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सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन में ‘संविधान दिवस’के अवसर पर विशिष्ट व्या-ख्यान - "भारत में लोकतंत्र संस्कार है"

                                                                                                                                                                             26.11.2022

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन में ‘संविधान दिवस’के अवसर पर विशिष्ट व्या-ख्यान - "भारत में लोकतंत्र संस्कार है"


भारत में लोकतंत्र संस्कार है

• सांची वि.वि में संविधान दिवस पर विशिष्ट व्याख्यान
• भारत लोकतंत्र की जननी है
• वैदिक-मध्य काल तक भारत में लोकतंत्र के प्रमाण मिलते हैं
• ‘ब्रिटेन में आज भी राजतंत्र कायम है’

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन में ‘संविधान दिवस’के अवसर पर विशिष्ट व्याख्यान आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में ‘भारत लोकतंत्र की जननी’ विषय पर आयोजित किए गए व्याख्यान के अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलसचिव प्रो. अल्केश चतुर्वेदी ने कहा कि वैदिक काल से ही भारत में लोकतंत्र के प्रमाण मिलते हैं। उन्होंने कहा कि ऋग्वेद में राजाओं का चयन भी लोकतांत्रिक तरीके से किया जाता था। उन्होंने कहा कि विभिन्न भारतीय क्षेत्रों में गणराज्य स्थापित थे।

प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि प्रत्येक भारतीय के जीवन मूल्यों में लोकतंत्र है इसलिए देश में नहर चुनाव, मंडी चुनाव, पंचायत चुनाव यानी छोटे-छोटे स्तरों पर भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चयन होता है। उन्होंने कहा कि मध्य काल और उत्तर मध्य काल में यानी 9वीं शताब्दी तक पाल वंश में भी गणराज्य स्थापित था। उन्होंने कहा कि भले ही ब्रिटेन को को लोकतांत्रिक देश कहा जाता हो लेकिन वहां आज भी राजतंत्र कायम है।
 
डॉ. अल्केश चतुर्वेदी का कहना था कि भारत में चोल वंश, चेर वंश इत्यादि ने महाभारत युद्ध में सम्मिलित होकर लोकतंत्र का प्रमाण दिया था। सांची विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक श्री हरीश चंद्रवंशी ने बताया कि दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय संविधान प्रारूप समिति द्वारा संकलित किया गया था। इन  सदस्यों द्वारा विभिन्न देशों की यात्रा और उनके संविधानों का अध्ययन कर तैयार किया गया था।
 
धन्यवाद ज्ञापित करते हुए हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राहुल सिद्धार्थ ने कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना ‘हम भारत के लोग’ भारत के प्रत्येक नागरिक की सामूहिकता को व्याख्यायित करता है और ये देश के प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा को अक्षुण रखने की गारंटी देता है। उनका कहना था कि हम सभी को संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों को ही नहीं जानना चाहिए बल्कि ये भी जानना चाहिए कि संविधान ने हमारे कर्तव्य क्या निर्धारित किए हैं।

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