संस्कृत)

8.

लेखराम सेलोकर

पी.एच.डी(बौद्ध अध्ययन)

सांची विश्वविद्यालय में तत्वबिन्दु कार्यशाला का आयोजन

शब्द में ही ब्रह्म है
सांची विश्वविद्यालय में तत्वबिन्दु कार्यशाला का आयोजन

भारतीय दर्शन की महान विभूति वाचश्पति मिऋ द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत "तत्वबिन्दु" पर आधारित पांच दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ साँची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्यन विश्वविद्यालय में किया गया।२१ से २५ मार्च तक कार्यशाला के उद्घाटन सस्त्र में बोलते हुए अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के उप कुलपति रहे प्रोफ्षर कपिल कपूर ने कहा की भारतीय भाषा शब्द में ही ब्रह्म है और यही शब्द भारतीय भाषा दर्शन का बीज है।उन्होंने भारतीय भाषा दर्शन और पश्चातय भाषा दर्शन की तुलना कर बताया की भारतीय भाषा दर्शन के लिए ग्रंथो का अध्यन आवश्यक है, लेकिन ग्रंथो के अध्यन के लिए आस्था ज़रूरी है । प्रो. कपिल कपूर ने कहा की भारतीय ज्ञान परम्परा में ज्ञान का आधार व्यक्ति की चेतना है और इसके केंद् में भाषा ही है ।

महात्मा गाँधी अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. कपिल कपूर ने बताया की वाचस्पति मिऋ द्वारा लिखित तत्वबोधिनी के ब्रह्मकांड के विचार पाश्चात्य दर्शन से मिलते जुलते है । उन्होंने कहा की शब्द, ध्वनि भी है ,भाषा भी है, स्वरूप भी है और शब्द,शब्द भी है । शब्द का अपना बोध और चिंतन है ।उनका कहना था की शब्द एक दीपक की तरह है ,जिसका अपना एक रूप और आकृति है ।

प्रो. कपूर ने कहा की भारतीय ज्ञान परम्परा में ज्ञान ,कर्म और भक्ति का महत्व है । उन्होंने बताया की आदि शंकराचर्या ने ज्ञान और कर्म के जोड़ को भक्ति के बराबर बताया। पांच दिन चलने वाले इस तत्वबिन्दु कार्यशाला में सम्लित होने पहुंचे राष्ट्र्य संस्कृत संस्थान के पूर्व कुलपति प्रो. वी कुटुम्भ शास्त्री के बताया की वाचस्पति मिऋ को सभी शास्त्रों का ज्ञाता कहा जाता था । उन्होंने ९वी शताब्दी में मींमासा की टिपणी के रूप में तत्वबोधिनी लिखा था और इसमें शब्द बोध की पांच अलग अलग पारम्परिक व्याख्या की थी । वाचश्पति मिऋ ने वैदिक विचार और परम्परा की छह अलग अलग टिप्णिया भी लिखी थी ।जिसके कारण उन्हें सभी शास्त्रों का विशेषज्ञे कहा जाता था।  

सांची विश्वविद्यालय के बरला अकादमिक परिसर में आयोजित इस कार्यशाला में वाचस्पति मिऋ उल्लेखित स्फोट सिद्धांत ,वाक्यस्फोट,वर्णमाला सिद्धांत, अंत्यावरण सिद्धांत पर गहन चर्चा की जाएगी। स्फोट सिद्धांत पर नार्थ बंगाल विश्वविद्यालय के प्रो. सुनंदा शास्त्री ,अंत्यावरण सिद्धांत पर प्रो. वी कुटुम्भ शास्त्री, अन्विताविधानवाद सिद्धांत पर पुणे विवि के प्रो. देवनाथ त्रिपाठी तथा अभिहीतानवयवाद सिद्धांत पर पुणे विवि के प्रो. वीएन झा कार्यशाला को बोधित करेंगे । भारतीय दर्शन अनुसन्धान परिषद की और से प्रायोजित इस कार्यशाला में बड़ी संख्या में देशभर के विश्वविद्यालयो से भाषा विज्ञानं और संस्कृत के शोधाथ्रियो ने पंजीयन कराया है ।

-सांची विवि में वाचस्पति मिऋ के कार्य पर कार्यशाला
-वाचस्पति मिऋ द्वारा लिखित मींमासा की टिपणी है तत्वबिन्दु
-२१-२५ मार्च तक पांच दिवसीय कार्यशाला
-ज्ञान का आधार व्यक्ति की चेतना है -प्रो. कपिल कपूर
-भारतीय दर्शन अनुसन्धान परिषद द्वारा प्रायोजित


