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गौतम बुद्ध की शिक्षा को आगे बढ़ाएगा सांची विश्वविद्यालय

दिनांक 26 May 2021

  • बुद्ध पूर्णिमा पर ऑनलाइन संगोष्ठी
  • अंधकार को मिटाने की राह है बुद्ध- गेशे दोर्जी दामदुल
  • सामाजिक, भावपूर्ण और नैतिक शिक्षा देता है बौद्ध धर्म- डॉ गुप्ता

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में बुद्ध पूर्णिमा पर सौदर्य का आंतरिक विश्वास बौद्ध धर्म ( Buddhism as a religion of inner belief of beauty ) पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया। बौद्ध दर्शन स्कूल एवं अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध अध्ययन स्कूल की ओर से आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि तिब्बत हाउस के मुख्य पूजनीय गेशे दोर्जी दामदूल के साथ विदेश संवाददाता क्लब के मुनीष गुप्ता शामिल हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत बुद्ध वंदना से हुई एवं डॉ नवीन कुमार मेहता ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तिब्बत हाउस के संस्कृति सेंटर के प्रमुख गेशे दोर्जी दमादुल थे। पूजनीय गेशे दोर्जी दमादुल ने कहा कि बुद्ध आतंरिक शुद्धता पर जोर देते है। उन्होने कहा कि आंतरिक अंधकार को मिटाने के लिए बुद्ध स्वयं की रोशनी की बात करते हुए अप्प दीपो भवः की बात करते हैं। जब हम ज्ञान की खोज में जुटते है तो हमारा चेहरा चमकने लगता है। उन्होने कहा कि सभी को गंदगी मिटाने की कोशिश करना चाहिए। उन्होने बुद्ध की जीवनपयोगी शिक्षाओं पर विस्तृत व्याख्यान दिया।

पीआईओ टीवी के मुख्य कार्यकारी और दक्षिण एशिया के विदेश संवाददाता क्लब के अध्यक्ष मुनीष गुप्ता ने कहा कि बुद्ध ने अपनी शिक्षा के जरिए वंचितों को ऊपर उठाने का कार्य किया। उन्होने कहा कि बौद्ध धर्म सामाजिक, भावपूर्ण और नैतिक शिक्षा देता है। बौद्ध धर्म में स्वयं का दर्शन है और अपनी शिक्षाओं के जरिए गौतम बुद्ध समाज की बुराइयों पर प्रहार के साथ व्यक्तित्व विकास की भी राह दिखाते है।
सांची विवि की कुलपति डॉ नीरजा ए गुप्ता ने कहा कि बौद्ध धर्म का मूल भगवान बुद्ध की शिक्षा है और हमारा विश्वविद्यालय दुनियाभर में बुद्ध के अध्ययन अध्यापन का वैश्विक केंद्र बनेगा। उन्होने कहा कि बौद्ध धर्म सबको साथ लेकर चलता है और इसका दर्शन समायोजी है।

कार्यक्रम के समन्वयक और बौद्ध दर्शन विभाग प्रमुख डॉ संतोष प्रियदर्शी ने विपरीत परिस्थिति में भी कार्यक्रम में भारी संख्या में जुटे विद्वानों को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम के समापन पर डॉ देवेद्र सिंह विभाग अध्यक्ष संस्कृत विभाग ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होने ऑनलाइन संगोष्ठी के माध्यम से दुनियाभर से जुड़े विद्वानों, शोधार्थियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।