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विश्वविद्यालय के शैक्षणिक सत्र 2016-17के शुरुआत से ही हिंदी-विभाग मेंशैक्षणिक सत्र की शुरुआत हुई | हिंदी-विभागमें सत्र 2016-17से एम.ए., एम.फिल. एवं पी- एच.डी.कापाठ्यक्रम प्रारम्भ हुआ|
                    हिंदी-विभागद्वारा हिंदी साहित्य के विविध पाठ्यक्रमों के अध्ययन-अध्यापन के साथ ही शोध को पाठ्यक्रम के केंद्र में रखा गया है | विभाग शोध के क्षेत्र में समकालीन विमर्श को केंद्र में तो रखता ही है इसके अतिरिक्त मध्यकालीन साहित्य पर शोध कार्य को प्रोत्साहित करता है | विभाग द्वारा सामजिक,दार्शनिक,भाषागत विविधता,साहित्य और अर्थव्यवस्थाकेसंबंध एवं इसके साथ ही हिंदीकी विविध बोलियों पर आधारित रचित साहित्य पर भी शोध कार्य को प्रोत्साहित करता है |
                 हिंदी-विभाग के पाठ्यक्रम को इस प्रकार तैयार किया गया है कि विद्यार्थी/शोधार्थी को हिंदी भाषा एवं साहित्य सेसंबंधित सभी प्रकार की प्रवृत्तियों की जानकारी प्राप्त हो सके | विभाग अपने विद्यार्थियों में भाषा के प्रति संस्कार एवं रूचिजागृत करने का प्रयास निरंतर करता आ रहा है | विभाग के पाठ्यक्रम को हिंदी पत्रकारिता,रंगमंच,सिनेमा,प्रयोजनमूलक हिंदी,आधुनिक सामाजिक विमर्श,अनुवादआदिसे समायोजित करते हुए इसे अधुनातनबनाया गया है |

विभाग का उद्देश्य:

  • स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान परम्परा के अध्ययन के साथ-साथरोजगारपरक पाठ्यक्रम के माध्यम से हिंदी साहित्य एवं भाषा में दक्ष बनाना.
  • अधुनातन पाठ्यक्रम एवं गंभीर अकादमिक गतिविधियों के द्वारा साहित्य, साहित्य-दर्शन, समाज एवं संस्कृति के अंतर्संबंधों का अध्ययन करना.
  • अंतर-अनुशासनिक एवं अंतर-भाषिक शोध के द्वारा भारतीय भाषाओं के साहित्य और हिंदी साहित्य में नये उपागमों की पड़ताल करना जिससे भारत की भाषायी और सांस्कृतिक बहुलता की विवेचना के साथ-साथ समान भाव-भूमि की पड़ताल संभव हो सके.
  • तुलनात्मक साहित्य में अनुसंधान/शोध को बढ़ावा देना.
  • भारत की प्राचीन अध्ययन ज्ञान परम्परा एवं पाठ (TEXT) को अनुसंधान/शोध के केंद्र में रखना
  • शोध एवं शिक्षण में अद्यतन प्रविधि के माध्यम से शोधार्थियों में शोध आलेख लिखने का कौशल विकसित करना जिससे वे गहन आलोचनात्मक एवं विवेकपूर्ण अंतर्दृष्टि से संपन्न हो सकें.
  • प्राचीन एवं मध्यकालीन साहित्य में अनुसंधान के साथ-साथ आधुनिक एवं समकालीन साहित्य व भाषाविज्ञान में शोध के माध्यम से राजनीति, समाजार्थिक एवं सांस्कृतिक चुनौतियों की पड़ताल.
  • रचनात्मक लेखन, पटकथा लेखन, अनुवाद विज्ञान एवं प्रयोजनमूलक हिंदी के माध्यम विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को कौशल-संपन्न करना
  • भाषा-शिक्षण की प्रविधयों में निरंतर नए प्रयोग करते हुए हिंदी-विभाग विद्यार्थियों में स्नातकोत्तर से शोध के प्रति उत्साह जगाने के लिए प्रयासरत है | विभाग द्वारा विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञों एवं साहित्यकारों को आमंत्रित करके प्रतिवर्ष विधार्थियों/शोधार्थियों को अपने अनुभव और ज्ञान के फलक को विस्तृत करने का अवसर प्रदान करती है |
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति से पाठ्यक्रम को सम्बद्ध करते हुए सभी पाठ्यक्रम को रोजगारोन्मुखी एवं भविष्योन्मुखी बनाना लक्ष्य
  • विभाग भित्ती पत्रिका (पारमिता) द्वारा विश्वविद्यालय के सभी विभाग के छात्रों/शोधार्थियों से हस्तलिखित रचनाएं आमंत्रित करता है |
  • विभाग द्वारा अन्य विभागों के प्राध्यापकों को विविध विषयों पर व्याख्यान हेतु आमंत्रित किया जाता है ताकि अंतर्विषयक अध्ययन पर बल दिया जा सके एवं शोध की रुची पैदा हो |