Press Release - 2017

कैलाश सत्यार्थी का विशिष्ट व्याख्यान - बच्चों से अनैतिकता की महामारी के खिलाफ संपूर्ण महायुद्ध का ऐलान

भारत की आत्मा को जागृत करने के लिए सांची विवि बधाई का पात्र-श्री सत्यार्थी
बच्चों से अनैतिकता की महामारी के खिलाफ संपूर्ण महायुद्ध का ऐलान
"वर्तमान परिप्रेक्ष्य में करुणा, दया और बालक" पर व्याख्यान

नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी ने आज सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं से संवाद किया। मानव तस्करी और यौन शोषण के खिलाफ जारी भारत यात्रा के दौरान बारला अकादमिक परिसर पहुंचे श्री सत्यार्थी ने कहा कि कहा कि आत्मशक्ति, नैतिकता और सच्चाई का बल संख्या बल से ज्यादा ताकतवर होता है और सांची विश्वविद्यालय भारत की आत्मा को जागृत करने का कार्य कर रहा है जिसके लिए विवि को बधाई दी जाना चाहिए। विवि के छात्रों के आग्रह पर "वर्तमान परिप्रेक्ष्य में करुणा, दया और बालक" विषय पर बोलते हुए उन्होने कहा कि अनैतिकता और यौन हिंसा की बढ़ती महामारी देश के सामाजिक मूल्यों को खोखला कर रही जिसके खिलाफ खड़े होने का वक्त आ गया है। भारत यात्रा के उद्देश्य को बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें डर छोड़कर अभय बनना होगा और इसीलिए उन्होने बच्चों, लड़कियों और अबलाओं की सुरक्षा के लिए संपूर्ण महायुद्ध छेड़ा है। कन्याकुमारी के शुरू हुई भारत यात्रा के साथ सांची विवि पहुंचे श्री सत्यार्थी ने कहा कि हम उदासीन हो गए हैं जिसकी वजह से हमारे अंदर आत्महंतक निष्क्रियता (सुसाइडल पैसिविटी) बढ़ती जा रही है। उन्होंने हवाला दिया कि पड़ोस में लगी आग के बाद भी हम ये सोचकर निष्क्रिय बने रहते हैं कि आग हमारे घर में नहीं लगी है और यह प्रवृत्ति हमें समाप्त किए जा रही है।

सुबह 10.30 बजे बारला अकादमिक परिसर पहुंचे श्री कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि हमें डर, चुप्पी निष्क्रियता और उदासीनता को पीछे छोड़कर भयमुक्त भारत के रुप में नए भारत के निर्माण की शुरुआत करना चाहिए। वेद और पुराणों का हवाला देते हुए श्री सत्यार्थी ने कहा कि परहित और परपीड़ा को सबसे बड़ा धर्म कहा गया है और इसीलिए मानव कल्याण और भय के खिलाफ खड़े होना सबसे बड़ा धर्मयुद्ध है। उन्होने सभी छात्रों एवं मौजूद लोगों को संकल्प दिलाते हुए सभी के अंदर बैठे बाल शोषण, बाल हिंसा और अनाचार रुपी राक्षस के वध का आव्हान किया। श्री सत्यार्थी के वक्तव्य से छात्र-छात्राओं एवं शोधार्थियों को सेवा, करुणा एवं बाल समस्याओं के क्षेत्र में एक नोबल पुरस्कार विजेता के अनुभवों का सीधा लाभ प्राप्त हुआ। श्री कैलाश सत्यार्थी ने बताया कि नोबल पुरस्कार मिलने के बाद उन्होने अपना नोबल पुरस्कार राष्ट्रपति भवन पहुंचकर देश को समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि इस नोबल पुरस्कार की सुरक्षा के साथ पूरा देश इस संकल्प में है कि वो बाल अपराध के खिलाफ उनकी इस यात्रा में उनके साथ है।

कार्यक्रम के अध्यक्ष औऱ विवि के कुलपति प्रो यज्नेश्वर शास्त्री ने श्री सत्यार्थी का स्वागत करते हुए उन्हें आधुनिक भारत का राष्ट्र संत करार दिया। उन्होने कहा कि शांति, करुणा, मैत्री और राष्ट्र निर्माण का संदेश बुद्ध ने भी दिया था और उनके पदचिन्हों पर चलकर श्री सत्यार्थी राष्ट्र निर्माण में लगे हुए है। कार्यक्रम में एडीजी और कुलसचिव श्री राजेश गुप्ता एवं विवि की डीन श्रीमति सुनंदा शास्त्री भी मौजूद रही। धन्यवाद प्रो नवीन मेहता ने किया।

