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कुंडली के साथ-साथ खून की जांच भी होनी चाहिए

                                                                                                                                                             06.09.2022

कुंडली के साथ-साथ खून की जांच भी होनी चाहिए

  • लगातार होने वाला कुपोषण सिकल सेल एनीमिया हो सकता है
  • सांची विश्वविद्यालय चिकित्सकों की टीम ने किया दौरा
  • नर्मदापुरम(होशंगाबाद) के सुक्तवा ब्लॉक में जागरूकता अभियान
  • स्कूलों में बच्चों के खून के सैंपल लिए, घर-घर जाकर बताया
  • अनुवांशिक बीमारी है सिकल सेल एनीमिया
  • हंसिया के आकार के हो जाते हैं आर.बी.सी

देश में कितने ऐसे नौजवान हैं, बच्चे हैं, स्त्री-पुरुष हैं जो बार-बार एनीमिया यानी कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। लेकिन लापरवाही के कारण वो अपनी ठीक से जांच नहीं कराते और कई बार उनकी जान पर भी बन आती है।

अगर आप बार-बार एनीमिया के शिकार हो रहे हैं तो सावधान हो जाइए और अपने खून की जांच ज़रूर कराइए क्योंकि ये सिकल सेल के कारण होने वाला एनीमिया हो सकता है। मध्य प्रदेश सरकार भी इन दिनों सिकल सेल एनीमिया के खिलाफ अभियान छेड़े हुए है।

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के डॉक्टरों की एक टीम ने नर्मदापुरम (होशंगाबाद) के सुकतवा ब्लॉक के दो गांवों का दौरा कर स्कूलों तथा घर-घर जाकर बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की जांच की, उन्हें सिकल सेल एनीमिया के बारे में बताया। दरअसल, मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम इस चिन्हित ब्लॉक में प्रदेश के सबसे ज़्यादा सिकल सेल एनीमिया के मरीज़ हैं। सुकतवा की जनसंख्या तकरीबन 523 है।

सिकल सेल एनीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है जिसमें पीड़ित के खून में आर.बी.सी(लाल रक्त कणिकाएं) हंसिये के आकार की हो जाती हैं। इन हंसिया आकार कणिकाओं के कारण पीड़ित के किसी भी अंग में रक्त प्रवाह रुक जाता है, उसे उस जगह पर बेहद दर्द होता है, शरीर में खून के ज़रिए होने वाली ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पाती और पीड़ित की तबीयत बिगड़ती चली जाती है, यहां तक कि उसकी मौत भी हो सकती है।

नर्मदापुरम के इस ब्लॉक में पांच गांव हैं कासदा खुर्द, खकरापुरा, सहेली, केसला और मोरपानी। सांची विश्वविद्यालय के डॉक्टरों की टीम ब्लॉक के बी.एम.ओ डॉ. सपन गोयल और डॉ. विवेक वर्मा, मुकेश व्यास और कमलेश पाटीदार के साथ यहां पहुंची थी। इस टीम ने लोगों को सिकल सेल एनीमिया के बारे में जागरुक किया।

टीम ने इन आदिवासी बहुल गांव के उन लोगों को खास कर चेताया जिनके माता-पिता से ये बीमारी बच्चों में ट्रांसमिट हुई है। टीम में सांची विश्वविद्यालय की डॉक्टर अंजलि दुबे ने बताया कि ऐसे सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित बच्चों की आपस में शादी नहीं होनी चाहिए जो सिकल सेल करिअर है या फिर सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित हैं।

डॉक्टरों की इस टीम ने स्कूल के बच्चों के खून के सैंपल भी लिए और उन्हें भोपाल परीक्षण के लिए भिजवाया है। जिन बच्चों में हीमोग्लोबिन काफी कम पाया जाएगा उनकी सिकल सेल एनीमिया की जांच भी की जाएगी। डॉ. अंजलि दुबे का कहना था कि जिस तरह से शादी के पहले कुंडली का मिलान किया जाता है उसी प्रकार से आज ये ज़रूरी हो गया है कि खून की जांच भी कराई जाए ताकि सिकल सेल एनीमिया, एच.आई.वी जैसी गंभीर बीमारियों की पहले से ही रोकथाम की जा सके।