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भारत हर विदेशी विचार और आक्रांता से बचा रहा - दो दिवसीय युवा इतिहासकार सम्मेलन संपन्न 08/05/2022

                                                                                                                                                            08/05/2022

भारत हर विदेशी विचार और आक्रांता से बचा रहा

 

दो दिवसीय युवा इतिहासकार सम्मेलन संपन्न

भारत में 1940 के पहले भाषा के आधार पर संघर्ष का इतिहास नहीं

राष्ट्रीय युवा इतिहासकार संगोष्ठी संपन्न, इतिहास के भारतीयकरण पर चर्चा

अंग्रेजों ने औद्योगिकीकऱण किया तो 25%से 2% जीडीपी पर कैसे पहुंचा भारत


इतिहास पाठ्यक्रम वर्तमान परिप्रेक्ष्य और चुनौतियां पर केंद्रित राष्ट्रीय युवा इतिहासकार संगोष्ठी में इतिहास पढ़ाने के तौर तरीकों, पाठ्यक्रम, इतिहास में नई दृष्टि और भारतीयकरण पर चर्चा हुई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि यूरोपीय जहां जहां गए वहां के पूरे समाज को ध्वस्त कर दिया ऐसे में भारत कैसे बचा रहा यह विचार बिंदु है। उन्होने कहा कि 150 वर्षों के ब्रिटिश राज के नक्शे से देखना छोड़े बिना हम इतिहास को नहीं लिख सकेंगे। हम क्या थे ये जाने बिना हम क्या हो सकते है का अंदाज नहीं लग सकता। उन्होने कहा कि वैशाली और मिथिला से 4000 साल पुराना इतिहास बनता है लेकिन अंग्रेजों का दिया बिहार नाम 1940 से पहले अस्तित्व में नहीं था। उन्होने कहा कि 1940 के पूर्व भारत में भाषा के आधार पर संघर्ष का कोई इतिहास नहीं मिलता। डॉ केतकर ने कहा कि हमें बताया गया कि अंग्रेजों ने हमें एकीकृत किया और औद्योगिकीकरण किया तो फिर एक वक्त दुनिया की जीडीपी में 25 प्रतिशत का हिस्सा रखने वाला भारत अंग्रेजों के भारत छोड़ने के वक्त 2 प्रतिशत जीडीपी पर कैसे सिमट गया।

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के अध्यक्ष देवी प्रसाद सिंह ने कहा कि भारत में राजा संघर्ष करते थे लेकिन हिमालय से हिमसागर तक भारत की संकल्पना पर किसी को संदेह नहीं था।

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ बालमुकुंद जी ने कहा कि वरिष्ठ इतिहासकारों के साथ मिलकर इतिहास के मूलभूत बिंदुओं पर चर्चा हो रही है। उन्होने युवा इतिहासकारों को देशभर में ऐतिहासिक दस्तावेजों, तथ्यों और अन्य बिंदुओं के आधार इतिहास लेखन का आव्हान किया।  

समानांतर सत्रों में प्रो हिमांशु चतुर्वेदी ने कहा कि पाठ्यक्रम का उद्देश्य सही इतिहास को सामने लाना है। उन्होने कहा कि भारत का इतिहास दिल्ली का इतिहास नहीं है और जब भारत का सही इतिहास उद्घाटित होगा तो 150 किमी के इतिहास की नगण्यता सामने आएगी।   

 सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय और अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा ’इतिहास पाठ्यक्रम: वर्तमान परिप्रेक्ष्य व चुनौतियाँ‘‘ पर केंद्रित संगोष्ठी में भारत के प्रामाणिक इतिहास लेखन, तथ्य संकलन, इतिहास और दर्शन पुनर्लेखन, शोध के क्षेत्र में कार्य करनेवाले 250 युवा इतिहासकारों ने गंभीर चिंतन मनन किया।  5 मुख्य सत्रों और अन्य सत्रों में 150 से ज्यादा शोध पत्र पढ़े गए।