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय दर्शन और प्राचीन भारतीय ज्ञान के पुनरुद्धार और उच्च कोटि के शोध को बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गठित विश्वविद्यालय है। सांची विश्वविद्यालय का वैकल्पिक शिक्षा केंद्र, शिक्षा के विभिन्न मॉडलों और पद्धतियों पर कार्य कर रहा है। विभिन्न शिक्षा पद्धतियों पर शोध के बाद विश्वविद्यालय ने वैकल्पिक शिक्षा पर पाठ्यक्रम भी तैयार करेगा।

कैलाश सत्यार्थी का विशिष्ट व्याख्यान - "वर्तमान परिप्रेक्ष्य में करुणा, दया और बालक" पर व्याख्यान

नोबल पुरस्कार विजेता करेंगे छात्र-छात्राओं से संवाद
"वर्तमान परिप्रेक्ष्य में करुणा, दया और बालक" पर व्याख्यान
5 अक्टूबर 2017, गुरुवार को विवि के बारला अकादमिक परिसर में प्रात् 9.30 बजे व्याख्यान

नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी, 05 अक्टूबर को सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं से संवाद करेंगे। सांची विवि की विशिष्ट पद्धति और उद्देश्य से प्रभावित श्री सत्यार्थी मानव तस्करी और यौन शोषण के खिलाफ जारी भारत यात्रा के दौरान सांची विवि में विशिष्ट वक्तव्य के लिए वक्त देना स्वीकार कर लिया। सांची विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने कैलाश सत्यार्थी से आग्रह किया था कि वो "वर्तमान परिप्रेक्ष्य में करुणा, दया और बालक" विषय को अपने व्याख्यान का आधार बनाए। श्री सत्यार्थी को उपरोक्त विषय बहुत ही पसंद आया और उन्होने व्याख्यान हेतु सहमति दे दी।

कैलाश सत्यार्थी सुबह 09.00 बजे विदिशा से सांची विवि के बारला अकादमिक परिसर पहुंचेंगे जहां वो छात्रों से संवाद करेंगे एवं व्याख्यान देंगे। व्याख्यान के बाद छात्र बाल अपराध और समाधान और नोबल पुरस्कार विजेता के कर्मशील जीवन से जुड़ी जिज्ञासाएं और सवाल सीधे श्री कैलाश सत्यार्थी से करेंगे। उनके वक्तव्य से छात्र-छात्राओं एवं शोधार्थियों को सेवा, करुणा एवं बाल समस्याओं के क्षेत्र में एक नोबल पुरस्कार विजेता के अनुभवों का लाभ मिल सकेगा।

भारत यात्रा के दौरान कैलाश सत्यार्थी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों के बच्चों से मुलाकात कर रहे हैं ताकि बच्चों के साथ होने वाले दैहिक शोषण एवं हिंसा तथा बाल अपराध के विषय में छात्रों को जागरुक किया जा सके और बाल अपराध के प्रति छात्रों को जागरुक किया जा सके। यह यात्रा कन्याकुमारी के शुरू हुई थी जो कि नई दिल्ली में समाप्त होगी।

कैलाश सत्यार्थी विदिशा ज़िले के रहने वाले हैं और उन्होंने यहीं के सम्राट अशोक इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई की है। सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय दर्शन और प्राचीन भारतीय ज्ञान के पुनरुद्धार और उच्च कोटि के शोध को बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गठित विश्वविद्यालय है। सांची विश्वविद्यालय वैकल्पिक शिक्षा केंद्र, शिक्षा के विभिन्न मॉडलों और पद्धतियों पर कार्य कर रहा है। विभिन्न शिक्षा पद्धतियों पर शोध के बाद विश्वविद्यालय ने अपना पाठ्यक्रम तैयार किया है।

सांची विश्वविद्यालय में मना स्वच्छता पखवाड़ा

आसपास की स्वच्छता के साथ आचार-विचार में भी हो शुद्ध- कुलपति प्रो शास्त्री

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में स्वच्छता पखवाड़े के दौरान कई गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। परिसर एवं भवनों की सफाई के साथ ही इस दौरान अपने आस-पास को स्वच्छ रखने एवं पर्यावरण को संरक्षित रखने का संदेश देने की कोशिश की जा रही है। परिसर की सफाई के उपरांत कार्यक्रम में पहुंचे विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य प्रो यज्ञेश्वर एस शास्त्री ने स्वच्छता को साझा प्रयास के रुप में अपनाने की ज़रुरत बताई। उन्होने कहा कि स्वच्छता ना सिर्फ वातावरण और साधनों की होना चाहिए बल्कि हमारे विचार एवं आचार भी शुद्ध होना चाहिए। कुलपति महोदय ने पर्यावरण के महत्व को रेखांकित करते हुए पौधारोपण कर कार्यक्रम का समापन किया।

