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स्वतंत्रता हासिल करना आसान, बरक़रार रखना मुश्किल

 16.08.2022    

स्वतंत्रता हासिल करना आसान, बरक़रार रखना मुश्किल


  • सांची विश्वविद्यालय में स्वतंत्रता दिवस समारोह 
  • 'अंग्रेज़ों ने साज़िश कर समाज का विभाजन किया था' 
  • 'संस्कृत के ग्रंथों से ज्ञान प्राप्त किया जाए'
 
सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में धूम धाम से आज़ादी के 75वें वर्ष को मनाया गया। इस अवसर पर कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने ध्वजारोहण किया। आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत इस वर्ष मनाये गए स्वतंत्रता दिवस पर छात्रों ने देशभक्ति से परिपूर्ण कार्यक्रम प्रस्तुत किये।  
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय सेना के सेवानिवृत्त कंपनी हवलदार श्री जय सिंह तोमर मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। श्री तोमर ने तीन युद्धों व लड़ाइयों में शामिल होकर भारतीय सेना का गौरव बढ़ाया है। 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ बाड़मेर में, 1967 में चीन के साथ नाथुला दर्रे के पास लड़ाई में और 1971 में पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई में जिसमें बांग्लादेश को पाकिस्तान से अलग कर दिया गया था। श्री तोमर को राष्ट्रपति द्वारा बैटल ऑफ ऑनर्स भी प्रदान किया गया था। श्री तोमर ने अपने इन तीनों लड़ाइयों के किस्से सुनाकर सभी को देशभक्ति के भाव से भर दिया।
 उन्होंने कहा – ‘स्वतंत्रता हासिल करना आसान है लेकिन उसे बरकरार रखना मुश्किल है’। 
कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि देश को विकसित मुल्कों की श्रेणी में शामिल करना है तो हर व्यक्ति को सेनानी की तरह कार्य करना होगा। कुलपति ने कहा कि साज़िश के तहत अंग्रोज़ों ने भारतीय समाज को बांटकर रख दिया था। वो सिर्फ विभाजन ही करते रहे, जाति-धर्म का विभाजन, स्त्री पुरुष का विभाजन, शहर और गांव का विभाजन। उन्होंने कहा कि यूनानियों की दी हुई परिभाषाएं पढ़ी जाती हैं लेकिन संस्कृत के ज्ञान ग्रंथों पर ध्यान नहीं दिया जाता जबकि संपूर्ण विश्व को ज्ञान संस्कृत ने ही दिया। डॉ गुप्ता ने कहा कि अल बरूनी ने संस्कृत में लिखे भारतीय ग्रंथों का अध्ययन कर स्पेनिश में ट्रांसलेशन किया था जिन्हें आज हम उद्धृत करते हैं। 
कुलसचिव प्रो. अलकेश चतुर्वेदी ने कहा कि देश को हमेशा अपने इतिहास को याद रखना चाहिए क्योंकि जो मुल्क अपना इतिहास भूल जाता है वो समाप्त हो जाता है। 
आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत स्वतंत्रता दिवस पर छात्र-छात्राओं ने कई प्रस्तुतियां भी दीं। डॉ. नवीन मेहता, डॉ उपेंद्र बाबू खत्री ने भी अपने लिखे गीतों को प्रस्तुत किया।