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‘ईश्वर ने महिलाओं को मल्टीटास्किंग बनाया है’

 

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ईश्वर ने महिलाओं को मल्टीटास्किंग बनाया है

  • सांची विश्वविद्यालय में मनाया गया महिला दिवस
  • अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजन
  • ‘भारत सदैव ही वीरांगनाओं का देश रहा है’

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के कार्यक्रम प्रारंभ किए गए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा अरूण गुप्ता ने कहा कि महिलाएं मल्टीटास्किंग(एक साथ कई कार्य करने में दक्ष) होती हैं। उनका कहना था कि प्रत्येक मनुष्य के दिमाग में दो पक्ष होते हैं। दायां पक्ष और बायां पक्ष। एक पक्ष तार्किक शक्ति वाला होता है और दूसरा पक्ष इमोशन (भावुकता) वाला। और दिमाग के इन दोनों पक्षों को जोड़ने वाला हिस्सा पुरुषों के मुकाबले में महिलाओं में अधिक शक्तिशाली होता है जिसके कारण महिलाएं मल्टीटस्किंग कर सकती हैं। इसलिए पुरुषों के मुकाबले वो घर और दफ्तर दोनों में समान दक्षता से अपने कर्तव्य का निर्वह्न कर पाती हैं।

कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने कहा कि शिक्षा को संस्कृति केंद्रित बनाना होगा तभी महिलाओं को सम्मान मिलेगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आगे बढ़ना है तो अपने जीवन से शब्ध “हमेशा” निकालना होगा......यानी महिलाएं खुद यह कहती सुनी जाती हैं कि ‘हमेशा’ ऐसा ही होता है.....’हमेशा’ वैसा ही होता है....इत्यादि.....जब वो ये शब्द अपने जीवन हटा देंगी तो सभी मोर्चों पर आगे बढ़ सकेंगी। उन्होंने रामायण और महाभारत में सीता और द्रोपदी के उदाहरण के ज़रिए भी छात्रों को समझाया।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर विश्वविद्यालय में आमंत्रित सांची की गईं नायब तहसीलदार सुश्री नियति साहू ने कहा कि भारत में सदा से ही दुर्गा, लक्षमी और सरस्वती के रूप में नारी की पूजा की जाती है। उन्होंने विश्वविद्यालय के छात्रों से कहा कि वो अपने जीवन का एक लक्ष्य तय कर आगे बढ़ते रहें....उसकी तैयारी करें.....तभी कामयाब हो सकेंगे। सुश्री नियति साहू ने कहा कि छात्र यदि अपनी क्षमताएं, अपने लक्ष्य निर्धारित करते हैं और गुरु का सम्मान करते हुए ज्ञान अर्जित करते हैं तो वो हर क्षेत्र में परचम फहरा सकते हैं। सुश्री साहू ने ‘मैं आधुनिक नारी हूं’ कविता का पाठ भी किया।

विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अल्केश चतुर्वेदी ने कहा कि महिलाएं इस धरती की आधी आबादी का नेतृत्व करती हैं। भारत में तो सनातन काल से ही महिला का सम्मान किया जाता रहा है। उन्होंने देश की वीरांगनाओं के बारे में भी चर्चा की।इस मौके पर छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दीं। अंग्रेज़ी विभाग की छात्राओं ने डांस तथा लाइब्रेरी, योग, हिंदी, भारतीय चित्रकला व वैकल्पिक शिक्षा विभाग की छात्राओं ने कविता पाठ प्रस्तुत किए। दो अन्य छात्राओं ने भाषण के माध्यम से महिलाओं की स्थितियों को अभिव्यक्त किया।सांची विश्वविद्यालय में प्रारंभ किए गए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के कार्यक्रम में समस्त आयोजन महिलाओं ने ही किए।