इस अवसर पर स्वच्छता पखवाड़ा के दौरान किए गए प्रयासों को पूरे वर्षभर जारी रखने का भी आव्हान किया गया। स्वच्छता पखवाड़ा में विश्वविद्यालय के सभी छात्र एवं अध्यापकगण द्वारा भागीदारी की जा रही है। विश्वविद्यालय अनुसंधान आयोग की पहल पर विश्वविद्यालयों एवं शैक्षिक संस्थानों में स्वच्छता पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान ग्रीन कैंपस डे, क्लीन कैंपस डे, क्लीन हॉस्टल डे, सबसे साफ हॉस्टल रुम जैसे कई आयोजन किए गए।

हिंदी दिवस पर साँची विश्वविद्यालय में हिंदी का ब्लॉग लोकार्पित

जिसमे सोच, विचार, चिंतन मनन हो वही भाषा है- नवल शुक्ल
भाषा धरती पर मनुष्य का पहला औज़ार थी- नवल शुक्ल
सफल प्रतिभागी हुए पुरस्कृत, भित्ती पत्रिका 'पारमिता' भी जारी

साँची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्यन विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस पर हिंदी विभाग के ब्लॉग www.subishindi.blogspot.in की शुरुआत की गई। हिंदी विभाग के ब्लॉग पर विभाग एवं विवि के छात्र एवं कर्मचारियों के आलेख, कविताएं एवं अन्य जानकारी तथा हिंदी भाषा संबंधी रुचिपूर्ण लेख प्रकाशित किए जाएंगे। 14 सितंबर को हिंदी दिवस समारोह के मुख्य अतिथि एवं साहित्यकार श्री नवल शुक्ल ने कहा कि जिस भाषा में चिंतन, मनन ,सोच और व्यवहार हो वहीं भाषा है। उनके मुताबिक भाषा मनुष्य के भावों को व्यक्त करने के लिए व्यक्ति का पहला औजार थी। श्री शुक्ल ने कहा कि चेतना का स्तर स्वभाषा से ही बेहतर होगा। उनके मुताबिक प्रयोगों से सिद्ध हो चुका है कि २०० शब्दों से व्यक्ति के संवाद का काम चल सकता है लेकिन भाषा व्यक्ति को विविधता और व्यापकता देती है। श्री शुक्ल ने विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की भित्ती पत्रिका 'पारमिता' को भी जारी किया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी भाषा के सह प्राध्यापक प्रो नवीन मेहता ने कहा कि लोगों को चाहिए की वो भाषा को सीखे, समझे और भाषा के साथ स्वयं को भी उन्नत करें।

हिंदी सप्ताह के अवसर पर बारला स्थित अकादमिक परिसर में हिंदी भाषा पर आधारित विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गयीं। 12 सितंबर को निबंध एवं पोस्टर प्रतियोगिता हुई वहीं 13 सिंतबर को भाषण प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। मुख्य समारोह में कविता पाठ हुआ जिसमें छात्रों, कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेताओं को पुरस्कार स्वरूप किताब उपहार में दी गई।
जिन विजेताओं ने प्रथम पुरस्कार जीते उनके नाम निम्नानुसार हैं-

निबंध प्रतियोगिता- उमाशंकर कौशिक, पीएचडी छात्र योग
पोस्टर प्रतियोगिता - भारत जैन, पीएचडी पैन्टिंग
भाषण - गौतम आर्य, एमए संस्कृत
कविता पाठ- स्नेहलता, पीएचडी पैन्टिंग

ताइवान की नानहुआ यूनिवर्सिटी में पढ़ेंगे सांची विश्वविद्यालय के खेमराज

एम.ए कोर्स के लिए हुआ खेमराज का चयन
सांची विश्वविद्यालय में चीनी भाषा डिप्लोमा के छात्र हैं खेमराज शर्मा

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के छात्र खेमराज शर्मा अब ताइवान में पढ़ाई करेंगे। उनका चयन ताइवान के नानहुआ विश्वविद्यालय में एम.ए कोर्स में हुआ है। वो नानहुआ विश्वविद्यालय में धार्मिक अध्ययन विषय पर एम.ए के साथ ही चीनी भाषा में डिप्लोमा भी करेंगे। खजुराहो के रहने वाले खेमराज शर्मा पिछले वर्ष सांची विश्वविद्यालय से चीनी भाषा में एक वर्ष का सर्टिफिकेट कोर्स कर चुके हैं। इस वर्ष उन्होंने बारला स्थित अकादमिक परिसर में चीनी भाषा के डिप्लोमा पाठ्यक्रम में एडमिशन लिया था।