विभाग द्वारा संचालित पाठ्यक्रम :

  • स्नातकोत्तर/एम्.ए.(हिंदी)
  • पी-एच.डी.(हिंदी)
विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम :
  • प्रसिद्ध आलोचक प्रो.विजय बहादुर सिंह का व्याख्यान
  • हिन्दी दिवस के अंतर्गत प्रत्येक आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम :
  • स्वरचित हिन्दी कविता
  • भाषण प्रतियोगिता
  • सृजनात्मक लेखन
  • पोस्टर मेकिंग
  • आदिवासी दिवस पर संगोष्ठी
  • खड़ी बोली और उसका विकास : एक परिचर्चा
  • मैथिलीशरण गुप्त जयंती पर परिचर्चा
  • हिन्दी साहित्य और राष्ट्रीय आन्दोलन :प्रो.चन्दा बेन
  • भारतीय परिप्रेक्ष्य में भाषा की अवधारण : डॉ.विश्वबंधु
  • बुद्ध और उनका समाज दर्शन : डॉ.रमेश रोहित

व्याख्यान:

  • प्रबोध चन्द्रोदय के अनेक रूप और स्रोत( ब्रजवासी दास की ब्रजभाषा के माध्यम से पुनर्पाठ) :

रोसीना पास्तोरे, लूजेन विश्वविद्यालय,स्वीटजरलैंड

  • हिन्दी साहित्य का रीतिकाल : कुछ प्रश्न,कुछ प्रसंग

प्रो.चन्दन कुमार,हिन्दी विभाग,दिल्ली विश्वविद्यालय

  • भावात्मक एकता के कवि : मलिक मुहम्मद जायसी

प्रो.सदानंद प्रसाद गुप्त,कार्यकारी अध्यक्ष,उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और हिन्दी

प्रो.सुधीर प्रताप सिंह,जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय,नई दिल्ली

  • रीतिकाव्य : एक पुनर्विचार

प्रो.सर्वेश सिंह,बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय,लखनऊ  

अंतर्राष्ट्रीय व्याख्यान:

  • अनुवाद की संभावनाएँ : डॉ.निकोला पोजा, लूजेन विश्वविद्यालय,स्वीटजरलैंड एवं डॉ.हर्षबाला शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय

विश्वविद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थाओं से अनुबंध (MOU)

  • केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी,बिहार
  • माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय,भोपाल
  • गुजरात विश्वविद्यालय,अहमदाबाद
  • भारत शोध संस्थान,अहमदाबाद

संपर्क :

Email : hindi@subis.edu.in

The School of Language, Literature and Arts consist of centres viz. Centre for Foreign Languages, Centre for Indian Languages, Centre for Asian Arts and Cultures and Centre for Indian Arts and Culture. The School of Language, Literature and Arts is being developed as a major centre for teaching and research in Languages, Literatures, Arts and Cultures of India, Asia and rest of the World. The core objective is to promote study and knowledge of languages, literatures, arts and cultures worldwide. The School offers M. A., M. Phil. and Ph. D, Programmes in Sanskrit, Vedic Studies, Hindi, English and Certificate & Diploma Course in Chinese Language and Certificate Course in Written & Spoken Sanskrit. It has also M.F. A., M. Phil. and Ph. D. in Indian Painting.