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सांची विश्वविद्यालय में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

दिनांक 08-03-2019

  • “हर पुरुष के अंदर होता है मां की ममता का तत्व”- डॉ मेहता
  • “महिलाओं को पुरुषों की सहानुभूति नहीं संवेदनाएं चाहिए”- सुश्री अदिति गौड़
  • “महिला और पुरुष से पहले इंसान होना ज़रूरी”- डॉ प्राची अग्रवाल
  • “महिला को सामान्य मनुष्य की भांति देखा जाना चाहिए”- डॉ रितु श्रीवास्तव
  • “महिला को उसके विचार और बौद्धिकता से आंका जाए”- नेहा सैनी

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर छात्रों और शिक्षकों द्वारा महिला कर्मचारियों का सम्मान एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती रेनू तिवारी ने सभी महिला कर्मचारियों और छात्राओं को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई दी। कार्यक्रम में डीन डॉ नवीन कुमार मेहता ने मातृशक्ति की महत्ता और व्यक्तित्व विकास में मां की भूमिका पर बात रखी।

चीना भाषा विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. प्राची अग्रवाल ने कहा कि हमें महिला और पुरुषों के मध्य विभेद नहीं करना चाहिए क्योंकि हम सब इंसान हैं और हमें इंसान बनने की ज़रूरत है।  श्रीमती नीलिमा चंद्रवंशी ने कहा कि महिलाओं की शिक्षा पर जोर देते हुएकहाकि पुरुष शिक्षित होता है तो सिर्फ एक पीढ़ी को शिक्षित कर सकता है लेकिन एक महिला शिक्षित होती है तो वो कई पीढ़ियों को शिक्षित कर देती है।

विश्वविद्यालय की सहायक निदेशक(प्रदर्शनी) सुश्री अदिति गौड़ ने कहा कि महिलाओं को पुरुषों की सहानुभूति नहीं बल्कि संवेदनाएं चाहिए क्योंकि दुनिया की 50 प्रतिशत आबादी को सशक्त करने से समाज सशक्त होगा और इस प्रकार देश सशक्त होता है।

इंडियन पेंटिंग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ सुष्मिता नंदी ने बताया कि दुनिया के प्रत्येक मनुष्य में 51 अनुपात 49 में महिला और पुरुष अथवा पुरुष और महिला के तत्व पाए जाते हैं। चिकित्सा शाखा की डॉ अंजलि दुबे ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं एवं छात्राओं से अपील की, कि महिलाएं किसी भी पद पर जाएं वे बस अपनी सहजता बनाए रखें।

चिकित्सा शाखा की ही डॉ रितु श्रीवास्तव ने कहा कि शिव के बिना शक्ति नहीं और शक्ति के बिना शिव नहीं। उनका कहना था कि महिला एक सामान्य मानक है वह दूसरा जेंडर नहीं है जैसा की पुरुष को प्रथम जेंडर बताया जाता है। डॉ श्रीवास्तव ने महिला दिवस पर एक कविता भी प्रस्तुत की।

विश्वविद्यालय के सभी विभागों से एक-एक छात्रा को मौका दिया गया कि वो महिला दिवास पर अपने विचार प्रकट करें। योग विभाग की छात्रा नेहा सैनी ने कहा कि महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही बुद्धि, मन और मस्तिष्क की शुद्धता होनी चाहिए। नेहा ने कहा कि महिलाओं को उनके रंग और रूप से न आंका जाए बल्कि विचार और बौद्धिकता के आधार पर उनका आंकलन किया जाए।

अंग्रेज़ी विभाग की छात्रा मुस्कान सोलंकी ने सांची विश्वविद्यालय की सर्वप्रथम कुलपति डॉ शशि प्रभा कुमार और संस्कृत विभाग की पूर्व डीन डॉ. सुनंदा शास्त्री को भी महिला दिवस के मौके पर याद किया। धन्यवाद ज्ञापन के दौरान विश्वविद्यालय के डीन डॉ नवीन मेहता ने जीबी शॉ के नाटक के माध्यम से बताया कि कैसे नाटक  की महिला पात्र अपने निर्बल पति का सहयोग कर उसे आत्मसम्मान से जीना सिखाती है। इसी प्रकार से उन्होंने महिला सशक्तिकरण का चरित्र चित्रण करने वाले हैंडी गिब्सन के नाटक “A Dolls House”का ज़िक्र भी किया।