पिछले एक माह से उनकी क्लासेस जारी थी , लेकिन ताइवान के विश्वविद्यालय में चयन के बाद अब इस पाठ्यक्रम को वो एम.ए पाठ्यक्रम के साथ नानहुआ विश्वविद्यालय से ही पूरा करेंगे। सोमवार को ताइवान के लिए रवाना हो रहे खेमराज के चयन की सबसे खास बात ये है कि उनकी पढ़ाई का खर्च या ट्यूशन फीस ताइवानी यूनिवर्सिटी वहन करेगी। नानहुआ विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें रहने की सुविधा भी बगैर किसी फीस के मुहैया कराई जाएगी।

इस कोर्स के लिए खेमराज का दिल्ली में नानहुआ विवि की टीम द्वारा लंबा इंटरव्यू लिया गया। इंटरव्यू में सफलता के लिए खेमराज शर्मा ने सांची विवि की चीनी भाषा की सहायक प्राध्यापक प्राची अग्रवाल के मार्गदर्शन को विशेष श्रेय दिया। उनके मुताबिक सांची विश्वविद्यालय का चीनी भाषा कोर्स ने ही उनके लिए नए रास्ते खोले। खेमराज ने कहा कि वो सर्टिफिकेट कोर्स में एडमिशन नहीं लेते तो उन्हें विदेशी विश्वविद्यालय से पढ़ाई का सुनहरा मौका नहीं मिल पाता।

विदेशी प्रोफेसर्स करेंगे सांची विश्वविद्यालय में अध्यापन

विद्या परिषद में कई विषयों पर अहम निर्णय

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में छात्रों को कई देशों में पढ़ा चुके प्रोफेसर्स से पढ़ने का मौका मिलेगा। विश्वविद्यालय की अंतर्राष्ट्रीय छवि के अनुरूप सांची विश्वविद्यालय की विद्या परिषद ने इन प्रोफेसरों के सांची विश्वविद्यालय को अपनी सेवाएं देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सांची विश्वविद्यालय को बौद्ध अध्ययन पाठ्यक्रम के लिए थाइलैंड विश्वविद्यालय के श्री डियोन ओलिवर पीपुल्स तथा सामरिक अध्ययन (Strategic Studies) के लिए अमेरिका समेत कई विश्वविद्यालयों में पढ़ा चुके डॉ देबीदत्ता ओरबिंदो मोहपात्रा की सेवाएं मिलेगी।

भारतीय दर्शन, योग एवं अंग्रेज़ी भाषा के पाठ्यक्रमों के लिए भी प्रोफेसर स्तर के रिटायर्ड प्राध्यापकों की सेवाएं आमंत्रण आधार पर लेने को भी विद्या परिषद द्वारा मंज़ूरी दी गई। भारतीय दर्शन के लिए चेन्नई विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर जी मिश्रा, योग के लिए बैंगलोर योग विश्वविद्यालय के प्रो. एम. के श्रीधर तथा अंग्रेज़ी के लिए ग्वालियर विश्वविद्यालय के प्रो. ओपी बुधोलिया की सेवाएं ली जाएंगी। बौद्ध अध्ययन के लिए श्री डियोन ओलिवर पीपुल्स की सेवाएं 2017-18 यानी इसी सत्र में उपलब्ध होंगी।

इन पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता के स्तर को बनाए रखने और छात्रों को उसके विषय में संपूर्ण ज्ञान प्रदान करने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है। सांची विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध दर्शन, वैदिक दर्शन तथा चीनी भाषा के विश्वस्तरीय पाठ्यक्रम हैं। विश्वविद्यालय द्वारा इस बारे में जर्मनी, जापान, चीन, श्रीलंका, कंबोडिया, विएतनाम के विश्वविद्यालय में अध्ययन करा चुके प्रोफेसरों से बातचीत चल रही है। ऐसा अनुमान है कि इन विश्वस्तरीय प्राध्यापकों की सेवाएं अगले सत्र से विश्वविद्यालय को प्राप्त हो सकेगी।

विद्या परिषद की बैठक में बोर्ड ऑफ स्टडीज द्वारा अकादमिक सत्र 2017-18 में प्रारंभ किए गए एमएफए भारतीय चित्रकला, भारतीय चित्रकला में एमफिल एवं पीएचडी, संस्कृत में सर्टिफिकेट कोर्स, एमए चाइनीज़ एवं चीनी भाषा में डिप्लोमा के पाठ्यक्रमों को भी मंजूरी दी गई।